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जीएसटी काउंसिल की बैठक आज, राहत चाहते हैं जीएसटी भुगतानकर्ता

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Published : Jun 12, 2020, 9:17 AM IST

Updated : Jun 12, 2020, 10:56 AM IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में जीएसटी परिषद की 40वीं बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये होगी. इसमें राज्यों के वित्त मंत्री भी भाग लेंगे. परिषद अगस्त, 2017 से जनवरी, 2020 के दौरान जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं करने के लिए विलंब शुल्क को माफ करने पर भी विचार करेगी.

जीएसटी काउंसिल बैठक की आज, राहत चाहते हैं जीएसटी भुगतानकर्ता
जीएसटी काउंसिल बैठक की आज, राहत चाहते हैं जीएसटी भुगतानकर्ता

नई दिल्ली: माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की शुक्रवार को होने वाली बैठक में कर राजस्व पर कोविड-19 के प्रभाव पर विचार-विमर्श किया जाएगा. सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में राज्यों को मुआवजे के भुगतान की रूपरेखा पर फैसला हो सकता है.

कर विशेषज्ञों ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण जीएसटी परिषद की बैठक से पहले दो महत्वपूर्ण समय सीमाएं बढ़ाने की मांग की है. विशेष रूप से वित्त वर्ष 2018-19 के लिए जीएसटी रिटर्न दाखिल करने का विस्तार जो पिछले साल सितंबर में समाप्त हो गया था और वित्त वर्ष 2019-20 के लिए क्रेडिट नोट जारी करने की तारीख जो इस साल सितंबर से अगले साल मार्च तक है.

पुणे के चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रीतम महुरे ने कहा, "ऐसे लोग हैं जिन्होंने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए अपना जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं किया है और न ही उन्होंने देर से शुल्क का भुगतान किया है."

ये भी पढ़ें- वाणिज्यिक कोयला उत्खनन लाइसेंस की नीलामी की 18 जून को प्रधानमंत्री करेंगे शुरूआत

यदि कोई आपूर्तिकर्ता निर्धारित समय के भीतर जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं करता है, तो खरीदार जीएसटी के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ नहीं ले पाएंगे.

प्रीतम महुरे का कहना है कि अगर जीएसटी परिषद वित्त वर्ष 2018-19 के लिए लंबित रिटर्न भरने की समयसीमा बढ़ाने का फैसला करती है तो यह उन खरीदारों के लिए बड़ी राहत होगी जो अपने इनपुट टैक्स का दावा नहीं कर सकते थे क्योंकि उनके आपूर्तिकर्ता समय पर अपना रिटर्न दाखिल नहीं करते थे.

प्रीतम महुरे ने ईटीवी भारत को बताया कि, "वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान किए गए लेनदेन के मामले में जीएसटी परिषद ने इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने के लिए मार्च 2019 तक की समय सीमा बढ़ा दी थी. इसी तरह, एक उम्मीद यह है कि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान किए गए लेनदेन के मामले में परिषद सितंबर 2020 तक इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने की समय सीमा बढ़ाई जाएगी."

करदाताओं और विशेषज्ञों के बीच एक और उम्मीद है कि देश में जीएसटी को लागू करने के लिए शीर्ष निकाय खरीदारों को क्रेडिट नोट जारी करने की समय सीमा भी बढ़ाएगा.

ये क्रेडिट नोट आपूर्तिकर्ताओं द्वारा उन खरीदारों को जारी किए जाते हैं जहां किसी भी कारण से बिक्री के बाद माल की बिक्री की कीमत घटानी होगी. ऐसे मामलों में, आपूर्तिकर्ता कीमत अंतर के लिए खरीदार को एक क्रेडिट नोट जारी करता है जो एक डीलर या वितरक जैसे मध्यस्थ की जीएसटी देयता को कम करता है.

वित्त वर्ष 2019-20 (अप्रैल से मार्च) के लिए क्रेडिट नोट जारी करने की तारीख इस साल सितंबर में समाप्त हो जाएगी.

प्रीतम महुरे का कहना है कि निर्माताओं की एक महत्वपूर्ण संख्या या तो छूट की पेशकश करेगी या उनके द्वारा पहले से ही आपूर्ति की गई वस्तुओं के लिए अपने डीलर की कीमतों को कम करेगी. जिससे डीलरों को स्टॉक खाली करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके क्योंकि कोविड -19 के प्रकोप ने बिक्री को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है.

प्रीतम महूरे ने कहा कि जीएसटी कानून इस साल सितंबर तक क्रेडिट नोट जारी करने की अनुमति देता है, लेकिन कोविड -19 के प्रकोप के कारण इस समय सीमा को मार्च 2021 तक बढ़ा दिया जाना चाहिए.

सूत्रों ने कहा कि बैठक में कोरोना वायरस की वजह से केंद्र और राज्यों के राजस्व पर पड़े प्रभाव की समीक्षा होगी. साथ ही इसकी भरपाई के उपायों पर भी विचार किया जाएगा. कर संग्रह में कमी तथा जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की तारीख आगे बढ़ाने की वजह से सरकार ने अप्रैल और मई माह के जीएसटी संग्रह के आंकड़े जारी नहीं किए हैं.

(लेखक - कृष्णानन्द त्रिपाठी, वरिष्ट पत्रकार)

नई दिल्ली: माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की शुक्रवार को होने वाली बैठक में कर राजस्व पर कोविड-19 के प्रभाव पर विचार-विमर्श किया जाएगा. सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में राज्यों को मुआवजे के भुगतान की रूपरेखा पर फैसला हो सकता है.

कर विशेषज्ञों ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण जीएसटी परिषद की बैठक से पहले दो महत्वपूर्ण समय सीमाएं बढ़ाने की मांग की है. विशेष रूप से वित्त वर्ष 2018-19 के लिए जीएसटी रिटर्न दाखिल करने का विस्तार जो पिछले साल सितंबर में समाप्त हो गया था और वित्त वर्ष 2019-20 के लिए क्रेडिट नोट जारी करने की तारीख जो इस साल सितंबर से अगले साल मार्च तक है.

पुणे के चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रीतम महुरे ने कहा, "ऐसे लोग हैं जिन्होंने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए अपना जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं किया है और न ही उन्होंने देर से शुल्क का भुगतान किया है."

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यदि कोई आपूर्तिकर्ता निर्धारित समय के भीतर जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं करता है, तो खरीदार जीएसटी के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ नहीं ले पाएंगे.

प्रीतम महुरे का कहना है कि अगर जीएसटी परिषद वित्त वर्ष 2018-19 के लिए लंबित रिटर्न भरने की समयसीमा बढ़ाने का फैसला करती है तो यह उन खरीदारों के लिए बड़ी राहत होगी जो अपने इनपुट टैक्स का दावा नहीं कर सकते थे क्योंकि उनके आपूर्तिकर्ता समय पर अपना रिटर्न दाखिल नहीं करते थे.

प्रीतम महुरे ने ईटीवी भारत को बताया कि, "वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान किए गए लेनदेन के मामले में जीएसटी परिषद ने इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने के लिए मार्च 2019 तक की समय सीमा बढ़ा दी थी. इसी तरह, एक उम्मीद यह है कि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान किए गए लेनदेन के मामले में परिषद सितंबर 2020 तक इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने की समय सीमा बढ़ाई जाएगी."

करदाताओं और विशेषज्ञों के बीच एक और उम्मीद है कि देश में जीएसटी को लागू करने के लिए शीर्ष निकाय खरीदारों को क्रेडिट नोट जारी करने की समय सीमा भी बढ़ाएगा.

ये क्रेडिट नोट आपूर्तिकर्ताओं द्वारा उन खरीदारों को जारी किए जाते हैं जहां किसी भी कारण से बिक्री के बाद माल की बिक्री की कीमत घटानी होगी. ऐसे मामलों में, आपूर्तिकर्ता कीमत अंतर के लिए खरीदार को एक क्रेडिट नोट जारी करता है जो एक डीलर या वितरक जैसे मध्यस्थ की जीएसटी देयता को कम करता है.

वित्त वर्ष 2019-20 (अप्रैल से मार्च) के लिए क्रेडिट नोट जारी करने की तारीख इस साल सितंबर में समाप्त हो जाएगी.

प्रीतम महुरे का कहना है कि निर्माताओं की एक महत्वपूर्ण संख्या या तो छूट की पेशकश करेगी या उनके द्वारा पहले से ही आपूर्ति की गई वस्तुओं के लिए अपने डीलर की कीमतों को कम करेगी. जिससे डीलरों को स्टॉक खाली करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके क्योंकि कोविड -19 के प्रकोप ने बिक्री को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है.

प्रीतम महूरे ने कहा कि जीएसटी कानून इस साल सितंबर तक क्रेडिट नोट जारी करने की अनुमति देता है, लेकिन कोविड -19 के प्रकोप के कारण इस समय सीमा को मार्च 2021 तक बढ़ा दिया जाना चाहिए.

सूत्रों ने कहा कि बैठक में कोरोना वायरस की वजह से केंद्र और राज्यों के राजस्व पर पड़े प्रभाव की समीक्षा होगी. साथ ही इसकी भरपाई के उपायों पर भी विचार किया जाएगा. कर संग्रह में कमी तथा जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की तारीख आगे बढ़ाने की वजह से सरकार ने अप्रैल और मई माह के जीएसटी संग्रह के आंकड़े जारी नहीं किए हैं.

(लेखक - कृष्णानन्द त्रिपाठी, वरिष्ट पत्रकार)

Last Updated : Jun 12, 2020, 10:56 AM IST

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