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क्या है एयर बबल्‍स? जिसे भारत ने अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी के साथ बनाया है - जर्मनी के साथ बनाया है

उड्डयन की भाषा में 'एयर बबल' यात्रा व्यवस्था दो देशों के बीच एक खास सुरक्षा और यात्रियों की यात्रा शर्तो के समुच्चय के तहत स्थापित की जाती है, जैसे हाई डिमांड, लीगल एंट्री और एक्जिट नियम और इन सेक्टरों पर संचालन की एयरलाइन की इच्छा.

क्या है एयर बबल्‍स? जिसे भारत ने अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी के साथ बनाया है
क्या है एयर बबल्‍स? जिसे भारत ने अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी के साथ बनाया है
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Published : Jul 17, 2020, 11:08 AM IST

Updated : Jul 17, 2020, 5:15 PM IST

हैदराबाद: कोरोनो वायरस प्रकोप के बीच अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा को फिर से शुरू करने की दिशा में भारत ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए गुरुवार को फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका के साथ व्यक्तिगत द्विपक्षीय 'एयर बबल' स्थापित किए हैं. इससे इन देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को संचालित करने के लिए समझौते के रुप में देखा जाता है. जिसमें एयरलाइंस को विषेश अनुमति दी जाती है.

समझौते के तहत भारत ने एयर फ्रांस को दिल्ली, बेंगलुरू और मुंबई के लिए 18 जुलाई से एक अगस्त तक 28 उड़ानें संचालित करने की अनुमति दी है, जबकि अमेरिका स्थित युनाइटेड एयरलाइंस को 17 जुलाई से 31 जुलाई के बीच 18 उड़ानें संचालित करने की अनुमति दी गई है, और लुफ्थांसा की उड़ानों के लिए जर्मनी से बातचीत जारी है.

ये भी पढ़ें- समझिए: भारत की थोक और खुदरा मुद्रास्फीति दर में अंतर के कारण

हालांकि कई लोगों को नहीं पता है कि एयर बबल आखिर होता क्या है और भारतीय विमानन क्षेत्र ने कोरोनावायरस महामारी के बीच इसे क्यों शुरु किया है.

क्या है एयर बबल?

एयर बबल या यात्रा बबल अनिवार्य रूप से दो देशों के बीच एक समझौता है जो गैर-आवश्यक यात्राओं के लिए सीमाओं के पार यात्रा की अनुमति देता है.

इस तरह के सौदों के तहत निश्चित समय के लिए पूर्व-निर्धारित गंतव्यों के बीच निर्धारित संख्या में उड़ानें बिना रुके चलती हैं. आमतौर पर ऐसे गलियारे दोनों देशों के नागरिकों के लिए लंबी संगरोध की छूट देते हैं. हालांकि, विभिन्न देशों के साथ अलग-अलग व्यवस्थाओं के आधार पर स्थितियां भिन्न हो सकती हैं.

भारत ने एयर बबल को क्यों माना?

अमेरिका द्वारा शिकायत के बाद भारत ने एयर बबल पर विचार करना शुरू कर दिया था कि भारत ने अमेरिकी एयरलाइनों पर प्रतिबंध लगाकर उड़ान समझौतों का उल्लंघन कर रहा था, लेकिन एयर इंडिया को वंदे भारत मिशन के तहत भारतीय नागरिकों को कई देशों से वापस लाने की अनुमति दे रहा था.

एयर बबल बनाने को भारत द्वारा अमेरिकी सरकार के आरोपों के जवाब के रूप में देखा जा रहा है. क्रिसिल के अनुमान के मुताबिक, इस कदम से भारतीय उड्डयन क्षेत्र को कुछ राहत मिल सकती है, जो इस वित्त वर्ष में 24,000-25,000 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे में है.

किन देशों ने ऐसे एयर बबल संधियों पर हस्ताक्षर किए हैं?

कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद चीन और दक्षिण कोरिया के बीच पहला एयर बबल बना था. जब दोनों राष्ट्र मई से शुरू होने वाली कुछ व्यापारिक यात्रा की सुविधा शुरू करने पर सहमत हुए थे.

न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया ने भी 'तस्मान यात्रा बबल' के सेट-अप की घोषणा की है. लेकिन ऑस्ट्रेलिया में बढ़ते कोरोना मामलों के बीच अभी तक इसे चालू नहीं किया गया है.

एस्टोनिया, लिथुआनिया और लातविया के देशों ने भी बाहरी लोगों को प्रवेश करने से प्रतिबंधित करते हुए देशों के भीतर मुफ्त यात्रा की अनुमति दी है.

ऐसे एयर बबल के जोखिम क्या हैं?

हालांकि यात्रा के बबल अंतरराष्ट्रीय यात्रा को फिर से शुरू करने के लिए एक स्मार्ट तरीके की तरह प्रतीत होते हैं. लेकिन इन देशों में एक बार सीमाओं को फिर से खोलने के बाद कोरोना वायरस संक्रमण के फैलने का जोखिम शुरु हो सकता है.

इस सौदे में शामिल दोनों देशों को कोरोनो वायरस संक्रमण के ग्राफ को कर्व पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए था. लेकिन न तो भारत और न ही अमेरिका इसमें सफल होता दिख रहा है.

अब तक लगभग दस लाख कोरोना मामलों के साथ भारत महामारी को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष कर रहा है. जबकि अमेरिका 35 लाख से अधिक मामलों और सबसे ज्यादा मौतों के साथ सबसे अधिक प्रभावित देश बना हुआ है. यात्रा के बबल के खुलने से दोनों देशों के प्रकोप के प्रति और अधिक संवेदनशील होने की संभावना है.

थाईलैंड के एक प्रसिद्ध महामारी विज्ञानी थिरा वोराटानारट ने अपने फेसबुक पेज पर लिखते हुए एयर बबल के विचार को यह कहते हुए उछाला कि यह बहुत जल्दी है क्योंकि कोविड -19 महामारी अभी भी दुनिया के कई हिस्सों को तबाह कर रही है. इस समय ट्रैवल बबल की व्यवस्था के बारे में सोचा भी नहीं जाना चाहिए था.

(ईटीवी भारत रिपोर्ट)

हैदराबाद: कोरोनो वायरस प्रकोप के बीच अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा को फिर से शुरू करने की दिशा में भारत ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए गुरुवार को फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका के साथ व्यक्तिगत द्विपक्षीय 'एयर बबल' स्थापित किए हैं. इससे इन देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को संचालित करने के लिए समझौते के रुप में देखा जाता है. जिसमें एयरलाइंस को विषेश अनुमति दी जाती है.

समझौते के तहत भारत ने एयर फ्रांस को दिल्ली, बेंगलुरू और मुंबई के लिए 18 जुलाई से एक अगस्त तक 28 उड़ानें संचालित करने की अनुमति दी है, जबकि अमेरिका स्थित युनाइटेड एयरलाइंस को 17 जुलाई से 31 जुलाई के बीच 18 उड़ानें संचालित करने की अनुमति दी गई है, और लुफ्थांसा की उड़ानों के लिए जर्मनी से बातचीत जारी है.

ये भी पढ़ें- समझिए: भारत की थोक और खुदरा मुद्रास्फीति दर में अंतर के कारण

हालांकि कई लोगों को नहीं पता है कि एयर बबल आखिर होता क्या है और भारतीय विमानन क्षेत्र ने कोरोनावायरस महामारी के बीच इसे क्यों शुरु किया है.

क्या है एयर बबल?

एयर बबल या यात्रा बबल अनिवार्य रूप से दो देशों के बीच एक समझौता है जो गैर-आवश्यक यात्राओं के लिए सीमाओं के पार यात्रा की अनुमति देता है.

इस तरह के सौदों के तहत निश्चित समय के लिए पूर्व-निर्धारित गंतव्यों के बीच निर्धारित संख्या में उड़ानें बिना रुके चलती हैं. आमतौर पर ऐसे गलियारे दोनों देशों के नागरिकों के लिए लंबी संगरोध की छूट देते हैं. हालांकि, विभिन्न देशों के साथ अलग-अलग व्यवस्थाओं के आधार पर स्थितियां भिन्न हो सकती हैं.

भारत ने एयर बबल को क्यों माना?

अमेरिका द्वारा शिकायत के बाद भारत ने एयर बबल पर विचार करना शुरू कर दिया था कि भारत ने अमेरिकी एयरलाइनों पर प्रतिबंध लगाकर उड़ान समझौतों का उल्लंघन कर रहा था, लेकिन एयर इंडिया को वंदे भारत मिशन के तहत भारतीय नागरिकों को कई देशों से वापस लाने की अनुमति दे रहा था.

एयर बबल बनाने को भारत द्वारा अमेरिकी सरकार के आरोपों के जवाब के रूप में देखा जा रहा है. क्रिसिल के अनुमान के मुताबिक, इस कदम से भारतीय उड्डयन क्षेत्र को कुछ राहत मिल सकती है, जो इस वित्त वर्ष में 24,000-25,000 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे में है.

किन देशों ने ऐसे एयर बबल संधियों पर हस्ताक्षर किए हैं?

कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद चीन और दक्षिण कोरिया के बीच पहला एयर बबल बना था. जब दोनों राष्ट्र मई से शुरू होने वाली कुछ व्यापारिक यात्रा की सुविधा शुरू करने पर सहमत हुए थे.

न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया ने भी 'तस्मान यात्रा बबल' के सेट-अप की घोषणा की है. लेकिन ऑस्ट्रेलिया में बढ़ते कोरोना मामलों के बीच अभी तक इसे चालू नहीं किया गया है.

एस्टोनिया, लिथुआनिया और लातविया के देशों ने भी बाहरी लोगों को प्रवेश करने से प्रतिबंधित करते हुए देशों के भीतर मुफ्त यात्रा की अनुमति दी है.

ऐसे एयर बबल के जोखिम क्या हैं?

हालांकि यात्रा के बबल अंतरराष्ट्रीय यात्रा को फिर से शुरू करने के लिए एक स्मार्ट तरीके की तरह प्रतीत होते हैं. लेकिन इन देशों में एक बार सीमाओं को फिर से खोलने के बाद कोरोना वायरस संक्रमण के फैलने का जोखिम शुरु हो सकता है.

इस सौदे में शामिल दोनों देशों को कोरोनो वायरस संक्रमण के ग्राफ को कर्व पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए था. लेकिन न तो भारत और न ही अमेरिका इसमें सफल होता दिख रहा है.

अब तक लगभग दस लाख कोरोना मामलों के साथ भारत महामारी को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष कर रहा है. जबकि अमेरिका 35 लाख से अधिक मामलों और सबसे ज्यादा मौतों के साथ सबसे अधिक प्रभावित देश बना हुआ है. यात्रा के बबल के खुलने से दोनों देशों के प्रकोप के प्रति और अधिक संवेदनशील होने की संभावना है.

थाईलैंड के एक प्रसिद्ध महामारी विज्ञानी थिरा वोराटानारट ने अपने फेसबुक पेज पर लिखते हुए एयर बबल के विचार को यह कहते हुए उछाला कि यह बहुत जल्दी है क्योंकि कोविड -19 महामारी अभी भी दुनिया के कई हिस्सों को तबाह कर रही है. इस समय ट्रैवल बबल की व्यवस्था के बारे में सोचा भी नहीं जाना चाहिए था.

(ईटीवी भारत रिपोर्ट)

Last Updated : Jul 17, 2020, 5:15 PM IST
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