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कोयला खनन में निजी क्षेत्र का प्रवेश, कोल इंडिया की नए क्षेत्रों में कदम रखने की तैयारी

कोरोना वायरस महामारी संकट और इससे निपटने के लिए लोगों को घर से निकलने पर कड़ी सार्वजनिक रोक से कोयला बाजार में मांग वर्ष के दौरान नरम रही. सरकार ने इस दौरान कोयला उत्खनन और विपणन में निजी कंपनियों को प्रवेश देने के लिए 19 कोयला प्रखंडों की नीलामी की.

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Published : Dec 26, 2020, 6:06 PM IST

कोयला खनन में निजी क्षेत्र का प्रवेश, कोल इंडिया की नए क्षेत्रों में कदम रखने की तैयारी
कोयला खनन में निजी क्षेत्र का प्रवेश, कोल इंडिया की नए क्षेत्रों में कदम रखने की तैयारी

नई दिल्ली/कोलकाता : कोयला क्षेत्र में वर्ष 2020 महत्वपूर्ण बदलाव का साक्षी रहा. नीतिगत सुधारों के तहत इस वर्ष एक ओर जहां निजी क्षेत्र को वाणिज्यिक कोयला उत्खनन में प्रवेश देने के लिए कोयला ब्लॉकों की पहली नीलामी हुई.

वहीं इस क्षेत्र में फिलहाल एकाधिकार रखने वाली कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने 2021 में कोयला खनन के अलावा अन्य कारोबारों में दाखिल होने की तरफ कदम बढ़ाया.

कोरोना वायरस महामारी संकट और इससे निपटने के लिए लोगों को घर से निकलने पर कड़ी सार्वजनिक रोक से कोयला बाजार में मांग वर्ष के दौरान नरम रही. सरकार ने इस दौरान कोयला उत्खनन और विपणन में निजी कंपनियों को प्रवेश देने के लिए 19 कोयला प्रखंडों की नीलामी की.

वर्ष 2020 में देश में कोयले की मांग पिछले वर्ष से पांच प्रतिशत कम रहने का अनुमान है. विश्लेषकों का अनुमान है कि 2021 में इस क्षेत्र में मांग की कमजोरी की चुनौती बनी रहेगी. बाजार में भविष्य में प्रतिस्पर्धा की स्थिति और स्वच्छ ऊर्जा पर जोर के बीच सरकारी कंपनी सीआईएल कारोबार के विविधीकरण की तैयारी में है.

कोयला सचिव अनिल कुमार जैन ने पीटीआई-भाषा से कहा, "2021 में हमारा प्रयास होगा कि कोल इंडिया (सीआईएल) कोयला उत्खनन के अलावा दूसरे प्रकार के कारोबार में भी जाए. यह (सीआईएल) कोयला उत्खनन के इतर दूसरे क्षेत्रों में बड़ा निवेश करेगी. इससे कंपनी को खनिज ईंधन के कारोबार की दुनिया से निकलने की तैयारी का अच्छा अवसर मिलेगा."

जैन ने कहा कि कोल इंडिया नवीकरणीय ऊर्जा, एल्युमीनियम और स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निवेश करने वाली है. उन्होंने कहा कि सीआईएल ने ढाई लाख करोड़ रुपये की निवेश योजनाएं तैयार कर रखी है. इसमें से एक बड़ा हिस्सा स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी और नए क्षेत्र में जाएगा.

जैन ने 2020 में निजी क्षेत्र को कोयले के वाणिज्यक उत्खनन के लिए कोयला प्रखंडों की नीलामी को 2020 की बड़ी उपलब्धि बताया. इसके लिए जोरदार होड़ लगी. उन्होंने कहा कि इन 19 कोयला प्रखंडों के चालू होने पर इनसे हर साल सरकार को 7,000 करोड़ रुपये राजस्व मिलने का अनुमान है.

ये भी पढ़ें : साल 2020 में बाधित रही भारतीय विमानन क्षेत्र के विकास की उड़ान

साथ ही 69,000 से अधिक लोगों को नौकरी भी मिलेगी. वैसे सरकार ने कुल 38 प्रखंड निजी क्षेत्र को नीलाम करने के लिए अधिसूचित किए थे. 23 प्रखंडों के लिए कुल 42 कंपनियों ने बोली में हिस्सा लिया. इनमें 40 निजी क्षेत्र की थीं. इन प्रखंडों के लिए कुल 76 बोलियां प्राप्त हुई थीं.

कुछ प्रखंड निजी क्षेत्र में अडाणी, वेदांता, हिंडालको और जिंदल (जिंदल पावर) समूहों की कंपनियों को गए हैं. कोयले वाणिज्यक उत्खनन में निजी उद्यमियों को प्रवेश देने के लिए कानून में संशोधन किया गया है तथा सरकार ने कारोबार सुगमता और पर्यावरण संरक्षण के नए प्रावधान किए हैं.

खनिज कारोबार अनुमति नियमावली 1960 में संशोधन की जरूरत को भी पूरा किया गया. कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने कहा कि कंपनी इस वित्त वर्ष में 65-66 करोड़ टन कोयला उत्पादन कर रही है. नवंबर तक 33.4 करोड़ टन उत्पादन हुआ था.

कोयला सचिव जैन ने 2021 की संभावनाओं के बारे में कहा कि कोयला बाजार के लिए नया वर्ष अर्थव्यवस्था की समग्र स्थिति पर निर्भर करेगा. कोयले का उपभोग 2018 की तुलना में 2020 में सात प्रतिशत यानी 50 करोड़ टन घटने का अनुमान हे. 2019 में वैश्विक मांग 1.8 प्रतिशत घटी थी.

मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस का अनुमान है कि 2021 में भारत और चीन सहित एशिया के प्रमुख देशों में कोयले की मांग में सुधार होगा.

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) का कहना है कि 2025 तक भारत में कोयले की खपत बढने की सबसे अधिक संभावना है.

उसके अनुसार देश में इस्पात, बिजली और सीमेंट की मांग बढने से कोयले की मांग बढ़ेगी. अनुमान है कि 2021 में कोल इंडिया का उत्पादन में 3.8 प्रतिशत बढ़ेगा.

नई दिल्ली/कोलकाता : कोयला क्षेत्र में वर्ष 2020 महत्वपूर्ण बदलाव का साक्षी रहा. नीतिगत सुधारों के तहत इस वर्ष एक ओर जहां निजी क्षेत्र को वाणिज्यिक कोयला उत्खनन में प्रवेश देने के लिए कोयला ब्लॉकों की पहली नीलामी हुई.

वहीं इस क्षेत्र में फिलहाल एकाधिकार रखने वाली कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने 2021 में कोयला खनन के अलावा अन्य कारोबारों में दाखिल होने की तरफ कदम बढ़ाया.

कोरोना वायरस महामारी संकट और इससे निपटने के लिए लोगों को घर से निकलने पर कड़ी सार्वजनिक रोक से कोयला बाजार में मांग वर्ष के दौरान नरम रही. सरकार ने इस दौरान कोयला उत्खनन और विपणन में निजी कंपनियों को प्रवेश देने के लिए 19 कोयला प्रखंडों की नीलामी की.

वर्ष 2020 में देश में कोयले की मांग पिछले वर्ष से पांच प्रतिशत कम रहने का अनुमान है. विश्लेषकों का अनुमान है कि 2021 में इस क्षेत्र में मांग की कमजोरी की चुनौती बनी रहेगी. बाजार में भविष्य में प्रतिस्पर्धा की स्थिति और स्वच्छ ऊर्जा पर जोर के बीच सरकारी कंपनी सीआईएल कारोबार के विविधीकरण की तैयारी में है.

कोयला सचिव अनिल कुमार जैन ने पीटीआई-भाषा से कहा, "2021 में हमारा प्रयास होगा कि कोल इंडिया (सीआईएल) कोयला उत्खनन के अलावा दूसरे प्रकार के कारोबार में भी जाए. यह (सीआईएल) कोयला उत्खनन के इतर दूसरे क्षेत्रों में बड़ा निवेश करेगी. इससे कंपनी को खनिज ईंधन के कारोबार की दुनिया से निकलने की तैयारी का अच्छा अवसर मिलेगा."

जैन ने कहा कि कोल इंडिया नवीकरणीय ऊर्जा, एल्युमीनियम और स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निवेश करने वाली है. उन्होंने कहा कि सीआईएल ने ढाई लाख करोड़ रुपये की निवेश योजनाएं तैयार कर रखी है. इसमें से एक बड़ा हिस्सा स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी और नए क्षेत्र में जाएगा.

जैन ने 2020 में निजी क्षेत्र को कोयले के वाणिज्यक उत्खनन के लिए कोयला प्रखंडों की नीलामी को 2020 की बड़ी उपलब्धि बताया. इसके लिए जोरदार होड़ लगी. उन्होंने कहा कि इन 19 कोयला प्रखंडों के चालू होने पर इनसे हर साल सरकार को 7,000 करोड़ रुपये राजस्व मिलने का अनुमान है.

ये भी पढ़ें : साल 2020 में बाधित रही भारतीय विमानन क्षेत्र के विकास की उड़ान

साथ ही 69,000 से अधिक लोगों को नौकरी भी मिलेगी. वैसे सरकार ने कुल 38 प्रखंड निजी क्षेत्र को नीलाम करने के लिए अधिसूचित किए थे. 23 प्रखंडों के लिए कुल 42 कंपनियों ने बोली में हिस्सा लिया. इनमें 40 निजी क्षेत्र की थीं. इन प्रखंडों के लिए कुल 76 बोलियां प्राप्त हुई थीं.

कुछ प्रखंड निजी क्षेत्र में अडाणी, वेदांता, हिंडालको और जिंदल (जिंदल पावर) समूहों की कंपनियों को गए हैं. कोयले वाणिज्यक उत्खनन में निजी उद्यमियों को प्रवेश देने के लिए कानून में संशोधन किया गया है तथा सरकार ने कारोबार सुगमता और पर्यावरण संरक्षण के नए प्रावधान किए हैं.

खनिज कारोबार अनुमति नियमावली 1960 में संशोधन की जरूरत को भी पूरा किया गया. कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने कहा कि कंपनी इस वित्त वर्ष में 65-66 करोड़ टन कोयला उत्पादन कर रही है. नवंबर तक 33.4 करोड़ टन उत्पादन हुआ था.

कोयला सचिव जैन ने 2021 की संभावनाओं के बारे में कहा कि कोयला बाजार के लिए नया वर्ष अर्थव्यवस्था की समग्र स्थिति पर निर्भर करेगा. कोयले का उपभोग 2018 की तुलना में 2020 में सात प्रतिशत यानी 50 करोड़ टन घटने का अनुमान हे. 2019 में वैश्विक मांग 1.8 प्रतिशत घटी थी.

मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस का अनुमान है कि 2021 में भारत और चीन सहित एशिया के प्रमुख देशों में कोयले की मांग में सुधार होगा.

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) का कहना है कि 2025 तक भारत में कोयले की खपत बढने की सबसे अधिक संभावना है.

उसके अनुसार देश में इस्पात, बिजली और सीमेंट की मांग बढने से कोयले की मांग बढ़ेगी. अनुमान है कि 2021 में कोल इंडिया का उत्पादन में 3.8 प्रतिशत बढ़ेगा.

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