नई दिल्ली: भारत का राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) अप्रैल 2021 से जनवरी 2022 के बीच में लक्ष्य का 58.9 फीसदी हो गया है. सोमवार को जारी किए गए अधिकारिक आंकड़ों में इस बात की जानकारी दी गई है. पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के दौरान राजकोषीय घाटा 2020-21 के संशोधित अनुमानों का 66.8 फीसदी था.
पिछले साल कैसा रहा था हाल?
बता दें अप्रैल-दिसंबर 2021 में फिस्कल डेफिसिट का पूरे साल के लक्ष्य का 50.4 फीसदी रहा था. वहीं, इस साल यह जनवरी 2022 में टारगेट का 58.9 फीसदी जनवरी महीने में पहुंच गया है. लेखा महानियंत्रक (CGA) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, 15.91 लाख करोड़ रुपये के संशोधित वार्षिक अनुमान के मुकाबले वास्तविक घाटा जनवरी, 2022 के अंत में 9,37,868 करोड़ रुपये था.
क्या होता है राजकोषीय घाटा?
आपको बता दें सरकार के कुल राजस्व और कुल व्यय के बीच के अंतर को देश का राजकोषीय घाटा कहते हैं और इसके चालू वित्त वर्ष के दौरान 6.9 फीसदी रहने का अनुमान है. जबकि पहले इसके 6.8 फीसदी रहने का अनुमान था.
कितना रहा कर राजस्व?
सरकार की कुल प्राप्तियां जनवरी के अंत में 18.71 लाख करोड़ रुपये या 2021-22 के संशोधित अनुमान (आरई) का 85.9 फीसदी थीं. यह संग्रह पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 2020-21 के संशोधित अनुमान का लगभग 80 फीसदी था. समीक्षाधीन अवधि में कर राजस्व 2021-22 के संशोधित अनुमान का 87.7 फीसदी था. यह आंकड़ा पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 2020-21 के आरई का 82 फीसदी था.
12.34 लाख करोड़ पहुंचा फिस्कल डेफिसिट
चालू वित्त वर्ष ( 2020-21) जनवरी के अंत तक केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा 12.34 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया. यह संशोधित बजट आकल का लगभग 66.8 फीसदी है. पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में जनवरी के अंत तक राजकोषीय घाटा संशोधित आकलन के 128.5 फीसदी के बराबर पहुंच गया था.
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जानें क्या है रेटिंग एजेंसी का अनुमान?
इंडिया रेटिंग्स के मुताबिक, राज्यों का कुल राजकोषीय घाटा उनके सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 3.6 प्रतिशत पर आ सकता है. इसके पहले रेटिंग एजेंसी ने कहा था कि अगले वित्त वर्ष में राज्यों का राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) उनके जीडीपी के 4.1 प्रतिशत तक रह सकता है.