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गूगल और पेटीएम विवाद पर नजर बनाए हुई है सरकार: अधिकारी

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के संयुक्त सचिव अनिल अग्रवाल ने कहा कि सरकार पेटीएम और गूगल के विवाद के बारे में जानती हैं और इस पर नजर रख रही है.

गूगल और पेटीएम विवाद पर नजर बनाए हुई है सरकार: अधिकारी
गूगल और पेटीएम विवाद पर नजर बनाए हुई है सरकार: अधिकारी
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Published : Oct 7, 2020, 12:39 PM IST

Updated : Oct 7, 2020, 12:44 PM IST

नई दिल्ली: केंद्र के एक शीर्ष अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि देश के अग्रणी डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म पेटीएम और दुनिया की सबसे बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनी गूगल के बीच सार्वजनिक झगड़े ने केंद्र सरकार का ध्यान खींचा है.

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के संयुक्त सचिव अनिल अग्रवाल ने कहा, "हम इस खबर के बारे में जागरूक हैं और इस पर नजर रख रहे हैं."

अग्रवाल ने ईटीवी भारत को बताया, "यह मामला हमारे विचाराधीन है, लेकिन इस समय इस पर चर्चा करना उचित नहीं होगा."

ये भी पढ़ें- मौद्रिक नीति समिति में नए सदस्य 'कम ब्याज दर' को बढ़ावा दे सकते हैं: विश्लेषक

अल्फाबेट स्वामित्व वाली दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे शक्तिशाली प्रौद्योगिकी कंपनी गूगल और भारत की बड़ी डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म कंपनी पेटीएम के बीच पिछले महीने प्लेस्टोर से पेटीएम को हटाने के बाद विवाद शुरु हुआ.

जिसके बाद पेटीएम ने सोमवार को ऐप बनाने वाले भारतीय विकासकर्ताओं के लिये एंड्रायड मिनी ऐप स्टोर की शुरुआत की. पेटीएम ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा कि वह अपनी ऐप के दायरे में मिनी ऐप को सूचीबद्ध करने अथवा उनका वितरण करने को लेकर कोई शुल्क नहीं लेगा.

हालांकि, इस झगड़े ने भारत के डिजिटल तंत्र पर गूगल के प्रभुत्व को उजागर किया. बता दें कि लगभग 95 प्रतिशत भारतीय स्मार्ट फोन गूगल के ऑपरेटिंग सिस्टम एंड्रॉइड पर चलते हैं.

पिछले महीने प्रकाशित एक ब्लॉग पोस्ट में पेटीएम ने कहा कि उसे फिर से सूचीबद्ध होने के लिए अपने यूपीआई कैशबैक ऑफर और स्क्रैच कार्ड को हटाने के लिए गूगल के आदेश का पालन करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

पेटीएम ने कहा, "यह सभी भारतीय इंटरनेट कंपनियों से परिचित होगा क्योंकि वे हर दिन भारत के डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र पर गूगल के वर्चस्व और डर का सामना करते हैं."

पेटीएम ने कहा कि ऐप प्ले स्टोर की नीतियां भेदभाव वाली हैं और परोक्ष तौर पर बाजार में गूगल का एकाधिकार स्थापित करने के लिये बनायी गयी हैं. उसने कहा कि उसे इस भेदभावपूर्ण नीति का अनुसरण करने के लिये बाध्य किया गया है.

पेटीएम ने गूगल प्ले स्टोर से एक आधिकारिक संचार का स्क्रीनशॉट भी साझा किया. जिसे गूगल ने ऑनलाइन जुआ से संबंधित अपनी नीति का उल्लंघन माना था. पेटीएम ने अपने भुगतान ऐप गूगल पे के माध्यम से समान सेवाओं की पेशकश के लिए गूगल को भी दोषी ठहराया.

गूगल और पेटीएम का झगड़ा ऐसे समय में आया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार अपनी महत्वपूर्ण योजना आत्मनिर्भर भारत के तहत अर्थव्यवस्था के हर महत्वपूर्ण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर जोर दे रही है और उसने डेटा गोपनीयता संबंधी चिंताओं पर सैकड़ों चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया है.

पेटीएम ने कहा कि उसका मिनी स्टोर भारतीय डेवलपर्स को उनके अनुप्रयोगों को जनता तक ले जाने में सक्षम करेगा.

पेटीएम ने कहा कि उसका एंड्रॉइड मिनी स्टोर बिना किसी शुल्क के ऐप के भीतर मिनी-ऐप की लिस्टिंग और वितरण प्रदान करेगा और डेवलपर्स उपयोगकर्ताओं को पेटीएम वॉलेट, यूपीआई, पेटीएम पेमेंट्स बैंक, कार्ड से भुगतान और अन्य चीजों के लिए नेट बैंकिंग का विकल्प दे सकेंगे.

लेखक - कृष्णानन्द त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार

नई दिल्ली: केंद्र के एक शीर्ष अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि देश के अग्रणी डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म पेटीएम और दुनिया की सबसे बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनी गूगल के बीच सार्वजनिक झगड़े ने केंद्र सरकार का ध्यान खींचा है.

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के संयुक्त सचिव अनिल अग्रवाल ने कहा, "हम इस खबर के बारे में जागरूक हैं और इस पर नजर रख रहे हैं."

अग्रवाल ने ईटीवी भारत को बताया, "यह मामला हमारे विचाराधीन है, लेकिन इस समय इस पर चर्चा करना उचित नहीं होगा."

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अल्फाबेट स्वामित्व वाली दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे शक्तिशाली प्रौद्योगिकी कंपनी गूगल और भारत की बड़ी डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म कंपनी पेटीएम के बीच पिछले महीने प्लेस्टोर से पेटीएम को हटाने के बाद विवाद शुरु हुआ.

जिसके बाद पेटीएम ने सोमवार को ऐप बनाने वाले भारतीय विकासकर्ताओं के लिये एंड्रायड मिनी ऐप स्टोर की शुरुआत की. पेटीएम ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा कि वह अपनी ऐप के दायरे में मिनी ऐप को सूचीबद्ध करने अथवा उनका वितरण करने को लेकर कोई शुल्क नहीं लेगा.

हालांकि, इस झगड़े ने भारत के डिजिटल तंत्र पर गूगल के प्रभुत्व को उजागर किया. बता दें कि लगभग 95 प्रतिशत भारतीय स्मार्ट फोन गूगल के ऑपरेटिंग सिस्टम एंड्रॉइड पर चलते हैं.

पिछले महीने प्रकाशित एक ब्लॉग पोस्ट में पेटीएम ने कहा कि उसे फिर से सूचीबद्ध होने के लिए अपने यूपीआई कैशबैक ऑफर और स्क्रैच कार्ड को हटाने के लिए गूगल के आदेश का पालन करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

पेटीएम ने कहा, "यह सभी भारतीय इंटरनेट कंपनियों से परिचित होगा क्योंकि वे हर दिन भारत के डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र पर गूगल के वर्चस्व और डर का सामना करते हैं."

पेटीएम ने कहा कि ऐप प्ले स्टोर की नीतियां भेदभाव वाली हैं और परोक्ष तौर पर बाजार में गूगल का एकाधिकार स्थापित करने के लिये बनायी गयी हैं. उसने कहा कि उसे इस भेदभावपूर्ण नीति का अनुसरण करने के लिये बाध्य किया गया है.

पेटीएम ने गूगल प्ले स्टोर से एक आधिकारिक संचार का स्क्रीनशॉट भी साझा किया. जिसे गूगल ने ऑनलाइन जुआ से संबंधित अपनी नीति का उल्लंघन माना था. पेटीएम ने अपने भुगतान ऐप गूगल पे के माध्यम से समान सेवाओं की पेशकश के लिए गूगल को भी दोषी ठहराया.

गूगल और पेटीएम का झगड़ा ऐसे समय में आया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार अपनी महत्वपूर्ण योजना आत्मनिर्भर भारत के तहत अर्थव्यवस्था के हर महत्वपूर्ण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर जोर दे रही है और उसने डेटा गोपनीयता संबंधी चिंताओं पर सैकड़ों चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया है.

पेटीएम ने कहा कि उसका मिनी स्टोर भारतीय डेवलपर्स को उनके अनुप्रयोगों को जनता तक ले जाने में सक्षम करेगा.

पेटीएम ने कहा कि उसका एंड्रॉइड मिनी स्टोर बिना किसी शुल्क के ऐप के भीतर मिनी-ऐप की लिस्टिंग और वितरण प्रदान करेगा और डेवलपर्स उपयोगकर्ताओं को पेटीएम वॉलेट, यूपीआई, पेटीएम पेमेंट्स बैंक, कार्ड से भुगतान और अन्य चीजों के लिए नेट बैंकिंग का विकल्प दे सकेंगे.

लेखक - कृष्णानन्द त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार

Last Updated : Oct 7, 2020, 12:44 PM IST
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