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केंद्र सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोप के बाद 15 और अधिकारियों को किया जबरन रिटायर

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Published : Sep 27, 2019, 7:00 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 6:11 AM IST

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टेक्सेस ने सीआईटी, जेसीआईटी, एडिश्नल सीआईटी, एसीआईटी के पद पर कार्यरत वरिष्ठ अधिकारियों को मौलिक नियम 56 (जे) के तहत जबरन रिटायर कर दिया है. रिटायर होने वाले अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और सीबीआई के मामले समेत कई केस थे.

केंद्र सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोप के बाद 15 और अधिकारियों को किया जबरन रिटायर

नई दिल्ली: नई दिल्ली: भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों में संलिप्त अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाने के अभियान के चौथे चक्र में 15 और कर अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्ति दी गयी है. केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने मूलभूत नियम 56 (जे) के तहत भ्रष्टाचार और दूसरे आरोपों वाले 15 वरिष्ठ अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर भेज दिया. आधिकारिक सूत्रों न यह जानकारी दी.

इस साल जून के बाद यह चौथा मौका है जब सरकार ने भ्रष्ट और अवैध गतिविधियों के आरोपों वाले कर अधिकारियों को नौकरी से बाहर किया है. इससे पहले के तीन दौर में केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के 12 अधिकारियों सहित कुल 49 कर अधिकारियों को बाहर किया गया.

ये अधिकारी हुए अनिवार्य सेवानिवृत्ति
बर्खास्त अधिकारी में ओपी मीणा, शैलेंद्र ममदी, पीके बजाज, संजीव घी, के जयप्रकाश, वी अप्पला राजू, राकेश एच शर्मा, नितिन गर्ग, एसए फजलुल्ला, कृपा सागर दास, पी जोस कुंजपिपलू, सीजे विंसेंट, टीके भट्टाचार्य, कमलेश कुमार त्रिपाठी हैं और एसआर सेनापति शामिल हैं.

सूत्रों ने बताया कि कर विभाग का यह कदम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लाल किले से दिये गये भाषण के अनुरूप है. प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त पर लालकिले से अपने संबोधन में कहा था कि कर विभाग में कुछ ऐसे लोग हो सकते हैं जो अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल करते हैं और करदाताओं को बेवजह परेशान करते हैं. विभाग को कलंकित करने वाले ये लोग ईमानदार करदाताओं को अपना लक्ष्य बनाते हैं या फिर मामूली अथवा प्रक्रियात्मक उल्लंघन जैसे छोटे मोटे उल्लंघनों को लेकर जरूरत से ज्यादा कर्रवाई करते हैं.

ये भी पढ़ें- पूंजीगत खर्च रास्ते पर, मंत्रालयों से 4 तिमाहियों की पूंजीगत खर्च की योजना मांगी गयी: वित्त मंत्री

प्रधानमंत्री ने कहा, "हमने हाल ही में इस मामले में ठोस कदम उठाया है. काफी संख्या में हमने कर अधिकारियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्ति पर भेज दिया. हमारी सरकार इस प्रकार के व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करेगी."

जिन अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत किया गया है उनमें से करीब आधे अधिकारियों को कथित तौर पर अवैध रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया. इनमें से एक अधिकारी को तो 15 हजार रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा गया. एक अधिकारी के पास उसके ज्ञात आय के स्रोतों से अधिक संपत्ति पाई गई.

केन्द्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1972 की तहत नियम 56 (जे) सरकार को सरकारी कर्मचारियों के कार्य प्रदर्शन की समय समय पर समीक्षा का अधिकार देता है. इसमें गौर किया जाता है कि संबंधित अधिकारी को सार्वजनिक हित में नौकरी पर रखा जाये अथवा सेवानिवृत कर दिया जाये.

नई दिल्ली: नई दिल्ली: भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों में संलिप्त अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाने के अभियान के चौथे चक्र में 15 और कर अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्ति दी गयी है. केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने मूलभूत नियम 56 (जे) के तहत भ्रष्टाचार और दूसरे आरोपों वाले 15 वरिष्ठ अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर भेज दिया. आधिकारिक सूत्रों न यह जानकारी दी.

इस साल जून के बाद यह चौथा मौका है जब सरकार ने भ्रष्ट और अवैध गतिविधियों के आरोपों वाले कर अधिकारियों को नौकरी से बाहर किया है. इससे पहले के तीन दौर में केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के 12 अधिकारियों सहित कुल 49 कर अधिकारियों को बाहर किया गया.

ये अधिकारी हुए अनिवार्य सेवानिवृत्ति
बर्खास्त अधिकारी में ओपी मीणा, शैलेंद्र ममदी, पीके बजाज, संजीव घी, के जयप्रकाश, वी अप्पला राजू, राकेश एच शर्मा, नितिन गर्ग, एसए फजलुल्ला, कृपा सागर दास, पी जोस कुंजपिपलू, सीजे विंसेंट, टीके भट्टाचार्य, कमलेश कुमार त्रिपाठी हैं और एसआर सेनापति शामिल हैं.

सूत्रों ने बताया कि कर विभाग का यह कदम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लाल किले से दिये गये भाषण के अनुरूप है. प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त पर लालकिले से अपने संबोधन में कहा था कि कर विभाग में कुछ ऐसे लोग हो सकते हैं जो अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल करते हैं और करदाताओं को बेवजह परेशान करते हैं. विभाग को कलंकित करने वाले ये लोग ईमानदार करदाताओं को अपना लक्ष्य बनाते हैं या फिर मामूली अथवा प्रक्रियात्मक उल्लंघन जैसे छोटे मोटे उल्लंघनों को लेकर जरूरत से ज्यादा कर्रवाई करते हैं.

ये भी पढ़ें- पूंजीगत खर्च रास्ते पर, मंत्रालयों से 4 तिमाहियों की पूंजीगत खर्च की योजना मांगी गयी: वित्त मंत्री

प्रधानमंत्री ने कहा, "हमने हाल ही में इस मामले में ठोस कदम उठाया है. काफी संख्या में हमने कर अधिकारियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्ति पर भेज दिया. हमारी सरकार इस प्रकार के व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करेगी."

जिन अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत किया गया है उनमें से करीब आधे अधिकारियों को कथित तौर पर अवैध रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया. इनमें से एक अधिकारी को तो 15 हजार रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा गया. एक अधिकारी के पास उसके ज्ञात आय के स्रोतों से अधिक संपत्ति पाई गई.

केन्द्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1972 की तहत नियम 56 (जे) सरकार को सरकारी कर्मचारियों के कार्य प्रदर्शन की समय समय पर समीक्षा का अधिकार देता है. इसमें गौर किया जाता है कि संबंधित अधिकारी को सार्वजनिक हित में नौकरी पर रखा जाये अथवा सेवानिवृत कर दिया जाये.

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नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार, सीबीआई मामलों और अन्य आरोपों के कारण अब 15 वरिष्ठ आयकर अधिकारियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया है.

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टेक्सेस ने सीआईटी, जेसीआईटी, एडिश्नल सीआईटी, एसीआईटी के पद पर कार्यरत वरिष्ठ अधिकारियों को मौलिक नियम 56 (जे) के तहत जबरन रिटायर कर दिया है. रिटायर होने वाले अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और सीबीआई के मामले समेत कई केस थे.

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इससे पहले सीबीडीटी के 12 अधिकारियों सहित 49 उच्च पदों पर कार्यरत कर अधिकारियों को अनिवार्य रूप से मौलिक नियम 56 (जे) के तहत इस वर्ष की शुरुआत में सेवानिवृत्त किया गया था.

 


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Last Updated : Oct 2, 2019, 6:11 AM IST
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