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आईएलएंडएफएस छोटे लेनदारों के 80 फीसदी भुगतान करे: एनसीएलएटी - झारखंड

एनसीएलएटी ने कहा कि आईएलएंडएफएस को छोटे लेनदारों के बकाए का भुगतान कर देना चाहिए और इस तरीके से करना चाहिए कि कम से कम 80 फीसदी बकाए की रकम का भुगतान हो जाए.

आईएलएंडएफएस छोटे लेनदारों के 80 फीसदी भुगतान करे: एनसीएलएटी
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Published : Apr 17, 2019, 10:18 AM IST

नई दिल्ली: भविष्य निधि और पेंशन फंड सहित छोटे लेनदारों को देय राशि के पुनर्भुगतान पर जोर देते हुए, नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने मंगलवार की सुनवाई में कहा कि आईएलएंडएफएस को छोटे लेनदारों के बकाए का भुगतान कर देना चाहिए और इस तरीके से करना चाहिए कि कम से कम 80 फीसदी बकाए की रकम का भुगतान हो जाए.

आईएलएंडएफएस ने जब चार 'अम्बर' कंपनियों के विवरण के साथ एक चार्ट प्रस्तुत किया, तो ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एस.एस. मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली एनसीएलएटी की पीठ ने सरकार से बाकी नौ 'अम्बर' कंपनियों के विवरण प्रदान करने के लिए कहा.

ये भी पढ़ें- रिजर्व बैंक दास के दस्तखत वाले 50 रुपये का नोट जारी करेगा

आईएलएंडएफएस ने जिन कंपनियों के विवरण दाखिल किए, उसमें हजारीबाग रांची एक्सप्रेसवे, झारखंड रोड प्रोजेक्ट इंप्लेमेंटेशन कंपनी, मुरादाबाद बरेली एक्सप्रेसवे और वेस्ट गुजरात एक्सप्रेसवे शामिल हैं. समाधान योजना के तहत सरकार ने आईएलएंडएफएस समूह की कंपनियों को उनकी वित्तीय स्थितियों के मुताबिक हरा, अंबर और लाल श्रेणी में बांटा है.

जो कंपनियां 'हरा' श्रेणी में हैं, वे अपनी वित्तीय देनदारियों को पूरा करने में सक्षम हैं, जबकि 'अंबर' कंपनियां केवल परिचालन भुगतान दायित्वों को पूरा करने में ही सक्षम हैं. वहीं 'लाल' श्रेणी की कंपनियां अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करने में पूरी तरह से अक्षम है. ट्रिब्यूनल की अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होगी.

नई दिल्ली: भविष्य निधि और पेंशन फंड सहित छोटे लेनदारों को देय राशि के पुनर्भुगतान पर जोर देते हुए, नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने मंगलवार की सुनवाई में कहा कि आईएलएंडएफएस को छोटे लेनदारों के बकाए का भुगतान कर देना चाहिए और इस तरीके से करना चाहिए कि कम से कम 80 फीसदी बकाए की रकम का भुगतान हो जाए.

आईएलएंडएफएस ने जब चार 'अम्बर' कंपनियों के विवरण के साथ एक चार्ट प्रस्तुत किया, तो ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एस.एस. मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली एनसीएलएटी की पीठ ने सरकार से बाकी नौ 'अम्बर' कंपनियों के विवरण प्रदान करने के लिए कहा.

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आईएलएंडएफएस ने जिन कंपनियों के विवरण दाखिल किए, उसमें हजारीबाग रांची एक्सप्रेसवे, झारखंड रोड प्रोजेक्ट इंप्लेमेंटेशन कंपनी, मुरादाबाद बरेली एक्सप्रेसवे और वेस्ट गुजरात एक्सप्रेसवे शामिल हैं. समाधान योजना के तहत सरकार ने आईएलएंडएफएस समूह की कंपनियों को उनकी वित्तीय स्थितियों के मुताबिक हरा, अंबर और लाल श्रेणी में बांटा है.

जो कंपनियां 'हरा' श्रेणी में हैं, वे अपनी वित्तीय देनदारियों को पूरा करने में सक्षम हैं, जबकि 'अंबर' कंपनियां केवल परिचालन भुगतान दायित्वों को पूरा करने में ही सक्षम हैं. वहीं 'लाल' श्रेणी की कंपनियां अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करने में पूरी तरह से अक्षम है. ट्रिब्यूनल की अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होगी.

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आईएलएंडएफएस छोटे लेनदारों के 80 फीसदी भुगतान करे: एनसीएलएटी 

नई दिल्ली: भविष्य निधि और पेंशन फंड सहित छोटे लेनदारों को देय राशि के पुनर्भुगतान पर जोर देते हुए, नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने मंगलवार की सुनवाई में कहा कि आईएलएंडएफएस को छोटे लेनदारों के बकाए का भुगतान कर देना चाहिए और इस तरीके से करना चाहिए कि कम से कम 80 फीसदी बकाए की रकम का भुगतान हो जाए.



आईएलएंडएफएस ने जब चार 'अम्बर' कंपनियों के विवरण के साथ एक चार्ट प्रस्तुत किया, तो ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एस.एस. मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली एनसीएलएटी की पीठ ने सरकार से बाकी नौ 'अम्बर' कंपनियों के विवरण प्रदान करने के लिए कहा.



आईएलएंडएफएस ने जिन कंपनियों के विवरण दाखिल किए, उसमें हजारीबाग रांची एक्सप्रेसवे, झारखंड रोड प्रोजेक्ट इंप्लेमेंटेशन कंपनी, मुरादाबाद बरेली एक्सप्रेसवे और वेस्ट गुजरात एक्सप्रेसवे शामिल हैं. समाधान योजना के तहत सरकार ने आईएलएंडएफएस समूह की कंपनियों को उनकी वित्तीय स्थितियों के मुताबिक हरा, अंबर और लाल श्रेणी में बांटा है.



जो कंपनियां 'हरा' श्रेणी में हैं, वे अपनी वित्तीय देनदारियों को पूरा करने में सक्षम हैं, जबकि 'अंबर' कंपनियां केवल परिचालन भुगतान दायित्वों को पूरा करने में ही सक्षम हैं. वहीं 'लाल' श्रेणी की कंपनियां अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करने में पूरी तरह से अक्षम है. ट्रिब्यूनल की अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होगी.

 


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