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एफडीआई वृद्धि की रफ्तार 2021 में भी 'शानदार' बनी रहेगी - उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग

एफडीआई नियमों में राहत के साथ ही रक्षा उत्पादन उन क्षेत्रों में शामिल होगा, जहां आने वाले महीनों में ताजा विदेशी निवेश आने की उम्मीद है, जबकि व्यवसायों के कागजी कार्रवाई के बोझ को कम करने की प्राथमिकता भी रहेगी.

एफडीआई वृद्धि की रफ्तार 2021 में भी 'शानदार' बनी रहेगी
एफडीआई वृद्धि की रफ्तार 2021 में भी 'शानदार' बनी रहेगी
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Published : Dec 23, 2020, 7:15 PM IST

नई दिल्ली: सरकार को मानना है कि भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की तेज रफ्तार नए साल में भी 'शानदार' बनी रहेगी, क्योंकि उनका आकलन है कि सरकार द्वारा कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने के लिए लगातार किए जा रहे सुधारों के साथ विदेशी निवेशकों की भारत में दिलचस्पी बढ़ रही है.

एफडीआई नियमों में राहत के साथ ही रक्षा उत्पादन उन क्षेत्रों में शामिल होगा, जहां आने वाले महीनों में ताजा विदेशी निवेश आने की उम्मीद है, जबकि व्यवसायों के कागजी कार्रवाई के बोझ को कम करने की प्राथमिकता भी रहेगी.

उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव गुरुप्रसाद महापात्रा के अनुसार वैश्विक मंदी और कोविड -19 महामारी के बावजूद भारत ने एफडीआई में एक महत्वपूर्ण छलांग दर्ज की.

मुकेश अंबानी के जियो प्लेटफॉर्म्स में फेसबुक के भारी निवेश ने भारत को जनवरी-सितंबर 2020 के दौरान लगभग 43.5 अरब अमरीकी डालर की एफडीआई हासिल करने में मदद की और ये सिलसिला आगे भी जारी रहने की उम्मीद है.

महापात्रा ने पीटीआई-भाषा से कहा, "इस समय वैश्विक मंदी थी. हमने यह भी सोचा कि भारत में एफडीआई के वृद्धि के रुझान जो बेहद उत्साहजनक थे, उनमें कोविड महामारी के बाद गिरावट आ सकती है. लेकिन, ऐसा हुआ नहीं और एफडीआई तेजी से बढ़ रहा है. अब 2021 में भी ये (एफडीआई वृद्धि) अच्छी रहनी चाहिए."

ये भी पढ़ें: सोने में 252 रुपये और चांदी में 933 रुपये की गिरावट

सरकार ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर मार्च के अंत में देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया, हालांकि इस फैसले से आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुईं. इस बीच सरकार ने रक्षा उत्पादन जैसे क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में ढील दी और इसका असर आगे देखने को मिलेगा.

महापात्रा ने आगे कहा कि कारोबार में सुविधा के लिए कई कदम उठाने के बाद अब सरकार व्यवसायों के अनुपालन बोझ को कम करने के लिए काम कर रही है.

सरकार ने कोयला खनन, अनुबंध विनिर्माण और एकल-ब्रांड खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में छूट दी है.

भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश इक्विटी प्रवाह अप्रैल 2000 से सितंबर 2020 के बीच 500 अरब डॉलर के स्तर को पार कर गया, जिससे देश की साख निवेश गंतव्य के रूप में मजबूत हुई. इसमें से लगभग 29 प्रतिशत एफडीआई मॉरीशस मार्ग से आया.

नई दिल्ली: सरकार को मानना है कि भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की तेज रफ्तार नए साल में भी 'शानदार' बनी रहेगी, क्योंकि उनका आकलन है कि सरकार द्वारा कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने के लिए लगातार किए जा रहे सुधारों के साथ विदेशी निवेशकों की भारत में दिलचस्पी बढ़ रही है.

एफडीआई नियमों में राहत के साथ ही रक्षा उत्पादन उन क्षेत्रों में शामिल होगा, जहां आने वाले महीनों में ताजा विदेशी निवेश आने की उम्मीद है, जबकि व्यवसायों के कागजी कार्रवाई के बोझ को कम करने की प्राथमिकता भी रहेगी.

उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव गुरुप्रसाद महापात्रा के अनुसार वैश्विक मंदी और कोविड -19 महामारी के बावजूद भारत ने एफडीआई में एक महत्वपूर्ण छलांग दर्ज की.

मुकेश अंबानी के जियो प्लेटफॉर्म्स में फेसबुक के भारी निवेश ने भारत को जनवरी-सितंबर 2020 के दौरान लगभग 43.5 अरब अमरीकी डालर की एफडीआई हासिल करने में मदद की और ये सिलसिला आगे भी जारी रहने की उम्मीद है.

महापात्रा ने पीटीआई-भाषा से कहा, "इस समय वैश्विक मंदी थी. हमने यह भी सोचा कि भारत में एफडीआई के वृद्धि के रुझान जो बेहद उत्साहजनक थे, उनमें कोविड महामारी के बाद गिरावट आ सकती है. लेकिन, ऐसा हुआ नहीं और एफडीआई तेजी से बढ़ रहा है. अब 2021 में भी ये (एफडीआई वृद्धि) अच्छी रहनी चाहिए."

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सरकार ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर मार्च के अंत में देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया, हालांकि इस फैसले से आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुईं. इस बीच सरकार ने रक्षा उत्पादन जैसे क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में ढील दी और इसका असर आगे देखने को मिलेगा.

महापात्रा ने आगे कहा कि कारोबार में सुविधा के लिए कई कदम उठाने के बाद अब सरकार व्यवसायों के अनुपालन बोझ को कम करने के लिए काम कर रही है.

सरकार ने कोयला खनन, अनुबंध विनिर्माण और एकल-ब्रांड खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में छूट दी है.

भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश इक्विटी प्रवाह अप्रैल 2000 से सितंबर 2020 के बीच 500 अरब डॉलर के स्तर को पार कर गया, जिससे देश की साख निवेश गंतव्य के रूप में मजबूत हुई. इसमें से लगभग 29 प्रतिशत एफडीआई मॉरीशस मार्ग से आया.

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