नई दिल्ली: फॉर्च्यून ब्रांड खाद्य तेल कंपनी, अदानी विल्मर ने शनिवार को कहा कि मौजूदा 'लॉकडाऊन' में मजदूरों की कमी के कारण उसके खाद्यतेलों के उत्पादन में 40 प्रतिशत की गिरावट आई है जिसके परिणामस्वरूप इस आवश्यक वस्तु की आपूर्ति घट गई है.
अडानी विल्मार के डिप्टी सीईओ अंग्शु मैल्लिक ने कहा कि कोविड -19 को नियंत्रित करने के लिए लॉकडाउन के कारण सभी होटलों, रेस्तरां और कैफेटेरिया को बंद होने से खाद्य तेलों की बिक्री में भी 25 प्रतिशत की गिरावट आई है. पैकबंद खाद्यतेल खंड में, अडानी विल्मर बाजार की अग्रणी कंपनी है जिसकी बाजार हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है.
मल्लिक ने पीटीआई-भाषा से कहा, "हम प्रतिदिन लगभग 8,000 टन खाद्य तेल का प्रसंस्करण और उत्पादन करते थे. लेकिन मजदूररों की कमी के कारण उत्पादन लगभग 40 प्रतिशत घट गया है."
उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने पैतृक स्थान लौट गये हैं जबकि स्थानीय लोग इस बीमारी से संक्रमित होने के डर से काम करने को तैयार नहीं हैं. देश के विभिन्न राज्यों में लगभग 25 प्रसंस्करण संयंत्र वाली कंपनी, ट्रकों के माध्यम से खाद्य तेल का परिवहन कर रही है क्योंकि रेलवे से माल भेजने के लिए अधिक मजदूरों की आवश्यकता होती है. मैल्लिक ने कहा, "मांग में भी 25 प्रतिशत की कमी आई है."
उन्होंने कहा कि मांग के मुकाबले उत्पादन घटने से आपूर्ति कम रहेगी. मूल्य स्थिति के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा कि कंपनी ने लॉकडाउन के बाद खुदरा कीमतों में वृद्धि नहीं की है, हालांकि मजदूरी और माल ढुलाई लागत में वृद्धि हुई है.
ये भी पढ़ें: क्यों प्रधानमंत्री नहीं कर सकते हैं वित्तीय आपातकाल की घोषणा
उन्होंने कहा कि राजस्थान जैसे राज्यों में सरसों की फसल की कटाई अगले सप्ताह से बढ़ेगी, जिससे घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा. फॉर्च्यून ब्रांड के तहत अन्य खाद्य पदार्थों की मांग पर, मल्लिक ने कहा कि ब्रांडेड गेहूं का आटा, टूटी हुई बासमती, दालें, बेसन (बेसन) और सोयाबीन की बिक्री में तेजी आई है.
लॉकडाउन को देखते हुए अदानी विल्मर ने खाद्य पदार्थो की होम डिलीवरी के लिए स्विगी के साथ भागीदारी की है. देश की खाद्य तेल की मांग 230 लाख टन सालाना की है जबकि 2018-19 में वनस्पति तेल आयात 3.5 प्रतिशत बढ़ कर 155.5 लाख टन के बराबर था.
(पीटीआई-भाषा)