नई दिल्ली: कंपनियों के निदेशकों को पेशेवर शुल्क और पारिश्रमिक के तौर पर किया जाने वाला भुगतान अब वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में होगा. सरकार संग्रह बढ़ाने के लिए कराधान प्रणाली की खामियों को दूर करने में जुटी हुई है.
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने एक सर्कुलर में स्पष्ट किया है कि कंपनियों द्वारा स्वतंत्र निदेशकों या गैर कार्यकारी निदेशकों (कंपनी के कर्मचारी नहीं) को किया जाने वाला भुगतान जीएसटी की लागू दर के अधीन होगा.
सीबीआईसी ने कहा है कि इस तरह के निदेशकों को उनकी सेवा के एवज में किए जाने वाले भुगतान पर कंपनियां रिवर्स चार्ज के आधार पर टैक्स काटेंगी.
इसके अलावा पूर्णकालिक निदेशकों या जो निदेशक कंपनी के कर्मचारी भी हैं, उन्हें वेतन के अलावा दिया जाने वाला पारिश्रमिक भी जीएसटी के सशर्त अधीन होगा.
इसका मतलब यह कि निदेशक, पूर्णकालिक निदेशक, प्रबंध निदेशक, जो किसी कंपनी के रोल पर भी हैं और वेतन लेते हैं, वे यदि किसी तरह का ऐसा पारिश्रमिक प्राप्त करते हैं जो वेतन की प्रकृति का नहीं है तो वह जीएसटी के अधीन होगा. हालांकि इस तरह के निदेशकों को भुगतान किए जाने वाले वेतन पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा.
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सिरिल अमरचंद मंगलदास की पार्टनर, मेखला आनंद ने कहा, "विभिन्न कानूनों के तहत निदेशकों को किए जाने वाले पारिश्रमिक भुगतान की प्रकृति को बताने वाले इस स्पष्टीकरण से, विविध एएआर रूलिंग्स के बीच उलझी कंपनियों को एक अभूतपूर्व स्पष्टता प्राप्त होगी. इस मुद्दे के समाधान से उद्योग को सही संकेत जाएगा, जो कोविड-19 संकट के बाद अपनी रफ्तार वापस हासिल करने पर ध्यान दे रहा है."
(आईएएनएस)