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एक जनवरी से रुपे, यूपीआई के जरिये भुगतान पर नहीं लगेगा एमडीआर शुल्क: सीतारमण

सीतारमण ने यहां सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों के साथ समीक्षा बैठक के बाद कहा कि राजस्व विभाग शीघ्र ही रुपे और यूपीआई को डिजिटल लेन-देन के तहत बिना एमडीआर शुल्क वाले माध्यम के तौर पर अधिसूचित करेगा.

एक जनवरी से रुपे, यूपीआई के जरिये भुगतान पर नहीं लगेगा एमडीआर शुल्क: सीतारमण
एक जनवरी से रुपे, यूपीआई के जरिये भुगतान पर नहीं लगेगा एमडीआर शुल्क: सीतारमण
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Published : Dec 29, 2019, 12:14 PM IST

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिये शनिवार को कहा कि एक जनवरी 2020 से रुपे कार्ड और यूपीआई के जरिये लेन-देन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) शुल्क नहीं लगेगा.

सीतारमण ने यहां सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों के साथ समीक्षा बैठक के बाद कहा कि राजस्व विभाग शीघ्र ही रुपे और यूपीआई को डिजिटल लेन-देन के तहत बिना एमडीआर शुल्क वाले माध्यम के तौर पर अधिसूचित करेगा.

उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग 50 करोड़ रुपये या इससे अधिक के कारोबार करने वाली सभी कंपनियों को रुपे डेबिट कार्ड और यूपीआई क्यूआर कोड के जरिये भुगतान की सुविधा मुहैया कराने को कहेगा.

ये भी पढ़ें- मकान के दाम बढ़ने के मामले में 56 देशों में 47वें स्थान पर है भारत

सीतारमण ने कहा, "विभिन्न संबंधित पक्षों, बैंकों आदि से गहन परामर्श के बाद मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि बजट में की गयी घोषणा को अमल में लाने के लिये एक जनवरी 2020 को अधिसूचना जारी होगी. अधिसूचित माध्यमों के जरिये भुगतान पर एमडीआर शुल्क नहीं लिया जायेगा."

एमडीआर वह लागत है जो कि कोई कारोबारी उसके ग्राहक द्वारा डिजिटल माध्यम से किये गये भुगतान को स्वीकार करने वास्ते बैंक को देता है. यह राशि लेनदेन राशि के प्रतिशत के रूप में होती है.

सरकार के इस कदम से स्वदेश में विकसित डिजिटल भुगतान माध्यमों रुपे और यूपीआई को विदेशी कंपनियों के भुगतान गेटवे पर बढ़त मिलेगी.

वित्त मंत्री ने जुलाई में पेश अपने पहले बजट भाषण में देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिये एमडीआर शुल्क हटाने का प्रस्ताव किया था.

उन्होंने कहा था, "इसलिये मैं यह प्रस्ताव करती हूं कि 50 करोड़ रुपये से अधिक का सालाना कारोबार करने वाले व्यवसायिक प्रतिष्ठान अपने ग्राहकों को इस तरह की कम लागत वाले डिजिटल भुगतान के तरीकों की पेशकश करेंगे. ऐसा करते समय ग्राहकों और व्यवसायियों पर कोई मर्चेंट डिस्काउंट रेट अथवा कोई शुल्क नहीं लगाया जायेगा."

सीतारमण ने कहा था, "लोग जब इस तरह के डिजिटल भुगतान के तौर तरीकों को अपनाना शुरू कर देंगे तो इस पर आने वाली लागत को रिजर्व बैंक और बैंक मिलकर वहन करेंगे. बैंकों और रिजर्व बैंक को कम नकदी के रखरखाव और कारोबार से जो बचत होगी उससे डिजिटल भुगतान की लागत वहन की जायेगी."

बैठक के बाद वित्त मंत्री ने कहा कि डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी को मजबूत बनाने तथा कम नगदी वाली अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ने के लिये सभी बैंक रुपे डेबिट कार्ड और यूपीआई को लोकप्रिय बनाने की मुहिम चलायेंगे.

उन्होंने कहा कि सरकार इन प्रावधानों को अमल में लाने के लिये पहले ही दो कानूनों आयकर अधिनियम और भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम में संशोधन कर चुकी है.

इस बैठक में इंडियन बैंक एसोसिएशन के मुख्य कार्यकारी तथा निजी क्षेत्र के अग्रणी बैंकों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया.

वित्त सचिव, राजस्व सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी सचिव, सीबीआई के निदेशक, रिजर्व बैंक के प्रतिनिधि तथा भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी इस बैठक में उपस्थित थे.

वित्त मंत्री ने इस मौके पर ऋण की किस्तें चुकाने में चूक करने वालों की जब्त संपत्ति की नीलामी के लिये एक साझा ई-नीलामी मंच की भी शुरुआत की.

उपलब्ध ताजा आंकड़ों के अनुसार इस मंच पर कुल मिलाकर 35,000 संपत्तियों का ब्योरा डाला जा चुका है. पिछले तीन वित्तीय वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने कुल मलाकर 2.3 लाख करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की हैं.

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिये शनिवार को कहा कि एक जनवरी 2020 से रुपे कार्ड और यूपीआई के जरिये लेन-देन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) शुल्क नहीं लगेगा.

सीतारमण ने यहां सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों के साथ समीक्षा बैठक के बाद कहा कि राजस्व विभाग शीघ्र ही रुपे और यूपीआई को डिजिटल लेन-देन के तहत बिना एमडीआर शुल्क वाले माध्यम के तौर पर अधिसूचित करेगा.

उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग 50 करोड़ रुपये या इससे अधिक के कारोबार करने वाली सभी कंपनियों को रुपे डेबिट कार्ड और यूपीआई क्यूआर कोड के जरिये भुगतान की सुविधा मुहैया कराने को कहेगा.

ये भी पढ़ें- मकान के दाम बढ़ने के मामले में 56 देशों में 47वें स्थान पर है भारत

सीतारमण ने कहा, "विभिन्न संबंधित पक्षों, बैंकों आदि से गहन परामर्श के बाद मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि बजट में की गयी घोषणा को अमल में लाने के लिये एक जनवरी 2020 को अधिसूचना जारी होगी. अधिसूचित माध्यमों के जरिये भुगतान पर एमडीआर शुल्क नहीं लिया जायेगा."

एमडीआर वह लागत है जो कि कोई कारोबारी उसके ग्राहक द्वारा डिजिटल माध्यम से किये गये भुगतान को स्वीकार करने वास्ते बैंक को देता है. यह राशि लेनदेन राशि के प्रतिशत के रूप में होती है.

सरकार के इस कदम से स्वदेश में विकसित डिजिटल भुगतान माध्यमों रुपे और यूपीआई को विदेशी कंपनियों के भुगतान गेटवे पर बढ़त मिलेगी.

वित्त मंत्री ने जुलाई में पेश अपने पहले बजट भाषण में देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिये एमडीआर शुल्क हटाने का प्रस्ताव किया था.

उन्होंने कहा था, "इसलिये मैं यह प्रस्ताव करती हूं कि 50 करोड़ रुपये से अधिक का सालाना कारोबार करने वाले व्यवसायिक प्रतिष्ठान अपने ग्राहकों को इस तरह की कम लागत वाले डिजिटल भुगतान के तरीकों की पेशकश करेंगे. ऐसा करते समय ग्राहकों और व्यवसायियों पर कोई मर्चेंट डिस्काउंट रेट अथवा कोई शुल्क नहीं लगाया जायेगा."

सीतारमण ने कहा था, "लोग जब इस तरह के डिजिटल भुगतान के तौर तरीकों को अपनाना शुरू कर देंगे तो इस पर आने वाली लागत को रिजर्व बैंक और बैंक मिलकर वहन करेंगे. बैंकों और रिजर्व बैंक को कम नकदी के रखरखाव और कारोबार से जो बचत होगी उससे डिजिटल भुगतान की लागत वहन की जायेगी."

बैठक के बाद वित्त मंत्री ने कहा कि डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी को मजबूत बनाने तथा कम नगदी वाली अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ने के लिये सभी बैंक रुपे डेबिट कार्ड और यूपीआई को लोकप्रिय बनाने की मुहिम चलायेंगे.

उन्होंने कहा कि सरकार इन प्रावधानों को अमल में लाने के लिये पहले ही दो कानूनों आयकर अधिनियम और भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम में संशोधन कर चुकी है.

इस बैठक में इंडियन बैंक एसोसिएशन के मुख्य कार्यकारी तथा निजी क्षेत्र के अग्रणी बैंकों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया.

वित्त सचिव, राजस्व सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी सचिव, सीबीआई के निदेशक, रिजर्व बैंक के प्रतिनिधि तथा भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी इस बैठक में उपस्थित थे.

वित्त मंत्री ने इस मौके पर ऋण की किस्तें चुकाने में चूक करने वालों की जब्त संपत्ति की नीलामी के लिये एक साझा ई-नीलामी मंच की भी शुरुआत की.

उपलब्ध ताजा आंकड़ों के अनुसार इस मंच पर कुल मिलाकर 35,000 संपत्तियों का ब्योरा डाला जा चुका है. पिछले तीन वित्तीय वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने कुल मलाकर 2.3 लाख करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की हैं.

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एक जनवरी से रुपे, यूपीआई के जरिये भुगतान पर नहीं लगेगा एमडीआर शुल्क: सीतारमण

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिये शनिवार को कहा कि एक जनवरी 2020 से रुपे कार्ड और यूपीआई के जरिये लेन-देन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) शुल्क नहीं लगेगा.

सीतारमण ने यहां सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों के साथ समीक्षा बैठक के बाद कहा कि राजस्व विभाग शीघ्र ही रुपे और यूपीआई को डिजिटल लेन-देन के तहत बिना एमडीआर शुल्क वाले माध्यम के तौर पर अधिसूचित करेगा.

उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग 50 करोड़ रुपये या इससे अधिक के कारोबार करने वाली सभी कंपनियों को रुपे डेबिट कार्ड और यूपीआई क्यूआर कोड के जरिये भुगतान की सुविधा मुहैया कराने को कहेगा.

सीतारमण ने कहा, "विभिन्न संबंधित पक्षों, बैंकों आदि से गहन परामर्श के बाद मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि बजट में की गयी घोषणा को अमल में लाने के लिये एक जनवरी 2020 को अधिसूचना जारी होगी. अधिसूचित माध्यमों के जरिये भुगतान पर एमडीआर शुल्क नहीं लिया जायेगा."

एमडीआर वह लागत है जो कि कोई कारोबारी उसके ग्राहक द्वारा डिजिटल माध्यम से किये गये भुगतान को स्वीकार करने वास्ते बैंक को देता है. यह राशि लेनदेन राशि के प्रतिशत के रूप में होती है.

सरकार के इस कदम से स्वदेश में विकसित डिजिटल भुगतान माध्यमों रुपे और यूपीआई को विदेशी कंपनियों के भुगतान गेटवे पर बढ़त मिलेगी.

वित्त मंत्री ने जुलाई में पेश अपने पहले बजट भाषण में देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिये एमडीआर शुल्क हटाने का प्रस्ताव किया था. 

उन्होंने कहा था, "इसलिये मैं यह प्रस्ताव करती हूं कि 50 करोड़ रुपये से अधिक का सालाना कारोबार करने वाले व्यवसायिक प्रतिष्ठान अपने ग्राहकों को इस तरह की कम लागत वाले डिजिटल भुगतान के तरीकों की पेशकश करेंगे. ऐसा करते समय ग्राहकों और व्यवसायियों पर कोई मर्चेंट डिस्काउंट रेट अथवा कोई शुल्क नहीं लगाया जायेगा."

सीतारमण ने कहा था, "लोग जब इस तरह के डिजिटल भुगतान के तौर तरीकों को अपनाना शुरू कर देंगे तो इस पर आने वाली लागत को रिजर्व बैंक और बैंक मिलकर वहन करेंगे. बैंकों और रिजर्व बैंक को कम नकदी के रखरखाव और कारोबार से जो बचत होगी उससे डिजिटल भुगतान की लागत वहन की जायेगी."

बैठक के बाद वित्त मंत्री ने कहा कि डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी को मजबूत बनाने तथा कम नगदी वाली अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ने के लिये सभी बैंक रुपे डेबिट कार्ड और यूपीआई को लोकप्रिय बनाने की मुहिम चलायेंगे.

उन्होंने कहा कि सरकार इन प्रावधानों को अमल में लाने के लिये पहले ही दो कानूनों आयकर अधिनियम और भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम में संशोधन कर चुकी है.

इस बैठक में इंडियन बैंक एसोसिएशन के मुख्य कार्यकारी तथा निजी क्षेत्र के अग्रणी बैंकों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया.

वित्त सचिव, राजस्व सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी सचिव, सीबीआई के निदेशक, रिजर्व बैंक के प्रतिनिधि तथा भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी इस बैठक में उपस्थित थे.

वित्त मंत्री ने इस मौके पर ऋण की किस्तें चुकाने में चूक करने वालों की जब्त संपत्ति की नीलामी के लिये एक साझा ई-नीलामी मंच की भी शुरुआत की.

उपलब्ध ताजा आंकड़ों के अनुसार इस मंच पर कुल मिलाकर 35,000 संपत्तियों का ब्योरा डाला जा चुका है. पिछले तीन वित्तीय वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने कुल मलाकर 2.3 लाख करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की हैं.


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