नई दिल्ली: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अप्रैल में अबतक भारतीय बाजारों से शुद्ध रूप से 7,622 करोड़ रुपये निकाले गए. कोविड के बढ़ते मामलों के बीच विभिन्न राज्यों द्वारा अंकुश लगाए जाने से निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई है.
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार निवेशकों ने एक से 23 अप्रैल के बीच शेयरों से 8,674 करोड़ रुपये निकाले हैं. हालांकि, इस दौरान उन्होंने ऋण या बांड बाजार में 1,052 करोड़ रुपये भी डाले हैं. इस तरह उनकी शुद्ध निकासी 7,622 करोड़ रुपये रही.
इससे पहले एफपीआई ने मार्च में भारतीय बाजारों में 17,304 करोड़ रुपये, फरवरी में 23,663 करोड़ रुपये और जनवरी में 14,649 करोड़ रुपये डाले थे.
मॉर्निंगस्टोर इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि अब एफपीआई लगातार पांच सप्ताह से शेयर बाजारों में शुद्ध बिकवाल बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि कोविड संक्रमण के मामलों में तेजी की वजह से एफपीआई की हालिया निकासी में बढ़ोतरी हुई है. इस महामारी की वजह से कई राज्यों ने अंकुश लगाए हैं.
इसी के साथ उन्होंने ये भी कहा कि कोरोना की दूसरी लहर काफी गंभीर है और अभी अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव का आकलन नहीं हुआ है. लेकिन निश्चित रूप से इससे अर्थव्यवस्था में जल्द पुनरुद्धार की संभावनाएं धूमिल हुई हैं. जहां तक बांड बाजार का सवाल है, तो शेयर बाजारों में अनिश्चितता की वजह से लघु अवधि में यह आकर्षक बना हुआ है.
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जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार का कहना है कि बाजार में सामान्य रूप से बैंकिंग क्षेत्र के शेयरों में बिकवाली हो रही है. वहीं वैश्विक रूप से संबद्ध शेयरों मसलन आईटी, धातु और फार्मा में लिवाली देखने को मिल रही है. एफपीआई भी काफी हद तक यही रुख अपना रहे हैं.