नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर विमल जालान ने 2021-22 के बजट को 'काफी अच्छा' बताते हुए मंगलवार को कहा कि भारत की प्राथमिकता फिलहाल 7 से 8 प्रतिशत वृद्धि दर हासिल करने पर होनी चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि केवल निवेश के बजाए रोजगार सृजन पर भी प्राथमिकता देने की जरूरत है.
जालान ने कहा कि ऐसा नहीं जान पड़ता कि भारत 2024-25 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने में कामयाब होगा.
उन्होंने कहा, 'इस साल का बजट काफी अच्छा है...मुझे लगता है कि भारत की वृद्धि दर 7-8 प्रतिशत रहनी चाहिए.'
वित्त वर्ष 2020-21 की आर्थिक समीक्षा में 2021-22 में तीव्र गति से पुनरूद्धार के साथ आर्थिक वृद्धि दर 11 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है. जबकि चालू वित्त वर्ष में 7.7 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया गया है.
जालान ने कहा, 'सात से आठ प्रतिशत की वृद्धि दर उच्च प्राथमिकता होनी चाहिए. एक बार वृद्धि दर इस स्तर पर होगी, तब उसके बाद रोजगार का मुद्दा होगा. हमें केवल निवेश ही नहीं, रोजगार पर भी ध्यान देना चाहिए.'
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आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि 18 महीने में भारत की आर्थिक वृद्धि दर कोविड-19 पूर्व के स्तर पर आ जाएगी.
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत 2024-25 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल कर पाएगा, उन्होंने कहा, 'हम अभी 2021 में है. अभी चार साल का समय है. फिलहाल जो स्थिति है, उसको देखने से ऐसा नहीं लगता कि हम इस लक्ष्य को हासिल कर पाएंगे.'
जालान ने यह भी कहा कि उन्हें नहीं लगता कि कोई लक्ष्य तय करने की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा, 'हम सालाना आधार पर यह कर सकते हैं. हम अगले साल के लिए लक्ष्य तय कर सकते हैं. लेकिन मुझे नहीं लगता कि हम अगले पांच साल के लिए अंकों में कोई लक्ष्य तय कर सकते हैं.'
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जालान ने कहा कि आजादी के बाद भारत उन देशों में शामिल है, जिसने लोकतांत्रिक आधार पर बेहतर काम किया है.
उन्होंने कहा, 'नीति निर्माताओं ने लोगों की आंकाक्षाओं के अनुरूप कदम उठाए. अगले 4-5 साल में भारत की मुख्य प्राथमिकता गरीबी उन्मूलन और रोजगार उपलब्ध कराने पर होना चाहिए.'
जालान ने कहा कि रोजगार उपलब्ध कराने के मामले में भारत ने बहुत ज्यादा प्रगति नहीं की है.
किसानों के आंदोलन से जुड़े सवाल के जवाब में आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि उन्हें लगता है कि इस मामले में आपसी संवाद की कमी रही है.
उन्होंने कहा, 'लेकिन किसान जो चाहते हैं, उसपर बात तो होनी चाहिए. सरकार के लिए किसान नीति संबंधी इच्छा का समाधान करना आसान है.'
मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों के किसान सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.