पिछले साल, भारत में 2 करोड़ से अधिक दोपहिया वाहन बेचे गए. इस उपलब्धि के साथ भारत दुनिया का सबसे बड़ा दोपहिया बाजार बन गया है. उद्योग जगत के विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल भी दोपहिया उद्योग का विकास खपत आधारित ही रहेगा, क्योंकि संभव है कि ब्याज दरें आगे भी कम रहेंगी और महंगाई भी नियंत्रण में रहेगी.
हालांकि, इस स्थिति का कहानी एक दूसरा पहलू भी है. जहां हर दिन सड़क पर दोपहिया वाहनों की संख्या बढ़ रही है, वहीं सड़क दुर्घटनाओं में भी लगातार वृद्धि हो रही है. दुर्भाग्य से, आज के समय में दुर्घटनाएं एक आम बात हो गई हैं. आजकल समाचार सड़क दुर्घटनाओं की खबरों से भरे होते हैं, इसमें सबसे अधिक दोपहिया वाहनों की दुर्घटनाएं होती हैं. आंकड़ों के अनुसार, भारत में होने वाली 95% सड़क दुर्घटनाएं दोपहिया वाहन से होती हैं.
पिछले दस वर्षों में सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों की बात करें तो, औसत वार्षिक सड़क मृत्यु दर का आंकड़ा 1.3 लाख है. वहीं, दुर्घटनाओं में शामिल सभी दोपहिया वाहनों में से 70 प्रतिशत से अधिक के पास किसी भी प्रकार का मोटर बीमा नहीं होता है. यह हालत तब है जब सरकार ने भारतीय सड़कों पर चलने वाले सभी दोपहिया वाहनों के लिए कम से कम थर्ड पार्टी इंश्योरेंस को अनिवार्य कर दिया है.
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थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस, वाहन को कवरेज प्रदान करने की बजाय थर्ड पार्टी डैमेज को सुरक्षा प्रदान करता है, फिर चाहे टू-व्हीलर की वजह से संपत्ति को नुकसान पहुंचा हो या व्यक्ति को. थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के तहत, जो घायल होता है वही मुआवजे का एकमात्र लाभार्थी होता है. यदि आप दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं, तो आप दुर्घटना में शामिल दोपहिया वाहन से मुआवजे का क्लेम कर सकते हैं. यहां मृत्यु या घायल होने पर दायित्व की कोई सीमा नहीं है, संपत्ति को हुए नुकसान का मुआवजा सरकारी नियमों के तहत ही तय होता है.
पिछले साल, सरकार ने किसी तीसरे पक्ष यानि थर्ड पार्टी के कारण होने वाली गंभीर दुर्घटनाओं और चोट के मुआवजे क्लेम के लिए देय न्यूनतम मुआवजे की राशि में संशोधन किया. संशोधन के अनुसार, 1 जनवरी 2019 से, मृत्यु की स्थिति में देय मुआवजे की न्यूनतम राशि को 5 प्रतिशत बढ़ाकर 5,25,000 रुपए कर दिया गया है. वहीं छोटी दुर्घटनाओं के मामले में न्यूनतम मुआवजा 25,000 रुपये से बढ़ाकर 26,250 रुपए कर दिया गया है.
जब दुर्घटना का कारण आप हों
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यदि आपकी गलती से कोई सड़क दुर्घटना होती है, तो दुर्घटना में शामिल तीसरा व्यक्ति वही अधिकार रखता है जो आपके पास हैं. तीसरा पक्ष आपके मोटर बीमा में थर्ड पार्टी कवर के माध्यम से क्लेम कर सकता है. थर्ड पार्टी कवर के माध्यम से दावा करने के लिए, प्रभावित तीसरे व्यक्ति को वाहन दुर्घटना क्लेम ट्रिब्युनल में वाहन मालिक और बीमा कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज करना होगा. पंजीकृत सभी मामलों के लिए, ट्रिब्युनल मुआवजे की अंतिम राशि तय करता है.
हालांकि, क्लेम करने से पहले, आपको इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि बीमा कंपनी द्वारा पीड़ित को दिए गए मुआवजे की राशि पर कुछ निश्चित सीमाएं होती हैं. संपत्ति और वाहन को पहुंचे नुकसान के लिए, बीमाकर्ता द्वारा देय अधिकतम राशि 7.5 लाख रुपये है। हालांकि, यदि निर्धारित मुआवजा अधिकतम सीमा से अधिक है, तो बीमा कंपनी केवल 7.5 लाख रुपये का भुगतान करेंगी, जबकि बाकी का भुगतान वाहन मालिक को करना होगा। थर्ड पार्टी की मृत्यु या घायल होने की स्थिति में, कोई सीमा नहीं होती है और मुआवजे की राशि अदालत द्वारा तय की जाती है. ऐसे सभी मामलों में, न्यायालय जो भी राशि तय करता है, उसे बीमा कंपनी द्वारा एक निश्चित समय सीमा के भीतर भुगतान करना होता है.
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यदि आप पीड़ित हैं
यदि सड़क पर, आप या आपके वाहन को किसी अन्य वाहन द्वारा टक्कर मारी जारी जाती है, तो आप तुरंत चिकित्सा खर्च और शरीर पर आई चोटों के उपचार के लिए क्लेम कर सकते हैं. आपकी संपत्ति या वाहन को नुकसान के मामले में, आपको एक अधिकृत वर्कशॉप से उचित रिपोर्ट पेश करने की जरूरत होती है. आपके नुकसान को मापने के लिए मूल बिल और निरीक्षण रिपोर्ट की भी आवश्यकता होगी. यदि आप आवश्यक प्रमाण की व्यवस्था करते हैं, तो तीसरे पक्ष की बीमा कंपनी आपको भुगतान करेगी. वहीं, मृत्यु की दशा में, मृतक के आश्रित आय की हानि के लिए क्लेम कर सकते हैं।
क्लेम की प्रक्रिया दुर्घटना के स्थल के निकटतम पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करने के साथ शुरू होती है. एक बार एफआईआर दर्ज हो जाने के बाद, आपको घटनाओं की श्रृंखला की चार्जशीट की आवश्यकता होगी और सभी महत्वपूर्ण दस्तावेजों को इकट्ठा करना होगा. अगली महत्वपूर्ण बात यह है कि आपको एक वकील करना होगा क्योंकि सभी थर्ड पार्टी बीमा क्लेम को एक विशेष अदालत (मोटर दुर्घटना क्लेम ट्रिब्युनल) में फाइल करना होता है. अदालत की कार्यवाही शुरू होने पर, ट्रिब्युनल दोनों पक्षों यानि दावेदार और प्रतिवादी को सुनता है, और दोनों पक्षों द्वारा प्रस्तुत सभी सबूतों की ठीक से जांच करता है. प्रदान किए गए सभी सबूतों और सुनवाई के आधार पर, ट्रिब्युनल मुआवजे की मात्रा तय करता है.
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(लेखक -तरुण माथुर, मुख्य व्यवसाय अधिकारी-सामान्य बीमा, पॉलिसीबाजार.कॉम)