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आईबीबीआई ने दिवाला समाधान प्रक्रिया की समयसीमा में छूट दी

कोरोना वायरस की वजह से लागू 21 दिन की बंदी के बीच आईबीबीआई ने कुछ नियमनों में संशोधन किया है. एक अधिसूचना में कहा गया है कि कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के लिए आईबीबीआई नियमनों के तहत तय समयसीमा में लॉकडाउन की अवधि को नहीं गिना जाएगा.

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Published : Mar 30, 2020, 10:58 AM IST

आईबीबीआई ने दिवाला समाधान प्रक्रिया की समयसीमा में छूट दी
आईबीबीआई ने दिवाला समाधान प्रक्रिया की समयसीमा में छूट दी

नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी फैलने के बीच भारतीय दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने समाधान पेशेवरों को राहत दी है. बोर्ड ने कुल 330 दिन की दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत विभिन्न प्रक्रियाओं में अपनाई जाने वाली समयसीमा में छूट दी है.

कोरोना वायरस की वजह से लागू 21 दिन की बंदी के बीच आईबीबीआई ने कुछ नियमनों में संशोधन किया है. एक अधिसूचना में कहा गया है कि कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के लिए आईबीबीआई नियमनों के तहत तय समयसीमा में लॉकडाउन की अवधि को नहीं गिना जाएगा.

ये भी पढ़ें- सरकार ने कहा- कंपनियों के पीएम-केयर्स में योगदान को सीएसआर खर्च माना जाएगा

आईबीबीआई के चेयरपर्सन एम एस साहू ने रविवार को पीटीआई भाषा से कहा, "सीआईआरपी में प्रत्येक गतिविधि के लिए एक समयसीमा तय है. राष्ट्रव्यापी बंदी की वजह से दिवाला समाधान पेशेवरों के लिए इस प्रक्रिया को करना संभव नहीं है."

साथ ही ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) के लिए निर्धारित समयसीमा में बैठक करना और संभावित समाधान आवेदकों के लिए समाधान योजना बनाना और जमा कर पाना संभव नहीं हैं.

साहू ने कहा, "इस स्थिति के मद्देनजर हमने नियमनों में संशोधन किया है. सीआईपीआर के तहत किसी भी गतिविधि के लिए लॉकडाउन की अवधि को समयसीमा में नहीं गिना जाएगा."

साहू ने स्पष्ट किया कि यह छूट संहिता के तहत उपलब्ध समयसीमा के अंतर्गत होगी. समाधान प्रक्रिया को पूरा करने की समयसीमा 330 दिन है. उन्होंने कहा कि संहिता में दी गई समयसीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है. यह नियमनों में दी गई समयसीमा में छूट है.

कोरोनोवायरस संकट के बीच कॉर्पोरेट जगत के लिए यह एक और बड़ी राहत है. आईबीसी के तहत हालिया बदलावों के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते कहा था कि आईबीसी के तहत डिफ़ॉल्ट के लिए सीमा मौजूदा 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दी गई है.

(एजेंसी इनपुट्स के साथ)

नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी फैलने के बीच भारतीय दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने समाधान पेशेवरों को राहत दी है. बोर्ड ने कुल 330 दिन की दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत विभिन्न प्रक्रियाओं में अपनाई जाने वाली समयसीमा में छूट दी है.

कोरोना वायरस की वजह से लागू 21 दिन की बंदी के बीच आईबीबीआई ने कुछ नियमनों में संशोधन किया है. एक अधिसूचना में कहा गया है कि कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के लिए आईबीबीआई नियमनों के तहत तय समयसीमा में लॉकडाउन की अवधि को नहीं गिना जाएगा.

ये भी पढ़ें- सरकार ने कहा- कंपनियों के पीएम-केयर्स में योगदान को सीएसआर खर्च माना जाएगा

आईबीबीआई के चेयरपर्सन एम एस साहू ने रविवार को पीटीआई भाषा से कहा, "सीआईआरपी में प्रत्येक गतिविधि के लिए एक समयसीमा तय है. राष्ट्रव्यापी बंदी की वजह से दिवाला समाधान पेशेवरों के लिए इस प्रक्रिया को करना संभव नहीं है."

साथ ही ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) के लिए निर्धारित समयसीमा में बैठक करना और संभावित समाधान आवेदकों के लिए समाधान योजना बनाना और जमा कर पाना संभव नहीं हैं.

साहू ने कहा, "इस स्थिति के मद्देनजर हमने नियमनों में संशोधन किया है. सीआईपीआर के तहत किसी भी गतिविधि के लिए लॉकडाउन की अवधि को समयसीमा में नहीं गिना जाएगा."

साहू ने स्पष्ट किया कि यह छूट संहिता के तहत उपलब्ध समयसीमा के अंतर्गत होगी. समाधान प्रक्रिया को पूरा करने की समयसीमा 330 दिन है. उन्होंने कहा कि संहिता में दी गई समयसीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है. यह नियमनों में दी गई समयसीमा में छूट है.

कोरोनोवायरस संकट के बीच कॉर्पोरेट जगत के लिए यह एक और बड़ी राहत है. आईबीसी के तहत हालिया बदलावों के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते कहा था कि आईबीसी के तहत डिफ़ॉल्ट के लिए सीमा मौजूदा 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दी गई है.

(एजेंसी इनपुट्स के साथ)

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