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लॉकडाउन से टूटी नेट हाउस किसानों की कमर, 100 दिन में लाखों के नुकसान का अनुमान - कैथल लॉकडाउन का असर

युवा किसान जगरूप ने बताया कि उन्होंने इस बार खीरे की खेती की है. फसल भी अच्छी हुई है, लेकिन मार्केट में खीरे के दाम 7 से 8 रुपये प्रति किलो मिल रहे हैं. जबकि पहले खीरा 15 से 20 रुपये किलो बिक जाता था.

लॉकडाउन से टूटी नेट हाउस किसानों की कमर, 100 दिन में लाखों के नुकसान का अनुमान
लॉकडाउन से टूटी नेट हाउस किसानों की कमर, 100 दिन में लाखों के नुकसान का अनुमान
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Published : May 12, 2020, 11:22 AM IST

कैथल: कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश को लॉकडाउन किया गया है. हालांकि लॉकडाउन के तीसरे चरण में कुछ शर्तों के साथ दुकानें खुल रही हैं, लेकिन इस लॉकडाउन ने व्यापार जगत और किसान दोनों की कमर तोड़कर रख दी है.

कैथल में कई ऐसे किसान हैं जो पिछले कई सालों से नेट हाउस फार्मिंग कर रहे हैं और नई तकनीक का प्रयोग करते हुए परंपरागत खेती को छोड़ चुके हैं. ऐसा करके ये किसान लाखों का मुनाफा कमा रहे थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से मुनाफा तो छोड़िए इन किसानों के लिए लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है.

लॉकडाउन से टूटी नेट हाउस किसानों की कमर, 100 दिन में लाखों के नुकसान का अनुमान

ये भी पढ़ें-वित्त मंत्रालय ने 14 राज्यों को जारी किया 6,195 करोड़ रुपये

युवा किसान जगरूप ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से आपकी बार नेट हाउस में खेती करने वाले किसानों की हालत बहुत ज्यादा खराब हो चुकी है, क्योंकि नेट हाउस में खेती करने के लिए दूसरी खेती से ज्यादा खर्च आता है. अगर किसी भी फसल का बीज लेकर आना हो, उसकी देखरेख करनी हो तो उस पर लाखों रुपये खर्च हो जाते हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी उन्हें फसलों के रेट अच्छे नहीं मिल रहे हैं.

जगरूप ने बताया कि उन्होंने इस बार खीरे की खेती की है. फसल भी अच्छी हुई है, लेकिन मार्केट में खीरे के दाम 7 से 8 रुपये प्रति किलो मिल रहे हैं. जबकि पहले खीरा 15 से 20 रुपये किलो बिक जाता था.

उन्होंने बताया कि मुझे इन 100 दिनों में लगभग 3 लाख का नुकसान हो जाएगा. अगर साल की बात करें तो 12 से 15 लाख रुपये का नुकसान होना तय है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के शुरुआती समय में मजदूरों की भी काफी समस्या आई, लेकिन अब भाव नहीं मिलने से लाखों का नुकसान हो रहा है.

100 दिन में 30 लाख का नुकसान

बता दें कि कैथल में 500 किसान नेट हाउस की खेती कर रहे हैं. कुछ किसानों के पास चार से पांच नेट हाउस भी हैं. अगर हम एवरेज की बात करें तो दो नेट हाउस हर 500 किसान के पास हैं. अब अगर घाटा देखा जाए तो सिर्फ कैथल जिले में नेट की खेती करने वाले किसानों को 100 दिनों में करीब 30 लाख रुपये का घाटा उठाना पड़ेगा.

कैथल: कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश को लॉकडाउन किया गया है. हालांकि लॉकडाउन के तीसरे चरण में कुछ शर्तों के साथ दुकानें खुल रही हैं, लेकिन इस लॉकडाउन ने व्यापार जगत और किसान दोनों की कमर तोड़कर रख दी है.

कैथल में कई ऐसे किसान हैं जो पिछले कई सालों से नेट हाउस फार्मिंग कर रहे हैं और नई तकनीक का प्रयोग करते हुए परंपरागत खेती को छोड़ चुके हैं. ऐसा करके ये किसान लाखों का मुनाफा कमा रहे थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से मुनाफा तो छोड़िए इन किसानों के लिए लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है.

लॉकडाउन से टूटी नेट हाउस किसानों की कमर, 100 दिन में लाखों के नुकसान का अनुमान

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युवा किसान जगरूप ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से आपकी बार नेट हाउस में खेती करने वाले किसानों की हालत बहुत ज्यादा खराब हो चुकी है, क्योंकि नेट हाउस में खेती करने के लिए दूसरी खेती से ज्यादा खर्च आता है. अगर किसी भी फसल का बीज लेकर आना हो, उसकी देखरेख करनी हो तो उस पर लाखों रुपये खर्च हो जाते हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी उन्हें फसलों के रेट अच्छे नहीं मिल रहे हैं.

जगरूप ने बताया कि उन्होंने इस बार खीरे की खेती की है. फसल भी अच्छी हुई है, लेकिन मार्केट में खीरे के दाम 7 से 8 रुपये प्रति किलो मिल रहे हैं. जबकि पहले खीरा 15 से 20 रुपये किलो बिक जाता था.

उन्होंने बताया कि मुझे इन 100 दिनों में लगभग 3 लाख का नुकसान हो जाएगा. अगर साल की बात करें तो 12 से 15 लाख रुपये का नुकसान होना तय है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के शुरुआती समय में मजदूरों की भी काफी समस्या आई, लेकिन अब भाव नहीं मिलने से लाखों का नुकसान हो रहा है.

100 दिन में 30 लाख का नुकसान

बता दें कि कैथल में 500 किसान नेट हाउस की खेती कर रहे हैं. कुछ किसानों के पास चार से पांच नेट हाउस भी हैं. अगर हम एवरेज की बात करें तो दो नेट हाउस हर 500 किसान के पास हैं. अब अगर घाटा देखा जाए तो सिर्फ कैथल जिले में नेट की खेती करने वाले किसानों को 100 दिनों में करीब 30 लाख रुपये का घाटा उठाना पड़ेगा.

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