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आधार धारकों को मिले 2 लाख रुपये तक का ऋण: अनिल अग्रवाल - वेदांता

अग्रवाल ने कहा कि भारत की कहानी लोकप्रिय फिल्म 'मदर इंडिया' की कहानी है जहां किसान 100 क्विंटल अनाज उगाते हैं लेकिन 80 क्विंटल सूदखोर ले लेते हैं. यही मामला भारत के साथ है जहां हमारी आय का 50 प्रतिशत हिस्सा आयात पर खर्च करते हैं. उसके बाद कर्ज पर ब्याज भुगतान में राशि जाती है. इससे लगभग कुछ नहीं बचता.

आधार धारकों को मिले 2 लाख रुपये तक का ऋण: अनिल अग्रवाल
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Published : Jun 10, 2019, 5:06 PM IST

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी को भूमिगत संसाधनों का दोहन करना चाहिए, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और बैंकों को स्वायत्तता प्रदान करनी चाहिए और गरीबी उन्मूलन के लिए सभी आधार कार्ड धारकों को 2 लाख रुपये तक का ऋण देना चाहिए. यह बातें स्क्रैप मेटल डीलर से अरबपति धातु व्यवसायी बने अनिल अग्रवाल ने कहा.

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के अंतर्गत भारत सतयुग में है जहां दरबारी खत्म हो गये हैं और केवल काम करने वालों को मान्यता मिल रही है.

ये भी पढ़ें: ईसीबी ने खिलाड़ियों व टीमों को नकद लेन-देन से बचने को कहा, जारी किया विशेष डेबिट कार्ड

पीटीआई भाषा से बातचीत में उन्होंने कहा कि पर्यटन और उद्योग को बढ़ावा देने के लिये जिला कलेक्टरों को व्यापार विकास प्रबंधन बनाया जाना चाहिए. साथ ही आय और रोजगार सृजित करने के लिये स्मारकों, किलों और समुद्री तटों को स्वायत्त बनाया जाना चाहिए.

अग्रवाल ने कहा, "भारत की कहानी लोकप्रिय फिल्म 'मदर इंडिया' की कहानी है जहां किसान 100 क्विंटल अनाज उगाते हैं लेकिन 80 क्विंटल सूदखोर ले लेते हैं. यही मामला भारत के साथ है जहां हमारी आय का 50 प्रतिशत हिस्सा आयात पर खर्च करते हैं. उसके बाद कर्ज पर ब्याज भुगतान में राशि जाती है. इससे लगभग कुछ नहीं बचता."

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधन और इलेक्ट्रानिक्स क्षेत्रों में रोजगार सृजन की काफी क्षमता है. "हमने जमीन पर कृषि आदि क्षेत्रों में अच्छा काम किया है. अब हमें जमीन के भीतर काम करने की जरूरत है. अब हमें जमीन के भीतर ध्यान देना चाहिए, खनिज तथा तेल एवं गैस संसाधनों पर ध्यान देना चाहिए."

अग्रवाल ने कहा कि मोदी सरकार को लौह अयस्क और अन्य धातु के साथ-साथ सोना एवं तेल एवं गैस के बड़े भंडार के उपयोग पर गौर करना चाहिए. इससे आयात बिल को कम करने तथा रोजगार सृजन में मदद मिलेगी.

वेदांता रिर्सोसेज के संस्थापक और बहुलांश हिस्सेदारी अग्रवाल ने कहा कि सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और बैंकों के निदेशक मंडलों को ब्रिटिश एयरवेज और जीई जैसा बनाकर स्वतंत्र बनाना चाहिए.

उन्होंने कहा, "सार्वजनिक क्षेत्र की सभी कंपनियों तथा बैंकों को अगर स्वायत्तता दी जाती है, वे तीन गुना बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं."

अग्रवाल ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों काफी संभावना और प्रतिभा है, लेकिन कार्यकारी जांच के भय से निर्णय लेने से डरते हैं. उन्हें निर्णय लेने को लेकर सशक्त बनाया जाना चाहिए.

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी को भूमिगत संसाधनों का दोहन करना चाहिए, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और बैंकों को स्वायत्तता प्रदान करनी चाहिए और गरीबी उन्मूलन के लिए सभी आधार कार्ड धारकों को 2 लाख रुपये तक का ऋण देना चाहिए. यह बातें स्क्रैप मेटल डीलर से अरबपति धातु व्यवसायी बने अनिल अग्रवाल ने कहा.

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के अंतर्गत भारत सतयुग में है जहां दरबारी खत्म हो गये हैं और केवल काम करने वालों को मान्यता मिल रही है.

ये भी पढ़ें: ईसीबी ने खिलाड़ियों व टीमों को नकद लेन-देन से बचने को कहा, जारी किया विशेष डेबिट कार्ड

पीटीआई भाषा से बातचीत में उन्होंने कहा कि पर्यटन और उद्योग को बढ़ावा देने के लिये जिला कलेक्टरों को व्यापार विकास प्रबंधन बनाया जाना चाहिए. साथ ही आय और रोजगार सृजित करने के लिये स्मारकों, किलों और समुद्री तटों को स्वायत्त बनाया जाना चाहिए.

अग्रवाल ने कहा, "भारत की कहानी लोकप्रिय फिल्म 'मदर इंडिया' की कहानी है जहां किसान 100 क्विंटल अनाज उगाते हैं लेकिन 80 क्विंटल सूदखोर ले लेते हैं. यही मामला भारत के साथ है जहां हमारी आय का 50 प्रतिशत हिस्सा आयात पर खर्च करते हैं. उसके बाद कर्ज पर ब्याज भुगतान में राशि जाती है. इससे लगभग कुछ नहीं बचता."

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधन और इलेक्ट्रानिक्स क्षेत्रों में रोजगार सृजन की काफी क्षमता है. "हमने जमीन पर कृषि आदि क्षेत्रों में अच्छा काम किया है. अब हमें जमीन के भीतर काम करने की जरूरत है. अब हमें जमीन के भीतर ध्यान देना चाहिए, खनिज तथा तेल एवं गैस संसाधनों पर ध्यान देना चाहिए."

अग्रवाल ने कहा कि मोदी सरकार को लौह अयस्क और अन्य धातु के साथ-साथ सोना एवं तेल एवं गैस के बड़े भंडार के उपयोग पर गौर करना चाहिए. इससे आयात बिल को कम करने तथा रोजगार सृजन में मदद मिलेगी.

वेदांता रिर्सोसेज के संस्थापक और बहुलांश हिस्सेदारी अग्रवाल ने कहा कि सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और बैंकों के निदेशक मंडलों को ब्रिटिश एयरवेज और जीई जैसा बनाकर स्वतंत्र बनाना चाहिए.

उन्होंने कहा, "सार्वजनिक क्षेत्र की सभी कंपनियों तथा बैंकों को अगर स्वायत्तता दी जाती है, वे तीन गुना बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं."

अग्रवाल ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों काफी संभावना और प्रतिभा है, लेकिन कार्यकारी जांच के भय से निर्णय लेने से डरते हैं. उन्हें निर्णय लेने को लेकर सशक्त बनाया जाना चाहिए.

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी को भूमिगत संसाधनों का दोहन करना चाहिए, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और बैंकों को स्वायत्तता प्रदान करनी चाहिए और गरीबी उन्मूलन के लिए सभी आधार कार्ड धारकों को 2 लाख रुपये तक का ऋण देना चाहिए. यह बातें स्क्रैप मेटल डीलर से अरबपति धातु व्यवसायी बने अनिल अग्रवाल ने कहा.

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के अंतर्गत भारत सतयुग में है जहां दरबारी खत्म हो गये हैं और केवल काम करने वालों को मान्यता मिल रही है.

पीटीआई भाषा से बातचीत में उन्होंने कहा कि पर्यटन और उद्योग को बढ़ावा देने के लिये जिला कलेक्टरों को व्यापार विकास प्रबंधन बनाया जाना चाहिए. साथ ही आय और रोजगार सृजित करने के लिये स्मारकों, किलों और समुद्री तटों को स्वायत्त बनाया जाना चाहिए.

अग्रवाल ने कहा, "भारत की कहानी लोकप्रिय फिल्म 'मदर इंडिया' की कहानी है जहां किसान 100 क्विंटल अनाज उगाते हैं लेकिन 80 क्विंटल सूदखोर ले लेते हैं. यही मामला भारत के साथ है जहां हमारी आय का 50 प्रतिशत हिस्सा आयात पर खर्च करते हैं. उसके बाद कर्ज पर ब्याज भुगतान में राशि जाती है. इससे लगभग कुछ नहीं बचता."

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधन और इलेक्ट्रानिक्स क्षेत्रों में रोजगार सृजन की काफी क्षमता है. "हमने जमीन पर कृषि आदि क्षेत्रों में अच्छा काम किया है. अब हमें जमीन के भीतर काम करने की जरूरत है. अब हमें जमीन के भीतर ध्यान देना चाहिए, खनिज तथा तेल एवं गैस संसाधनों पर ध्यान देना चाहिए."

अग्रवाल ने कहा कि मोदी सरकार को लौह अयस्क और अन्य धातु के साथ-साथ सोना एवं तेल एवं गैस के बड़े भंडार के उपयोग पर गौर करना चाहिए. इससे आयात बिल को कम करने तथा रोजगार सृजन में मदद मिलेगी.

वेदांता रिर्सोसेज के संस्थापक और बहुलांश हिस्सेदारी अग्रवाल ने कहा कि सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और बैंकों के निदेशक मंडलों को ब्रिटिश एयरवेज और जीई जैसा बनाकर स्वतंत्र बनाना चाहिए.

उन्होंने कहा, "सार्वजनिक क्षेत्र की सभी कंपनियों तथा बैंकों को अगर स्वायत्तता दी जाती है, वे तीन गुना बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं."

अग्रवाल ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों काफी संभावना और प्रतिभा है, लेकिन कार्यकारी जांच के भय से निर्णय लेने से डरते हैं. उन्हें निर्णय लेने को लेकर सशक्त बनाया जाना चाहिए.

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