नई दिल्ली : ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) ने बीते वित्त वर्ष 2020-21 में अपने बजट निवेश लक्ष्य की तुलना में 20 प्रतिशत कम राशि खर्च की.
कोविड-19 से संबंधित अंकुशों की वजह से परियोजनाओं में देरी के चलते कंपनी तय लक्ष्य के अनुरूप खर्च नहीं कर पाई. वहीं दूसरी ओर इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) जैसी ईंधन विपणन कंपनियों ने तय लक्ष्य से अधिक पूंजीगत खर्च किया. एक सरकारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.
ओएनजीसी ने एक अप्रैल, 2020 से मार्च, 2021 के दौरान 32,502 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का लक्ष्य रखा था. लेकिन वित्त वर्ष के दौरान वह इसमें से सिर्फ 26,441 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाई. पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) की एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है.
कंपनी के एक अधिकारी ने कहा कि कोविड-19 की वजह से लगाए गए अंकुशों से आपूर्ति श्रृंखला और श्रमिकों की आवाजाही प्रभावित हुई, जिससे परियोजनाओं के क्रियान्वयन में देरी हुई. इस वजह से कंपनी का निवेश लक्ष्य से कम रहा.
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तेल एवं गैस खोज एवं उत्पादन परियोजनाओं के लिए आमतौर पर विदेशी आपूर्तिकर्ताओं से आपूर्ति की जरूरत होती है. इसके अलावा रिग्स जैसी कुछ सुविधाओं का परिचालन विदेशी क्रू करते हैं.
अधिकारी ने कहा कि भारत सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लॉकडाउन से श्रमिकों की आवाजाही प्रभावित हुई. साथ ही इससे आपूर्ति श्रृंखला भी बाधित हुई.
ओएनजीसी की विदेश इकाई (ओवीएल) का पूंजीगत खर्च भी बाते वित्त वर्ष में 7,235 करोड़ रुपये के लक्ष्य की तुलना में 5,351 करोड़ रुपये रहा.
हालांकि, अन्य डाउनस्ट्रीम कंपनियों का निवेश लक्ष्य से अधिक रहा.
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पीपीएसी की रिपोर्ट के अनुसार, आईओसी का पूंजीगत व्यय का बजट लक्ष्य 26,233 करोड़ रुपये था, लेकिन कंपनी का कुल खर्च 27,195 करोड़ रुपये रहा.
हिंदुस्तान पेटूोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) का खर्च 11,500 करोड़ रुपये के लक्ष्य की तुलना में 14,036 करोड़ रुपये और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) का 9,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य की तुलना में 10,697 करोड़ रुपये रहा.
गैस कंपनी गेल (इंडिया) लि. ने बजट लक्ष्य से 150 करोड़ रुपये अधिक यानी 5,412 करोड़ रुपये खर्च किए.
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महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार को सरकार की उम्मीदें सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के पूंजीगत खर्च पर टिकी हैं. इस तरह के खर्च से आर्थिक गतिविधियां बढ़ती हैं और विभिन्न क्षेत्रों मसलन इस्पात आदि के लिए मांग पैदा होती है. साथ ही इससे रोजगार सृजन भी होता है.
ऑयल इंडिया लि. (ओआईएल) ने बीते वित्त वर्ष में 3,877 करोड़ रुपये के लक्ष्य की तुलना में 12,802 करोड़ रुपये खर्च किए. इसमें एक बड़ा हिस्सा बीपीसीएल से नुमालीगढ़ रिफाइनरी लि. की बहुलांश हिस्सेदारी खरीदने पर खर्च किए गए.