हैदराबाद : केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि वाहनों के लिए नए साल यानी एक जनवरी, 2021 से फास्टैग अनिवार्य होगा. इससे वाहनों को अब टोल का भुगतान करने के लिए टोल प्लाजा पर लंबी कतारों का सामना नहीं करना होगा.
फास्टैग की शुरुआत 2016 में हुई थी. यह टोल प्लाजा पर शुल्क का भुगतान इलेक्ट्रॉनिक तरीके से करने की सुविधा है. फास्टैग को अनिवार्य किए जाने के बाद टोल प्लाजा पर वाहनों को रुकना नहीं पड़ेगा और टोल शुल्क का भुगतान इलेक्ट्रॉनिक तरीके से हो जाएगा. आईए डालते फास्टैग से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियों पर एक नजर...
क्या है फास्टैग?
फास्टैग एक प्रीपेड टैग है जो टोल शुल्क में स्वत: कटौती को सक्षम बनाता है और वाहन को बिना लेन-देन के लिए रूके टोल प्लाजा से गुजरने की अनुमति देता है.
फास्टैग सुविधा के तहत वाहनों पर एक इलेक्ट्रॉनिक तरह से पढ़ा जाने वाला टैग लगा दिया जाता है. यह रेडियो फ्रिक्वेंसी आईडिफिकेशन टेक्नोलॉजी पर आधारित एक टैग है. यह गाड़ी की विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है.
वाहन जब किसी टोल प्लाजा से गुजरता है तो वहां लगी मशीन उस टैग के जरिए इलेक्ट्रॉनिक तरीके से शुल्क वसूल कर लेती है. इससे वाहनों को शुल्क गेट पर रुक कर नगद भुगतान नहीं करना होता है.
इसकी सहायता से लोगों के समय के साथ-साथ ईंधन की भी बचत होती है. साथ ही टोल प्लाजा पर वाहनों की लंबी कतार भी नहीं लगती है.
फास्टैग के जरिए राज्य और जिला राजमार्गों के साथ ही निकट भविष्य में शहरों में पार्किंग के लिए भी टोल भुगतान किया जा सकेगा. इससे शहर से लेकर राष्ट्रीय राजमार्गों तक की पार्किंग में यात्रियों को निर्बाध आवाजाही में मदद मिलेगी.
टोल प्लाजा पर सिस्टम उपयोगकर्ता के खाते से भुगतान में कटौती करने के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) तकनीक का उपयोग करता है. रीडर वाहन के 25 मीटर दूर होने पर टोल प्लाजा पर कार्ड का पता लगाता है.
फास्टैग लगाने से क्या होगा फायदा ?
- भुगतान में आसानी - टोल लेनदेन के लिए नकदी ले जाने की जरूरत नहीं, समय की बचत होती है.
- बिना रुके पार हो जाएगी आपकी गाड़ी.
- फास्टैग में कम बैलेंस होने पर एसएमएस के जरीए आएगा अलर्ट.
- फास्टैग की वैधता 5 साल तक के लिए होगी.
आरएफआईडी क्या है?
यह एक वायरलेस संचार मानक है जो विशेष उद्देश्य के लिए बनाए गए रीडर डिवाइस द्वारा टैग या लेबल में एन्कोड किए गए डेटा को पढ़ता है.
टैग में एक एकीकृत सर्किट और एक एंटीना है, जो वायरलेस संचार विधि बनाते हैं. दो प्रकार के टैग सक्रिय हैं, जिनमें बैटरी की शक्ति लगातार और निष्क्रिय होती है, जो तभी एक्टिव होते हैं, जब कोई रीडर डेटा पढ़ना चाहता है.
फास्टैग में निष्क्रिय प्रकार के टैग हैं. इन प्रणालियों को किसी विशेष वस्तु या चीज की पहचान, गति और ट्रैकिंग से संबंधित डेटा एकत्र करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और उस डेटा को किसी भी मानवीय भागीदारी की आवश्यकता के बिना डिजिटल सिस्टम में इनपुट किया जाता है.
प्रत्येक टैग और कार पेयरिंग जीएस1 अद्वितीय पहचान संख्याओं के साथ काम करती है, जो फास्टैग में एन्कोडेड रहते हैं. इस प्रकार, प्रत्येक वाहन को एक मानकीकृत और सामान्य तरीके से पहचाना जाता है जिसे राज्य और केंद्र सरकारों, ट्रैफिक पुलिस, बीमा कंपनियों और टोल संग्रह अधिकारियों द्वारा तैनात डिजिटल भुगतान प्रणालियों द्वारा समझा जाता है.
फास्टैग खरीदने के लिए क्या कागजात चाहिए ?
ग्राहक को फास्टैग के आवेदन के साथ निम्नलिखित दस्तावेजों की एक प्रति जमा करनी होगी:
- वाहन का पंजीकरण प्रमाण पत्र
- वाहन मालिक का पासपोर्ट साइज फोटो
- वाहन मालिक की श्रेणी के अनुसार केवाईसी दस्तावेज (अर्थात व्यक्तिगत / कॉर्पोरेट)
कहां से खरीद सकते हैं फास्टैग ?
फास्टैग को विभिन्न बैंकों और आईएचएमसीएल/एनएचएआई द्वारा स्थापित 30,000 बिक्री केन्द्रों से खरीदा जा सकता है, जिनमें राष्ट्रीय राजमार्ग के सभी शुल्क प्लाजा, आरटीओ, साझा सेवा केन्द्र, परिवहन केन्द्र, बैंक की शाखाएं, कुछ चुने हुए पेट्रोल पम्प आदि शामिल हैं.
यह अमेजन, फ्लिपकार्ट और स्नैपडील जैसे माध्यमों से ऑनलाइन भी उपलब्ध है. फास्टैग कार्यक्रम ने 27 बैंकों के साथ भागीदारी की है और अपनी रिचार्ज सुविधा को आसान बनाने के लिए कई अन्य विकल्पों को शामिल किया है, जैसे भारत बिल पेमेंट सिस्टम, यूपीआई, पेटीएम और माई फास्टैग मोबाइल ऐप भी.
इसके अलावा, उपयोगकर्ताओं की सुविधा के लिए टोल प्लाजा पर पीओएस में नकद रिचार्ज की सुविधा भी प्रदान की जा रही है.
सड़क परिवहन मंत्रालय के अनुसार, सभी राजमार्ग 1 जनवरी से फास्टैग - सक्षम होंगे. कम से कम 70 प्रतिशत मोटर चालकों ने अपने वाहनों को पहले ही पंजीकृत करा लिया है.
जिन लोगों ने कार, ट्रक, जीप, लॉरी, बस इत्यादि जैसे फोर-व्हीलर के लिए अपने फास्टैग स्टिकर प्राप्त किए हैं, वे इसे पेटीएम, इंटरनेट बैंकिंग, क्रेडिट या डेबिट कार्ड, यूपीआई, वॉलेट पे की सहायता से ऑनलाइन रिचार्ज कर सकते हैं.
वर्तमान में 7 बैंकों जैसे एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक, इंडसइंड बैंक, पेटीएम पैमेंट्स बैंक और इक्विटास स्माल फाइनेंस बैंक आदि की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन खरीदे जा सकते हैं. बैंकों की विस्तृत सूची के लिए www.ihmcl.com देख सकते हैं.
आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, एक बार की टैग राशि 200 रुपये (कारों, जीपों और वैन के लिए) से शुरू होती है और 500 रुपये (ट्रकों और ट्रैक्टरों के लिए) तक जाती है.
कितने दाम में मिलेगा फास्टैग ?
विक्रेता के आधार पर फास्टैग के लिए मूल्य अलग-अलग निर्धारित है.
मान लीजिए यदि आप इसे पेटीएम से खरीदते हैं, तो फास्टैग की कीमत आपको 500 रुपये होगी. इसमें टैग के लिए 100 रुपये, रिफंडेबल सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में 250 रुपये और अपने फास्टैग के पहले रिचार्ज के रूप में 150 रुपये शामिल हैं.
पेटीएम जारी किए गए टैग के लिए न्यूनतम सीमा राशि भी 150 रुपये है. यदि आप एचडीएफसी बैंक से खरीदने का निर्णय लेते हैं, तो टैग की कीमत 400 रुपये होती - इसमें टैग के लिए 100 रुपये, शुल्क के रूप में 100 रुपये और सुरक्षा जमा के रूप में 200 रुपये शामिल हैं.
फास्टैग से जुड़ी शिकायतों का समाधान कैसे करें
फास्टैग से जुड़े किसी भी तरह की शिकायत के लिए एनएचएआई द्वारा संचालित अखिल भारतीय हेल्पलाइन नंबर 1033 है. आमतौर पर एनएचएआई के फास्टैग से संबंधित शिकायत का निवारण तेजी से होता है. हालांकि, बैंकों द्वारा जारी किए गए फास्टैग के लिए, ग्राहकों को बैंक के ग्राहक देखभाल केंद्र जाना होता है और यहां शिकायतों को हल करने में अधिक समय लगता है.
इसे हल करने के लिए, सरकार किसी तरह से हेल्पलाइन को एकीकृत करने पर विचार कर रही है ताकि एक शिकायत "टिकट" उत्पन्न हो और बैंक को दी जाए और बिना ज्यादा समय लिए समस्या का समाधान किया जाए.
ज्यादातर शिकायतें क्षतिग्रस्त आरएफआईडी, लो बेलेंस, रिचार्ज संबंधी प्रश्न और तकनीकी गड़बड़ियों से संबंधित होती हैं.
यदि आप गलती से बिना फास्टैग के फास्टैग लेन में घुस जाएं तो क्या होगा
सामान्य तौर पर हाईवे मार्शलों को आपको फास्टैग लेन में प्रवेश करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए, लेकिन यदि आप फिर भी फास्टैग लेन में घुस जाएं तो टोल राशि का दोगुना भुगतान करना होगा. यहां तक कि अगर आपका फास्टैग आरआफईडी तकनीकि कारण से काम नहीं कर रहा या बैलेंस की कमी हो तो भी आपको टोल राशि का दोगुना भुगतान करना होगा.
डिजिटल टोल भुगतान का इतिहास
इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (ईटीसी) की अवधारणा को वर्ष 1959 में प्रस्तावित किया गया था. 1960 और 1970 के दशक के दौरान, राजमार्गों पर टोल बूथों के तहत तय किए गए ट्रांसपोंडर के साथ मुक्त प्रवाह टोलिंग का परीक्षण किया गया. बाद में, ई-टोलिंग में निरंतर विकास हुआ जिसे अधिकांश देशों ने पूरी तरह से स्वचालित और उन्नत टोलिंग सेवा स्थापित करने के लिए अपनाया.
दुनिया के पहले टोल प्लाजा को बर्गन (नॉर्वे में) में 1986 में खोला गया था. ईटीसी प्रौद्योगिकी की प्रगति के साथ यूरोपीय और अमेरिकी क्षेत्रों के साथ-साथ दुबई जैसे स्मार्ट शहरों में से अधिकांश टोल बूथ मानवरहित हैं. लागत प्रभावी और ग्राहक-अनुकूल सड़क टोलिंग मामलों में नॉर्वे अग्रणी देश है.
पहला शहरी टोल रिंग 1986 में पेश किया गया था और 1987 से इलेक्ट्रॉनिक शुल्क संग्रह (ईएफसी) लागू किया गया था.
पुर्तगाल 1995 में, देश में सभी टोलों में एकल, सार्वभौमिक प्रणाली लागू करने वाला पहला देश बन गया.
अमेरिका को इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग के लिए जाना जाता है. जापान में, ईटीसी कार्यक्रम वर्ष 2001 में शुरू हुआ, और इसने लगभग 70 - 80 लाख दैनिक लेनदेन के साथ 90% का उपयोग अनुपात प्राप्त किया है.
चिली का सैंटियागो 2005 में, दुनिया का पहला शहर बन गया, जिसमें 100 प्रतिशत पूर्ण गति वाले इलेक्ट्रॉनिक टोलिंग थे, जिसमें कई शहरी फ्रीवे की व्यवस्था थी.
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने दुबई में, 2007 के दौरान एक समान सड़क टोल संग्रह लागू किया.
चीन में ईटीसी परिचालन वर्ष 2014 में शुरू हुआ और कार्ड आधारित भुगतान मोड को प्रमुखता से स्वीकार किया गया.
टोल बूथों पर लगाए आरएफआईडी और कैमरों में सभी वाहन संबंधी विवरण कैप्चर किए जाते हैं. इन डेटा बिंदुओं को एक केंद्रीकृत प्रणाली में इकट्ठा किया जाता है और एक केंद्रीकृत शासी निकाय द्वारा निगरानी की जाती है.
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