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बैंकों का विलय देश के बैंक क्षेत्र के लिये एक नया सवेरा: वित्त मंत्रालय

सार्वजनिक क्षेत्र के छह बैंकों...ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, सिंडिकेट बैंक, आंध्रा बैंक, कॉरपोरेशन बैंक और इलाहबाद बैंक अब इतिहास बन गये हैं. इन बैंकों का विलय चार बड़े बैंकों में हुआ है जिसका मकसद उन्हें वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाना है.

बैंकों का विलय देश के बैंक क्षेत्र के लिये एक नया सवेरा: वित्त मंत्रालय
बैंकों का विलय देश के बैंक क्षेत्र के लिये एक नया सवेरा: वित्त मंत्रालय
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Published : Apr 1, 2020, 11:34 PM IST

नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का बड़े स्तर पर विलय प्रभाव में आ गया है और यह बैंक क्षेत्र में एक नई शुरूआत है.

सार्वजनिक क्षेत्र के छह बैंकों...ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, सिंडिकेट बैंक, आंध्रा बैंक, कॉरपोरेशन बैंक और इलाहबाद बैंक अब इतिहास बन गये हैं. इन बैंकों का विलय चार बड़े बैंकों में हुआ है जिसका मकसद उन्हें वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाना है.

वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाला वित्तीय सेवा विभाग ने ट्विटर पर लिखा है, "सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय भारतीय बैंक क्षेत्र में एक नई सुबह है. बड़े और मजबूत बैंक तेजी से कर्ज दे सकेंगे. ग्राहकों के लिये उनकी जरूरत के अनुसार और विशेषीकृत उत्पाद पेश करने के साथ उनके घर तक सेवाएं दे सकेंगे"

वित्त मंत्रालय का तय समय में विलय प्रक्रिया पूरी कर लेना उल्लेखनीय है क्योंकि यह सब ऐसे समय हुआ है जब पूरा देश कोरोना महामारी संकट में है. इसकी रोकथाम के लिये देश भर में 21 दिन का 'लॉकडाउन' (रोक) है.

इससे पहले, दिन में पंजाब नेशनल बैंक ने कहा कि यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स की सभी शाखाओं ने पीएनबी की शाखा के रूप में काम करना शुरू कर दिया है. इन बैंकों के विलय के बाद, उनकी पहुंच व्यापक होगी.

इस विलय के बाद अब बैंक के पास 11,000 से अधिक शाखाएं, 13,000 से अधिक एटीएम, एक लाख कर्मचारी होंगे. वहीं कारोबार 18 लाख करोड़ रुपये का होगा.

पीएनबी के प्रबंध निदेशक एस एस मल्लिकार्जुन राव ने कहा, "बड़े भौगोलिक क्षेत्र तक पहुंच से हमें ग्राहकों को प्रभावी और कुशलता से सेवा देने में मदद ममिलेगी."

हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय विलय बहुत सुचारू नहीं हो पाएगा. हालांकि बैंक प्रमुखों ने इसको लेकर भरोसा जताया है.

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक राजकिरण राय जी ने पीटीआइ भाषा से कहा, "हमें योजना के अनुसार आगे बढ़ने में कोई समस्या नहीं दिख रही. हमने मौजूदा स्थिति पर भी गौर किया किया है. हमने योजना क्रियान्वयन में कुछ सुधार किया है ताकि कर्मचारियों और ग्राहकों के लिये कोई समस्या नहीं हो."

ये भी पढ़ें: पहले कटौती, अब मार्च के वेतन का एक हिस्सा अप्रैल के वेतन में देगी गोएयर

जिन चार बैंकों...पीएनबी, केनरा बैंक, यूनियन बैंक और इंडियन बैंक... में अन्य बैंकों का विलय हुआ है, वे लॉकडाउन के कारण कुछ हिस्सों के क्रियान्वयन और प्रक्रियाओं को फिलहाल टाल रहे हैं.

उन्होंने कहा, "जिन बैंकों का विलय हो रहा है, हमने कर्ज प्रक्रिया आदि जैसे मामलों में कुछ बदलाव नहीं किये हैं जबकि पूर्व में ऐसा करने का प्र्रस्ताव था. हालांकि मौजूदा स्थिति के कारण हम पुरानी व्यवस्था को तब तक के लिये जारी रख रहे हैं जबतक स्थिति नियंत्रण में नहीं आती."

इस विलय के साथ यूनियन बैंक अगले तीन साल में 2,500 करोड़ रुपये के लाभ की उम्मीद कर रहा है.

पिछले साल अगस्त में घोषित विलय योजना के तहत ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का विलय पीएनबी में, सिंडिकेट का केनरा बैंक में, आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया तथा इलाहबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय हुआ है.

इस विलय के बाद अब सात बड़े तथा पांच छोटे बैंक होंगे. अब इस विलय के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या 12 रह गयी है. वर्ष 2017 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या 27 थी.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का बड़े स्तर पर विलय प्रभाव में आ गया है और यह बैंक क्षेत्र में एक नई शुरूआत है.

सार्वजनिक क्षेत्र के छह बैंकों...ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, सिंडिकेट बैंक, आंध्रा बैंक, कॉरपोरेशन बैंक और इलाहबाद बैंक अब इतिहास बन गये हैं. इन बैंकों का विलय चार बड़े बैंकों में हुआ है जिसका मकसद उन्हें वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाना है.

वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाला वित्तीय सेवा विभाग ने ट्विटर पर लिखा है, "सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय भारतीय बैंक क्षेत्र में एक नई सुबह है. बड़े और मजबूत बैंक तेजी से कर्ज दे सकेंगे. ग्राहकों के लिये उनकी जरूरत के अनुसार और विशेषीकृत उत्पाद पेश करने के साथ उनके घर तक सेवाएं दे सकेंगे"

वित्त मंत्रालय का तय समय में विलय प्रक्रिया पूरी कर लेना उल्लेखनीय है क्योंकि यह सब ऐसे समय हुआ है जब पूरा देश कोरोना महामारी संकट में है. इसकी रोकथाम के लिये देश भर में 21 दिन का 'लॉकडाउन' (रोक) है.

इससे पहले, दिन में पंजाब नेशनल बैंक ने कहा कि यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स की सभी शाखाओं ने पीएनबी की शाखा के रूप में काम करना शुरू कर दिया है. इन बैंकों के विलय के बाद, उनकी पहुंच व्यापक होगी.

इस विलय के बाद अब बैंक के पास 11,000 से अधिक शाखाएं, 13,000 से अधिक एटीएम, एक लाख कर्मचारी होंगे. वहीं कारोबार 18 लाख करोड़ रुपये का होगा.

पीएनबी के प्रबंध निदेशक एस एस मल्लिकार्जुन राव ने कहा, "बड़े भौगोलिक क्षेत्र तक पहुंच से हमें ग्राहकों को प्रभावी और कुशलता से सेवा देने में मदद ममिलेगी."

हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय विलय बहुत सुचारू नहीं हो पाएगा. हालांकि बैंक प्रमुखों ने इसको लेकर भरोसा जताया है.

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक राजकिरण राय जी ने पीटीआइ भाषा से कहा, "हमें योजना के अनुसार आगे बढ़ने में कोई समस्या नहीं दिख रही. हमने मौजूदा स्थिति पर भी गौर किया किया है. हमने योजना क्रियान्वयन में कुछ सुधार किया है ताकि कर्मचारियों और ग्राहकों के लिये कोई समस्या नहीं हो."

ये भी पढ़ें: पहले कटौती, अब मार्च के वेतन का एक हिस्सा अप्रैल के वेतन में देगी गोएयर

जिन चार बैंकों...पीएनबी, केनरा बैंक, यूनियन बैंक और इंडियन बैंक... में अन्य बैंकों का विलय हुआ है, वे लॉकडाउन के कारण कुछ हिस्सों के क्रियान्वयन और प्रक्रियाओं को फिलहाल टाल रहे हैं.

उन्होंने कहा, "जिन बैंकों का विलय हो रहा है, हमने कर्ज प्रक्रिया आदि जैसे मामलों में कुछ बदलाव नहीं किये हैं जबकि पूर्व में ऐसा करने का प्र्रस्ताव था. हालांकि मौजूदा स्थिति के कारण हम पुरानी व्यवस्था को तब तक के लिये जारी रख रहे हैं जबतक स्थिति नियंत्रण में नहीं आती."

इस विलय के साथ यूनियन बैंक अगले तीन साल में 2,500 करोड़ रुपये के लाभ की उम्मीद कर रहा है.

पिछले साल अगस्त में घोषित विलय योजना के तहत ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का विलय पीएनबी में, सिंडिकेट का केनरा बैंक में, आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया तथा इलाहबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय हुआ है.

इस विलय के बाद अब सात बड़े तथा पांच छोटे बैंक होंगे. अब इस विलय के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या 12 रह गयी है. वर्ष 2017 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या 27 थी.

(पीटीआई-भाषा)

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