बिजनेस डेस्क, ईटीवी भारत: भारतीय अर्थव्यवस्था डी-ग्रोथ का पुनरुद्धार के संकेत दिखाते हुए, जुलाई-सितंबर तिमाही में 7.5 प्रतिशत की ऋणात्मक वृद्धि पर पहुंच गया. अप्रैल-जून तिमाही में यह 23.9 प्रतिशत की गिरावट पर था.
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने कहा, "वास्तविक जीडीपी ने वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही में पिछले वर्ष की इसी तिमाही की तुलना में 7.5% का संकुचन दर्ज किया. वहीं पहली तिमाही में यह 23.9 फीसदी की गिरावट पर था."
अप्रैल-जून तिमाही के मुकाबले, जहां लगभग सभी क्षेत्रों ने नकारात्मक विकास दर दिखाया, दूसरी तिमाही में ज्यादातर संकेतकों ने तुलनात्मक सुधार दिखाया.
मंत्रालय ने कहा, "कृषि, वानिकी, मत्स्य पालन, विनिर्माण, बिजली, गैस, जल आपूर्ति और अन्य उपयोगिता सेवाओं में तिमाही के दौरान सकारात्मक वृद्धि देखी गई."
तकनीकी मंदी?
अगर अर्थव्यवस्था लगातार दो तिमाहियों में सिकुड़ती है, तो इसे मंदी के दौर में कहा जा सकता है.
इस मानक की परिभाषा के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही है, क्योंकि इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 23.9 फीसदी लुढ़की थी और इसके बाद 7.5 प्रतिशत का संकुचन हुआ था.
भारतीय अर्थव्यवस्था ने लगभग चार दशकों में अपना सबसे खराब संकुचन 25 मार्च से शुरू हुए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बाद देखा.
हालांकि, सरकार ने जून में अर्थव्यवस्था को अनलॉक करना शुरू कर दिया, जिसके बाद अर्थव्यवस्था में सुधार के कुछ संकेत मिले.
ये भी पढ़ें: भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता दुनिया में चौथी सबसे बड़ी : पीएम मोदी