नई दिल्ली : वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु की उनके अमेरिकी समकक्ष विलबर रॉस के साथ सोमवार को यहां हुई बैठक में भारत की ई-वाणिज्य नीति, डेटा के स्थानीयकरण तथा अमेरिका द्वारा इस्पात एवं एल्यूमिनीयम उत्पादों पर ऊंचा शुल्क लगाये जाने जैसे मुद्दों पर बातचीत हुई.
उन्होंने कहा कि इनके अलावा दोनों नेताओं के बीच चिकित्सकीय उपकरण, निजी डेटा संरक्षण विधेयक, रिजर्व बैंक की सार्वजनिक ऋण रजिस्ट्री, भुगतान कंपनियों के लिये डेटा के स्थानीयकरण, वीजा संबंधी मुद्दे, अमेरिका की विमानन कंपनियों द्वारा हवाई अड्डों पर जमीनी सेवाओं का परिचालन, बौद्धिक संपदा अधिकार और विमान यात्री सुरक्षा प्रणाली जैसे मुद्दों को लेकर अमेरिका की आपत्ति को लेकर भी चर्चा हुई.
एक सूत्र ने बताया कि हालांकि बैठक में अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात को सामान्य तरजीही प्रणाली (जीएसपी) से मिलने वाली छूट के दायरे से बाहर रखने के फैसले पर चर्चा नहीं हुई. भारत ने इस बैठक में चुनिंदा इस्पात एवं एल्यूमिनीयम उत्पादों पर अमेरिका द्वारा ऊंचा शुल्क लगाये जाने का मुद्दा उठाया. इसके अलावा भारत ने स्थानीय आईटी पेशेवरों एवं कंपनियों के लिये वीजा के प्रावधान में ढील देने की भी अमेरिका से मांग की.
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इस बीच दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक के बाद जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष आपसी हित के समाधान की तलाश कर विभिन्न स्तर पर नियमित तौर पर बातचीत करते हुए लंबित व्यापारिक मुद्दों को सुलझाने पर सहमत हुए.
बयान में कहा गया, "दोनों पक्ष सरकार, कंपनियों तथा उद्यमियों समेत विभिन्न संबंधित पक्षों के बीच बेहतर तालमेल के जरिये आर्थिक संबंधों और द्विपक्षीय व्यापार को और प्रगाढ़ बनाने पर सहमत हुए हैं."
रॉस अभी 11वें ट्रेड विंड्स बिजनेस फोरम में भाग लेने के लिये यहां आये हुए हैं. बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने विभिन्न लंबित व्यापार मुद्दों पर चर्चा की तथा समुचित समाधान खोजने के लिये विभिन्न स्तरों पर नियमित बातचीत करने पर सहमत हुए.
उल्लेखनीय है कि दोनों देशों के बीच वर्तमान में शुल्क मुद्दों को लेकर विवाद उभरा है. अमेरिका ने भारतीय निर्यात को तरजीही व्यापार व्यवस्था से हटाने का फैसला किया है. जबकि भारत ने भी इसके जवाब में कुछ अमेरिकी सामानों पर शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया है.
बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने 2018 के दौरान हुई प्रगति पर संतोष जताया. इस दौरान दोनों देशों के बीच वस्तु एवं सेवाओं के द्विपक्षीय व्यापार में 12.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और यह 142 अरब डालर पर पहुंच गया. वर्ष 2017 में यह आंकड़ा 126 अरब डालर रहा था.