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भारत अपने रणनीतिक भंडार से 50 लाख बैरल क्रूड ऑयल निकालेगा

कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेजी जारी है. कई देश कीमतों में कमी लाने का प्रयास कर रहे हैं. इस बीच भारत भी अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का हिस्सा बनेगा. भारत अपने रणनीतिक तेल भंडार से 50 लाख बैरल कच्चा तेल जारी करेगा. इससे कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों को नीचे लाने में मदद मिलेगी. आने वाले समय में पेट्रोल-डीजल के दाम कम हो सकते हैं.

crude oil
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Published : Nov 23, 2021, 2:58 PM IST

Updated : Nov 23, 2021, 7:55 PM IST

नई दिल्ली : भारत कच्चे तेल (crude oil) की कीमतों में कमी लाने के लिए जारी अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का हिस्सा बनते हुए अपने रणनीतिक तेल भंडार से 50 लाख बैरल कच्चा तेल जारी करेगा.

केंद्र सरकार ने मंगलवार को एक बयान में रणनीतिक तेल भंडार से 50 लाख बैरल तेल की निकासी करने के फैसले की जानकारी दी. यह पहला मौका है जब भारत अपने रणनीतिक भंडार से कच्चे तेल की निकासी करेगा. इससे कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों को नीचे लाने में मदद मिलेगी.

सरकार की तरफ से जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक, भारत अपने रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार से 50 लाख बैरल कच्चा तेल जारी करने पर सहमत हुआ है. यह कदम अमेरिका, चीन, जापान एवं दक्षिण कोरिया जैसे प्रमुख तेल उपभोक्ता देशों के साथ तालमेल बनाकर उठाया गया है.

इस बयान के मुताबिक, 'भारत का दृढ़ मत है कि तरल हाइड्रोकार्बन की कीमत तर्कसंगत होनी चाहिए. भारत ने बार-बार इस बात पर चिंता जताई है कि तेल उत्पादक देश तेल की आपूर्ति को कृत्रिम ढंग से मांग से कम रखते हैं. इससे तेल की कीमतें बढ़ती हैं और नकारात्मक नतीजे सामने आते हैं.'

हफ्ते-10 दिन में शुरू हो सकती है प्रक्रिया
हालांकि, बयान में यह नहीं बताया गया है कि रणनीतिक भंडार से कच्चे तेल की निकासी कब होगी लेकिन घटनाक्रम से परिचित एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगले हफ्ते-दस दिन में यह प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.

भारत के रणनीतिक भंडार से निकाले जाने वाले कच्चे तेल को मंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (एमआरपीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) को बेचा जाएगा. ये दोनों सरकारी तेल शोधन इकाइयां रणनीतिक तेल भंडार से पाइपलाइन के जरिये जुड़ी हुई हैं.

भारत ने अपने पश्चिमी एवं पूर्वी दोनों तटों पर रणनीतिक तेल भंडार बनाए हुए हैं. आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम और कर्नाटक के मंगलूरु एवं पदुर में ये भूमिगत तेल भंडार बनाए गए हैं. इनकी सामूहिक भंडारण क्षमता करीब 3.8 करोड़ बैरल की है.

पढ़ें- श्रीलंका ने कच्चे तेल के भुगतान के लिए भारत से 50 करोड़ डॉलर का ऋण मांगा

भारत ने यह कदम तेल उत्पादक देशों की तरफ से कीमतों में कमी लाने के लिए उत्पादन बढ़ाने से इनकार करने के बाद उठाया है. इसके लिए अमेरिका ने भारत के अलावा चीन एवं जापान से भी मिलकर प्रयास करने का अनुरोध किया था.

दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ तालमेल बनाकर यह कच्चा तेल बाजार में लाया जाएगा. भारत ने कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में जारी तेजी के बीच अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ मिलकर अपने आपातकालीन तेल भंडार से निकासी का कदम उठाया है. इससे कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने का आधार तैयार होगा.

तीसरा बड़ा तेल उपभोक्ता देश है भारत
भारत दुनिया का तीसरा बड़ा तेल उपभोक्ता देश है. पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पिछले हफ्ते दुबई में कहा था कि तेल कीमतें बढ़ने का असर वैश्विक आर्थिक पुनरुद्धार पर पड़ेगा.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 78 डॉलर प्रति बैरल पर हैं. पिछले महीने यह 86 डॉलर प्रति बैरल से भी ज्यादा हो गया था लेकिन यूरोप के कुछ देशों में फिर से लॉकडाउन लगने और प्रमुख उपभोक्ता देशों के मिलकर सुरक्षित तेल जारी करने की धमकियों से इसमें थोड़ी गिरावट आई है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : भारत कच्चे तेल (crude oil) की कीमतों में कमी लाने के लिए जारी अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का हिस्सा बनते हुए अपने रणनीतिक तेल भंडार से 50 लाख बैरल कच्चा तेल जारी करेगा.

केंद्र सरकार ने मंगलवार को एक बयान में रणनीतिक तेल भंडार से 50 लाख बैरल तेल की निकासी करने के फैसले की जानकारी दी. यह पहला मौका है जब भारत अपने रणनीतिक भंडार से कच्चे तेल की निकासी करेगा. इससे कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों को नीचे लाने में मदद मिलेगी.

सरकार की तरफ से जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक, भारत अपने रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार से 50 लाख बैरल कच्चा तेल जारी करने पर सहमत हुआ है. यह कदम अमेरिका, चीन, जापान एवं दक्षिण कोरिया जैसे प्रमुख तेल उपभोक्ता देशों के साथ तालमेल बनाकर उठाया गया है.

इस बयान के मुताबिक, 'भारत का दृढ़ मत है कि तरल हाइड्रोकार्बन की कीमत तर्कसंगत होनी चाहिए. भारत ने बार-बार इस बात पर चिंता जताई है कि तेल उत्पादक देश तेल की आपूर्ति को कृत्रिम ढंग से मांग से कम रखते हैं. इससे तेल की कीमतें बढ़ती हैं और नकारात्मक नतीजे सामने आते हैं.'

हफ्ते-10 दिन में शुरू हो सकती है प्रक्रिया
हालांकि, बयान में यह नहीं बताया गया है कि रणनीतिक भंडार से कच्चे तेल की निकासी कब होगी लेकिन घटनाक्रम से परिचित एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगले हफ्ते-दस दिन में यह प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.

भारत के रणनीतिक भंडार से निकाले जाने वाले कच्चे तेल को मंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (एमआरपीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) को बेचा जाएगा. ये दोनों सरकारी तेल शोधन इकाइयां रणनीतिक तेल भंडार से पाइपलाइन के जरिये जुड़ी हुई हैं.

भारत ने अपने पश्चिमी एवं पूर्वी दोनों तटों पर रणनीतिक तेल भंडार बनाए हुए हैं. आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम और कर्नाटक के मंगलूरु एवं पदुर में ये भूमिगत तेल भंडार बनाए गए हैं. इनकी सामूहिक भंडारण क्षमता करीब 3.8 करोड़ बैरल की है.

पढ़ें- श्रीलंका ने कच्चे तेल के भुगतान के लिए भारत से 50 करोड़ डॉलर का ऋण मांगा

भारत ने यह कदम तेल उत्पादक देशों की तरफ से कीमतों में कमी लाने के लिए उत्पादन बढ़ाने से इनकार करने के बाद उठाया है. इसके लिए अमेरिका ने भारत के अलावा चीन एवं जापान से भी मिलकर प्रयास करने का अनुरोध किया था.

दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ तालमेल बनाकर यह कच्चा तेल बाजार में लाया जाएगा. भारत ने कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में जारी तेजी के बीच अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ मिलकर अपने आपातकालीन तेल भंडार से निकासी का कदम उठाया है. इससे कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने का आधार तैयार होगा.

तीसरा बड़ा तेल उपभोक्ता देश है भारत
भारत दुनिया का तीसरा बड़ा तेल उपभोक्ता देश है. पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पिछले हफ्ते दुबई में कहा था कि तेल कीमतें बढ़ने का असर वैश्विक आर्थिक पुनरुद्धार पर पड़ेगा.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 78 डॉलर प्रति बैरल पर हैं. पिछले महीने यह 86 डॉलर प्रति बैरल से भी ज्यादा हो गया था लेकिन यूरोप के कुछ देशों में फिर से लॉकडाउन लगने और प्रमुख उपभोक्ता देशों के मिलकर सुरक्षित तेल जारी करने की धमकियों से इसमें थोड़ी गिरावट आई है.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Nov 23, 2021, 7:55 PM IST
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