नई दिल्ली: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिये जारी लॉकडाउन (बंद) का कृषि एवं संबद्ध सेवाओं पर प्रभाव का आकलन कर रही है. साथ ही देश की खाद्य सुरक्षा पर उसके प्रभाव को कम करने के लिये कदम उठा रही है.
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन आने वाली आईसीएआर कृषि क्षेत्र में अनुसंधान, शिक्षा, समन्वय और दिशानिर्देश के मामले में शीर्ष निकाय है.
आईसीएआर के एक अधिकारी ने कहा, "परिषद कोरोना वायरस और उसकी रोकथाम के लिये जारी देशव्यापी बंद के कृषि और संबद्ध क्षेत्रों पर संभावित प्रभाव और उसके दुष्प्रभाव को कम करने को लेकर दस्तावेज तैयार कर रही है. इसका उद्देश्य देश की खाद्य प्रणाली को दुरुस्त बनाये रखना है."
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अधिकारी ने कहा, "हालांकि सरकार ने फसलों की कटाई से लेकर उसे मंडियों में भेजने जैसे कई कृषि कार्यों को बंद से अलग रखा है पर आईसीएआर के अध्ययन से सरकार को आगे कदम उठाने में मदद मिलेगी."
अधिकारी ने कहा कि आईसीएआर ने किसानों को फसल केंद्रित परामर्श जारी किया है और उनसे कटाई और उसके बाद के कार्यों, भंडारण तथ विपणन के लिये एहतियाती और सुरक्षात्मक उपाय करने को कहा है.
सरकार ने कोरोना वायरस महामारी पर अंकुश लगाने के लिये 25 मार्च से 21 दिन के लिये देशव्यापी बंद की घोषणा की है. अधिकारी ने यह भी कहा कि आईसीएआर ने विभिन्न राज्यों में स्थित अपने सभी अतिथि गृहों को कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के लिये अलग वार्ड बनाने में उपयोग करने की पेशकश की है.
आईसीएआर के अनुसार उसके चार संस्थानों--राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान (भोपाल), राष्ट्रीय पशुरोग जानपदिक एवं सूचना विज्ञान संस्थान (बेंगलुरु), भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (इज्जतनगर) और नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन ईक्वाइन (हिसार) में कोरोना वायरस परीक्षण के लिये जरूरी सुविधाएं हैं.
परिषद ने कहा कि उसके संस्थान आसपास के श्रमिकों के परिसरों में खाना और साफ-सफाई से जुड़े उत्पाद उपलब्ध करा रहे हैं. साथ ही सभी कर्मचारी अपना एक दिन का वेतन प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं आपात स्थिति राहत कोष (पीएम-केयर्स) में दे रहे हैं. यह राशि करीब 6.06 करोड़ रुपये है.
(पीटीआई-भाषा)