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फ्लैट खरीदारों का मोदी को पत्र, आईबीसी में प्रस्तावित संशोधन को रोकने की मांग - दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता

घर खरीदारों के निकाय फोरम फॉर पीपल्स कलेक्टिव एफर्ट्स (एफपीसीई) ने इस बारे में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) में किसी प्रस्तावित संशोधन को रोकने की अपील की है.

फ्लैट खरीदारों का मोदी को पत्र, आईबीसी में प्रस्तावित संशोधन को रोकने की मांग
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Published : Nov 21, 2019, 2:04 PM IST

नई दिल्ली: घर खरीदारों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) में किसी प्रस्तावित संशोधन को रोकने की अपील की है. घर खरीदारों के निकाय फोरम फॉर पीपल्स कलेक्टिव एफर्ट्स (एफपीसीई) ने इस बारे में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर उनसे हस्तक्षेप की अपील की है.

आईबीसी में संशोधन के जरिये कानून के तहत वित्तीय ऋणदाता घोषित फ्लैट मालिकों के अधिकारों को कम करने का प्रस्ताव है. व्यक्तिगत फ्लैट खरीदार भी बिल्डरों को दिवाला अदालत में घसीट रहे हैं. ऐसे में दिल्ली-एनसीआर की रीयल एस्टेट कंपनियां मांग कर रही हैं कि सभी उपभोक्ताओं की शिकायतों की सुनवाई पहले नियामक रेरा करे और उसके बाद ही दिवाला कार्रवाई शुरू की जाए.

ये भी पढ़ें- कैबिनेट ने सीपीएसई में अपनी हिस्सेदारी को 51 फीसदी से नीचे लाने की मंजूरी दी

एफपीसीई के अध्यक्ष अभय उपाध्याय ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की है. पत्र में मोदी से आग्रह किया गया है कि आईबीसी में प्रस्तावित संशोधन को रोका जाए, जिसकी मांग बिल्डर कर रहे हैं.

उपाध्याय ने आरोप लगाया कि बिल्डर सरकार द्वारा फ्लैट खरीदारों को सशक्त करने और क्षेत्र में सुधार लाने के सभी कदमों को असफल करने का प्रयास कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, "हम आईबीसी में इस तरह के किसी भी प्रस्तावित संशोधन का कड़ा विरोध करते हैं." फ्लैट खरीदारों के निकाय ने कहा कि पीड़ित उपभोक्ता बिल्डर को किस अदालत में ले जाता है, यह तय करने का अधिकार बिल्डर को नहीं मिलना चाहिए.

नई दिल्ली: घर खरीदारों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) में किसी प्रस्तावित संशोधन को रोकने की अपील की है. घर खरीदारों के निकाय फोरम फॉर पीपल्स कलेक्टिव एफर्ट्स (एफपीसीई) ने इस बारे में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर उनसे हस्तक्षेप की अपील की है.

आईबीसी में संशोधन के जरिये कानून के तहत वित्तीय ऋणदाता घोषित फ्लैट मालिकों के अधिकारों को कम करने का प्रस्ताव है. व्यक्तिगत फ्लैट खरीदार भी बिल्डरों को दिवाला अदालत में घसीट रहे हैं. ऐसे में दिल्ली-एनसीआर की रीयल एस्टेट कंपनियां मांग कर रही हैं कि सभी उपभोक्ताओं की शिकायतों की सुनवाई पहले नियामक रेरा करे और उसके बाद ही दिवाला कार्रवाई शुरू की जाए.

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एफपीसीई के अध्यक्ष अभय उपाध्याय ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की है. पत्र में मोदी से आग्रह किया गया है कि आईबीसी में प्रस्तावित संशोधन को रोका जाए, जिसकी मांग बिल्डर कर रहे हैं.

उपाध्याय ने आरोप लगाया कि बिल्डर सरकार द्वारा फ्लैट खरीदारों को सशक्त करने और क्षेत्र में सुधार लाने के सभी कदमों को असफल करने का प्रयास कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, "हम आईबीसी में इस तरह के किसी भी प्रस्तावित संशोधन का कड़ा विरोध करते हैं." फ्लैट खरीदारों के निकाय ने कहा कि पीड़ित उपभोक्ता बिल्डर को किस अदालत में ले जाता है, यह तय करने का अधिकार बिल्डर को नहीं मिलना चाहिए.

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फ्लैट खरीदारों का मोदी को पत्र, आईबीसी में प्रस्तावित संशोधन को रोकने की मांग

नई दिल्ली: घर खरीदारों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) में किसी प्रस्तावित संशोधन को रोकने की अपील की है. घर खरीदारों के निकाय फोरम फॉर पीपल्स कलेक्टिव एफर्ट्स (एफपीसीई) ने इस बारे में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर उनसे हस्तक्षेप की अपील की है. 

आईबीसी में संशोधन के जरिये कानून के तहत वित्तीय ऋणदाता घोषित फ्लैट मालिकों के अधिकारों को कम करने का प्रस्ताव है. व्यक्तिगत फ्लैट खरीदार भी बिल्डरों को दिवाला अदालत में घसीट रहे हैं. ऐसे में दिल्ली-एनसीआर की रीयल एस्टेट कंपनियां मांग कर रही हैं कि सभी उपभोक्ताओं की शिकायतों की सुनवाई पहले नियामक रेरा करे और उसके बाद ही दिवाला कार्रवाई शुरू की जाए. 

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एफपीसीई के अध्यक्ष अभय उपाध्याय ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की है. पत्र में मोदी से आग्रह किया गया है कि आईबीसी में प्रस्तावित संशोधन को रोका जाए, जिसकी मांग बिल्डर कर रहे हैं. 

उपाध्याय ने आरोप लगाया कि बिल्डर सरकार द्वारा फ्लैट खरीदारों को सशक्त करने और क्षेत्र में सुधार लाने के सभी कदमों को असफल करने का प्रयास कर रहे हैं. 

उन्होंने कहा, "हम आईबीसी में इस तरह के किसी भी प्रस्तावित संशोधन का कड़ा विरोध करते हैं." फ्लैट खरीदारों के निकाय ने कहा कि पीड़ित उपभोक्ता बिल्डर को किस अदालत में ले जाता है, यह तय करने का अधिकार बिल्डर को नहीं मिलना चाहिए.

 


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