नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 के कारण मोरेटोरियम अवधि के दौरान ब्याज पर छूट देने की दिशा में निर्देश देने वाली याचिका पर सुनवाई की. केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया कि ऋण स्थगन दो साल के लिए बढ़ सकता है.
मेहता ने कोर्ट में उन सेक्टरों की सूची सौंपी है, जिन्हें आगे राहत दी जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले पर बुधवार को सुनवाई करेगा और सभी पक्षकार कल सॉलिसिटर जनरल के माध्यम से मोरेटोरियम मुद्दे में अपना जवाब दाखिल करेंगे.
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पिछले सप्ताह सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि लोन मोरेटोरियम मुद्दे पर वह अपना रुख स्पष्ट करे और इस संबंध में अदालत में जल्द से जल्द हलफनामा दायर करे.
लोन मोरेटोरियम यानी कि कर्ज की किस्तें चुकाने के लिए मिली मोहलत के दौरान ब्याज माफी के अनुरोध वाली एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, अर्थव्यवस्था जिन समस्याओं का सामना कर रही है, उसके पीछे की वजह लॉकडाउन है.
मार्च महीने में कोरोना संकट को देखते हुए रिजर्व बैंक के निर्देश पर बैंकों ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया था. इसके तहत कंपनियों और व्यक्तिगत लोगों को लोन की किस्तों के भुगतान के लिए छह महीने की छूट दी गई थी. इसकी अवधि 31 अगस्त को समाप्त हो गई है. हालांकि, अब इसे 31 अगस्त से आगे नहीं बढ़ाया जाएगा.
क्या है मोरेटोरियम
दरअसल, लोन मोरेटोरियम एक ऐसी सुविधा है, जिसके तहत कोरोना प्रभावित ग्राहकों या कंपनियों को छूट दी गई थी. इसके तहत ग्राहकों और कंपनियों के पास यह सुविधा थी कि वे अपनी मासिक किस्त को टाल सकें. इस सुविधा के साथ ग्राहकों को राहत तो मिल जाती है, लेकिन उन्हें आगे ज्यादा पैसे चुकाने पड़ते हैं.