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एयर इंडिया की 'बिना वेतन अवकाश' योजना पर बोले पुरी, लागत कटौती तो करनी ही होगी - विमानन मंत्रालय

पुरी ने बृहस्पतिवार को हर साल 500-600 करोड़ रुपये का इक्विटी निवेश 'टिकाऊ' नहीं है और एयर इंडिया को लागत कटौती के उपाय करने होंगे.

एयर इंडिया की 'बिना वेतन अवकाश' योजना पर बोले पुरी, लागत कटौती तो करनी ही होगी
एयर इंडिया की 'बिना वेतन अवकाश' योजना पर बोले पुरी, लागत कटौती तो करनी ही होगी
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Published : Jul 16, 2020, 7:56 PM IST

नई दिल्ली: नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया द्वारा अपने कुछ कर्मचारियों को पांच साल तक के लिए बिना वेतन अवकाश पर भेजने के फैसले को उचित ठहराया है.

पुरी ने बृहस्पतिवार को हर साल 500-600 करोड़ रुपये का इक्विटी निवेश 'टिकाऊ' नहीं है और एयर इंडिया को लागत कटौती के उपाय करने होंगे.

इससे पहले तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने एयर इंडिया की आलोचना करते हुए कहा था कि उसकी 'लीव विदाउट पे' योजना श्रम कानूनों का उल्लंघन है और यह एक तरह से शीर्ष प्रबंधन को बचाने तथा अन्य कर्मचारियों से 'कुर्बानी' लेने की योजना है.

एयर इंडिया ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने अनिवार्य रूप से पांच साल तक बिना वेतन अवकाश पर भेजने के लिए कर्मचारियों की पहचान की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इन कर्मचारियों को दक्षता, स्वास्थ्य और अतिरिक्त संख्या के हिसाब से चुना जाएगा.

पुरी ने यहां संवाददाता सम्मेलन में तृणमूल सांसद के बयान पर कहा, "हर साल 500-600 करोड़ रुपये के इक्विटी निवेश से एयरलाइन का परिचालन टिकने वाला नहीं है. सभी को लागत कटौती करनी होगी. यही यहां हो रहा है."

उन्होंने कहा, "हमारे पास और क्या विकल्प है? यदि विकल्प होते तो लागत में इतनी कटौती की जरूरत नहीं होती. अगली बार जब मैं वित्त मंत्री के कमरे में प्रवेश करूंगा, तो मुझे कुछ घबराहट होगी."

पुरी ने कहा कि यदि एयर इंडिया अभी सरकार से वित्तीय समर्थन मांगे तो उसके लिए एयरलाइन की मदद करना संभव नहीं होगा. सरकार को कोरोना वायरस की वजह से प्रभावित समाज के कमजोर तबकों को राहत प्रदान करनी है.

एयर इंडिया पर करीब 70,000 करोड़ रुपये का कर्ज का बोझ है. सरकार ने इस साल जनवरी में एयर इंडिया की बिक्री किसी निजी इकाई को करने की प्रक्रिया शुरू की है. वित्त वर्ष 2018-19 में एयर इंडिया को करीब 8,500 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था.

ये भी पढ़ें: इक्रा के मुताबिक जीडीपी में 2020-21 में 9.5 प्रतिशत गिरावट आने का अनुमान

कोरोना वायरस की वजह से यात्रा अंकुशों के चलते दुनियाभर में एयरलाइन कंपनियां बुरी तरह प्रभावित हुई है. भारत ने सभी एयरलाइंस ने लागत कटौती के कदम उठाए हैं. कुछ ने कर्मचारियों के वेतन में कटौती की है, तो कुछ ने छंटनी. और कुछ ने कर्मचारियों को बिना वेतन अवकाश पर भेजा है.

पुरी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यदि एयर इंडिया आज बंद हो जाए, तो किसी कर्मचारी को नौकरी नहीं मिल पाएगी. उन्होंने कहा कि आज विमानों की संख्या अधिशेष है। प्रशिक्षित लोगों की संख्या भी जरूरत से अधिक है.

"ऐसे में मैच फिक्सिंग जैसी चीजों को क्रिकेट के लिए छोड़ दिया जाए."

इससे पहले दिन में ओ ब्रायन ने ट्वीट कर एयर इंडिया की इस योजना को कर्मचारी विरोधी और मनमाना करार दिया था. उन्होंने कहा था कि यह एयर इंडिया के प्रस्तावित खरीदार के लिए मैच फिक्सिंग जैसा है. यह छंटनी का नया नाम है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया द्वारा अपने कुछ कर्मचारियों को पांच साल तक के लिए बिना वेतन अवकाश पर भेजने के फैसले को उचित ठहराया है.

पुरी ने बृहस्पतिवार को हर साल 500-600 करोड़ रुपये का इक्विटी निवेश 'टिकाऊ' नहीं है और एयर इंडिया को लागत कटौती के उपाय करने होंगे.

इससे पहले तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने एयर इंडिया की आलोचना करते हुए कहा था कि उसकी 'लीव विदाउट पे' योजना श्रम कानूनों का उल्लंघन है और यह एक तरह से शीर्ष प्रबंधन को बचाने तथा अन्य कर्मचारियों से 'कुर्बानी' लेने की योजना है.

एयर इंडिया ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने अनिवार्य रूप से पांच साल तक बिना वेतन अवकाश पर भेजने के लिए कर्मचारियों की पहचान की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इन कर्मचारियों को दक्षता, स्वास्थ्य और अतिरिक्त संख्या के हिसाब से चुना जाएगा.

पुरी ने यहां संवाददाता सम्मेलन में तृणमूल सांसद के बयान पर कहा, "हर साल 500-600 करोड़ रुपये के इक्विटी निवेश से एयरलाइन का परिचालन टिकने वाला नहीं है. सभी को लागत कटौती करनी होगी. यही यहां हो रहा है."

उन्होंने कहा, "हमारे पास और क्या विकल्प है? यदि विकल्प होते तो लागत में इतनी कटौती की जरूरत नहीं होती. अगली बार जब मैं वित्त मंत्री के कमरे में प्रवेश करूंगा, तो मुझे कुछ घबराहट होगी."

पुरी ने कहा कि यदि एयर इंडिया अभी सरकार से वित्तीय समर्थन मांगे तो उसके लिए एयरलाइन की मदद करना संभव नहीं होगा. सरकार को कोरोना वायरस की वजह से प्रभावित समाज के कमजोर तबकों को राहत प्रदान करनी है.

एयर इंडिया पर करीब 70,000 करोड़ रुपये का कर्ज का बोझ है. सरकार ने इस साल जनवरी में एयर इंडिया की बिक्री किसी निजी इकाई को करने की प्रक्रिया शुरू की है. वित्त वर्ष 2018-19 में एयर इंडिया को करीब 8,500 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था.

ये भी पढ़ें: इक्रा के मुताबिक जीडीपी में 2020-21 में 9.5 प्रतिशत गिरावट आने का अनुमान

कोरोना वायरस की वजह से यात्रा अंकुशों के चलते दुनियाभर में एयरलाइन कंपनियां बुरी तरह प्रभावित हुई है. भारत ने सभी एयरलाइंस ने लागत कटौती के कदम उठाए हैं. कुछ ने कर्मचारियों के वेतन में कटौती की है, तो कुछ ने छंटनी. और कुछ ने कर्मचारियों को बिना वेतन अवकाश पर भेजा है.

पुरी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यदि एयर इंडिया आज बंद हो जाए, तो किसी कर्मचारी को नौकरी नहीं मिल पाएगी. उन्होंने कहा कि आज विमानों की संख्या अधिशेष है। प्रशिक्षित लोगों की संख्या भी जरूरत से अधिक है.

"ऐसे में मैच फिक्सिंग जैसी चीजों को क्रिकेट के लिए छोड़ दिया जाए."

इससे पहले दिन में ओ ब्रायन ने ट्वीट कर एयर इंडिया की इस योजना को कर्मचारी विरोधी और मनमाना करार दिया था. उन्होंने कहा था कि यह एयर इंडिया के प्रस्तावित खरीदार के लिए मैच फिक्सिंग जैसा है. यह छंटनी का नया नाम है.

(पीटीआई-भाषा)

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