नई दिल्ली: भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) पवन अग्रवाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि स्कूली बच्चों के बीच सुरक्षित और पौष्टिक भोजन को बढ़ावा देने के प्रयास किए जाएंगे. इसके तहत संस्था ने स्कूल के परिसर में और उसके आसपास के इलाकों में अस्वास्थ्यकर भोजन के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया है.
उन्होंने कहा कि एफएसएसएआई ने स्कूलों में सुरक्षित, पूर्ण और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता पर एक मसौदा विनियमन तैयार किया है जिसे स्वास्थ्य मंत्रालय को अनुमोदन के लिए भेजा गया है.
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अग्रवाल ने स्कूल हेल्थकेयर पर हुए एसोचैम के एक सम्मेलन में पीटीआई-भाषा से कहा, "हमने स्कूल परिसर और उसके 50 मीटर के दायरे में गैर-स्वास्थकारी खाद्य पदार्थो के विज्ञापनों और प्रचार पर अंकुश लगाने का प्रस्ताव किया है." मार्च 2015 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्कूल के बच्चों के लिए स्वस्थकर भोजन को बढ़ावा देने के लिए खाद्य नियामक को नियमों को बनाने का निर्देश दिया था.
सम्मेलन को संबोधित करते हुए अग्रवाल ने कहा, "लगभग तीन साल पहले, उच्च न्यायालय ने हमें स्कूली बच्चों के लिए स्वास्थ्यकर आहार पर नियमन लाने के लिए कहा था. हम उस नियमन को एक साथ रखने में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, क्योंकि अगर आपको कोई कानून बनाना है, तो उसे लागू भी करना होगा." मसौदा विनियमन में एफएसएसएआई ने कुछ मापदंडों के आधार पर स्वस्थ आहार को परिभाषित किया है.
अग्रवाल ने कहा, "आप स्वस्थ आहार को कैसे परिभाषित करते हैं? यह बात इस विनियमन के केंद्र में है. हम यह नहीं कह सकते कि क्योंकि यह (खाद्य उत्पाद) बहुराष्ट्रीय कंपनियों से आ रहा है, इसलिए यह अस्वस्थ है, कुछ भारतीय भोजन भी अस्वस्थकारी हो सकते हैं. इसलिए हमें मैट्रिक्स तय करना होगा जो स्वास्थ्यकर भोजन के बारे में उचित और वस्तुनिष्ठ ढंग से परिभाषित करता हो."
उन्होंने कहा, "हम एक मसौदा विनियमन लाए हैं जो लागू किया जायेगा." पिछले साल, एफएसएसएआई ने मसौदा कानून को सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए रखा था. इसमें स्कूल और उसके आसपास के क्षेत्रों में नूडल्स, चिप्स, कार्बोनेटेड पेय और कन्फेक्शनरी सहित विभिन्न जंक फूड की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया गया था.
इस मसौदे को लाने के दौरान, एफएसएसएआई ने कहा था कि उसका उद्देश्य चिप्स, मीठा कार्बोनेटेड और गैर-कार्बोनेटेड पेय, रेडी-टू-ईट नूडल्स, पिज्जा, बर्गर जैसे अधिकांश आम जंक फूड की खपत और उपलब्धता को सीमित करना है. सम्मेलन को संबोधित करते हुए अग्रवाल ने स्वस्थ आहार लेने की जरुरत पर जोर देते हुए कहा कि 10 में से छह रोग आहार से संबंधित होते हैं.
उन्होंने कहा, "अगर हमारे पास सुरक्षित और स्वस्थ भोजन है और हम खुद को चुस्त दुरुस्त रखें तो अधिकांश बीमारी नहीं होंगी." अग्रवाल ने स्कूलों में सुरक्षित, पौष्टिक और पूर्ण भोजन को बढ़ावा देने के लिए पिछले कुछ वर्षों में एफएसएसएआई द्वारा की गई पहलों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की आवश्यकता है.
एफएसएसएआई ने स्कूल के आसपास जंक फूड के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया
एफएसएसएआई ने स्कूलों में सुरक्षित, पूर्ण और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता पर एक मसौदा विनियमन तैयार किया है जिसे स्वास्थ्य मंत्रालय को अनुमोदन के लिए भेजा गया है.
नई दिल्ली: भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) पवन अग्रवाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि स्कूली बच्चों के बीच सुरक्षित और पौष्टिक भोजन को बढ़ावा देने के प्रयास किए जाएंगे. इसके तहत संस्था ने स्कूल के परिसर में और उसके आसपास के इलाकों में अस्वास्थ्यकर भोजन के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया है.
उन्होंने कहा कि एफएसएसएआई ने स्कूलों में सुरक्षित, पूर्ण और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता पर एक मसौदा विनियमन तैयार किया है जिसे स्वास्थ्य मंत्रालय को अनुमोदन के लिए भेजा गया है.
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अग्रवाल ने स्कूल हेल्थकेयर पर हुए एसोचैम के एक सम्मेलन में पीटीआई-भाषा से कहा, "हमने स्कूल परिसर और उसके 50 मीटर के दायरे में गैर-स्वास्थकारी खाद्य पदार्थो के विज्ञापनों और प्रचार पर अंकुश लगाने का प्रस्ताव किया है." मार्च 2015 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्कूल के बच्चों के लिए स्वस्थकर भोजन को बढ़ावा देने के लिए खाद्य नियामक को नियमों को बनाने का निर्देश दिया था.
सम्मेलन को संबोधित करते हुए अग्रवाल ने कहा, "लगभग तीन साल पहले, उच्च न्यायालय ने हमें स्कूली बच्चों के लिए स्वास्थ्यकर आहार पर नियमन लाने के लिए कहा था. हम उस नियमन को एक साथ रखने में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, क्योंकि अगर आपको कोई कानून बनाना है, तो उसे लागू भी करना होगा." मसौदा विनियमन में एफएसएसएआई ने कुछ मापदंडों के आधार पर स्वस्थ आहार को परिभाषित किया है.
अग्रवाल ने कहा, "आप स्वस्थ आहार को कैसे परिभाषित करते हैं? यह बात इस विनियमन के केंद्र में है. हम यह नहीं कह सकते कि क्योंकि यह (खाद्य उत्पाद) बहुराष्ट्रीय कंपनियों से आ रहा है, इसलिए यह अस्वस्थ है, कुछ भारतीय भोजन भी अस्वस्थकारी हो सकते हैं. इसलिए हमें मैट्रिक्स तय करना होगा जो स्वास्थ्यकर भोजन के बारे में उचित और वस्तुनिष्ठ ढंग से परिभाषित करता हो."
उन्होंने कहा, "हम एक मसौदा विनियमन लाए हैं जो लागू किया जायेगा." पिछले साल, एफएसएसएआई ने मसौदा कानून को सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए रखा था. इसमें स्कूल और उसके आसपास के क्षेत्रों में नूडल्स, चिप्स, कार्बोनेटेड पेय और कन्फेक्शनरी सहित विभिन्न जंक फूड की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया गया था.
इस मसौदे को लाने के दौरान, एफएसएसएआई ने कहा था कि उसका उद्देश्य चिप्स, मीठा कार्बोनेटेड और गैर-कार्बोनेटेड पेय, रेडी-टू-ईट नूडल्स, पिज्जा, बर्गर जैसे अधिकांश आम जंक फूड की खपत और उपलब्धता को सीमित करना है. सम्मेलन को संबोधित करते हुए अग्रवाल ने स्वस्थ आहार लेने की जरुरत पर जोर देते हुए कहा कि 10 में से छह रोग आहार से संबंधित होते हैं.
उन्होंने कहा, "अगर हमारे पास सुरक्षित और स्वस्थ भोजन है और हम खुद को चुस्त दुरुस्त रखें तो अधिकांश बीमारी नहीं होंगी." अग्रवाल ने स्कूलों में सुरक्षित, पौष्टिक और पूर्ण भोजन को बढ़ावा देने के लिए पिछले कुछ वर्षों में एफएसएसएआई द्वारा की गई पहलों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की आवश्यकता है.
एफएसएसएआई ने स्कूल के आसपास जंक फूड के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया
नई दिल्ली: भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) पवन अग्रवाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि स्कूली बच्चों के बीच सुरक्षित और पौष्टिक भोजन को बढ़ावा देने के प्रयास किए जाएंगे. इसके तहत संस्था ने स्कूल के परिसर में और उसके आसपास के इलाकों में अस्वास्थ्यकर भोजन के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया है.
उन्होंने कहा कि एफएसएसएआई ने स्कूलों में सुरक्षित, पूर्ण और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता पर एक मसौदा विनियमन तैयार किया है जिसे स्वास्थ्य मंत्रालय को अनुमोदन के लिए भेजा गया है.
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अग्रवाल ने स्कूल हेल्थकेयर पर हुए एसोचैम के एक सम्मेलन में पीटीआई-भाषा से कहा, "हमने स्कूल परिसर और उसके 50 मीटर के दायरे में गैर-स्वास्थकारी खाद्य पदार्थो के विज्ञापनों और प्रचार पर अंकुश लगाने का प्रस्ताव किया है." मार्च 2015 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्कूल के बच्चों के लिए स्वस्थकर भोजन को बढ़ावा देने के लिए खाद्य नियामक को नियमों को बनाने का निर्देश दिया था.
सम्मेलन को संबोधित करते हुए अग्रवाल ने कहा, "लगभग तीन साल पहले, उच्च न्यायालय ने हमें स्कूली बच्चों के लिए स्वास्थ्यकर आहार पर नियमन लाने के लिए कहा था. हम उस नियमन को एक साथ रखने में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, क्योंकि अगर आपको कोई कानून बनाना है, तो उसे लागू भी करना होगा." मसौदा विनियमन में एफएसएसएआई ने कुछ मापदंडों के आधार पर स्वस्थ आहार को परिभाषित किया है.
अग्रवाल ने कहा, "आप स्वस्थ आहार को कैसे परिभाषित करते हैं? यह बात इस विनियमन के केंद्र में है. हम यह नहीं कह सकते कि क्योंकि यह (खाद्य उत्पाद) बहुराष्ट्रीय कंपनियों से आ रहा है, इसलिए यह अस्वस्थ है, कुछ भारतीय भोजन भी अस्वस्थकारी हो सकते हैं. इसलिए हमें मैट्रिक्स तय करना होगा जो स्वास्थ्यकर भोजन के बारे में उचित और वस्तुनिष्ठ ढंग से परिभाषित करता हो."
उन्होंने कहा, "हम एक मसौदा विनियमन लाए हैं जो लागू किया जायेगा." पिछले साल, एफएसएसएआई ने मसौदा कानून को सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए रखा था. इसमें स्कूल और उसके आसपास के क्षेत्रों में नूडल्स, चिप्स, कार्बोनेटेड पेय और कन्फेक्शनरी सहित विभिन्न जंक फूड की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया गया था.
इस मसौदे को लाने के दौरान, एफएसएसएआई ने कहा था कि उसका उद्देश्य चिप्स, मीठा कार्बोनेटेड और गैर-कार्बोनेटेड पेय, रेडी-टू-ईट नूडल्स, पिज्जा, बर्गर जैसे अधिकांश आम जंक फूड की खपत और उपलब्धता को सीमित करना है. सम्मेलन को संबोधित करते हुए अग्रवाल ने स्वस्थ आहार लेने की जरुरत पर जोर देते हुए कहा कि 10 में से छह रोग आहार से संबंधित होते हैं.
उन्होंने कहा, "अगर हमारे पास सुरक्षित और स्वस्थ भोजन है और हम खुद को चुस्त दुरुस्त रखें तो अधिकांश बीमारी नहीं होंगी." अग्रवाल ने स्कूलों में सुरक्षित, पौष्टिक और पूर्ण भोजन को बढ़ावा देने के लिए पिछले कुछ वर्षों में एफएसएसएआई द्वारा की गई पहलों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की आवश्यकता है.
Conclusion: