न्यूयार्क: भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका ने संयुक्तराष्ट्र, विश्व व्यापार संगठन तथा जी20 जैसे सभी अंतरराष्ट्रीय संगठनों में सुधार की मांग एक बार फिर दोहराई है. इन देशों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय संगठनों को अधिक समावेशी और अधिक उत्तरदायी बनाने के लिये बदलाव आवश्यक हैं.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर, ब्राजील के विदेश मंत्री एर्नेस्टो अराउजो और दक्षिण अफ्रीका के अंतरराष्ट्रीय संबंध एवं समन्वय मंत्री नालेदी पंडोर की यहां संयुक्तराष्ट्र महासभा की 74वीं बैठक से इतर बृहस्पतिवार को बैठक हुई. बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में इन देशों ने कहा है कि सुधार के इन लक्ष्यों को पाने के लिये विकास का अधिकार तथा अवसरों में समानता महत्वपूर्ण हैं.
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बयान में कहा गया, "हमारे देश बदलाव के सकारात्मक ताकतों की तरह मिलकर काम करना जारी रखेंगे. बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार के लिये बदलाव आवश्यक हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये संगठन सभी देशों और प्रत्येक मानव के लिये प्रभावी तरीके से काम करें."
बयान में कहा गया कि तीनों देशों ने विश्व व्यापार संगठन, जी20, ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका), बेसिक (ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन) तथा जी77 समेत सभी प्रासंगिक बहुपक्षीय मंचों एवं अंतरराष्ट्रीय संगठनों में तालमेल व समन्वय के साथ सुधार को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जाहिर की.
बयान के अनुसार, ऐसे समय में जब उल्लेखनीय और जबर्दस्त वैश्विक चुनौतियां सामने आ रही हैं, भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका "शांतिपूर्ण, सुरक्षित और समृद्ध विश्व बनाने में मदद करने के अपने साझा उद्देश्य एवं जिम्मेदारी को जाहिर करते हैं."
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने एक ट्वीट में कहा, "भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका बहुपक्षीय संगठनों में सुधार को बढ़ावा देने के लिये अधिक समावेशी, जिम्मेदार तथा भागीदारी युक्त अंतरराष्ट्रीय प्रशासन (गवर्नेंस) की वकालत करते हैं."
तीनों देशों ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों की नीति निर्धारण प्रक्रिया में विशेषकर अफ्रीका की उभरती एवं विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की आवाज तथा प्रतिनिधित्व बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्धता को दोहराया.
बयान में कहा गया, "बड़े लोकतंत्र तथा जीवंत राष्ट्र होने के नाते हमारा मानना है कि जनता को समावेशी अंतरराष्ट्रीय प्रशासन के केंद्र में रखा जाना चाहिये. हम हमारे लोगों की जरूरतों व उम्मीदों को पूरा करने तथा बढ़ती वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिये बहुपक्षीय संगठनों में बदलाव को लेकर प्रतिबद्ध हैं."
तीनों देशों ने संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की धीमी गति पर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद समेत संयुक्तराष्ट्र की प्रणाली में विस्तृत सुधार महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बना हुआ है. अगले वर्ष संयुक्तराष्ट्र की 75वीं वर्षगांठ है और इसे देखते हुए हम सुधार के मुद्दे पर प्रयासों को दोगुना करने की जरूरत समझते है.