नई दिल्ली: नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने सोमवार को स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी को गति देने के लिये 10 साल की कार्ययोजना और इनोवेशन के लिये मानक सृजित करने की जरूरत पर बल दिया.
उन्होंने हाइड्रोजन को खासकर वाणिज्यिक वाहनों के लिये भविष्य का ईंधन भी बताया जो देश भर में आवाजाही के मामले में दक्षता सुनिश्चित कर सकता है.
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सेरा वीक के भारत ऊर्जा मंच में कांत ने कहा, "हम आखिर स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी में कहां पहुंचना चाहते हैं, इस बारे में 10 साल के लिये एक रूपरेखा होना चाहिए. हमें नव्रपवर्तन को लेकर संबंधित पक्षों के लिये नीति के मामले में चीजें स्पष्ट करने की जरूरत है."
उन्होंने कहा कि भारत जैसे विकासशील देशों को नई प्रौद्योगिकियों के लिए मानक बनाने की आवश्यकता है. यह कभी-कभी स्थानीय इनोवेशन के साथ वैश्विक बाजार को प्रभावित करने के लिए भारतीय उद्यमियों के लिए एक बाधा बन जाते हैं.
कांत ने कहा कि भारत को मजबूत बनाने पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने इस मौके पर भारत के 2030 तक 4,50,000 मेगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को भी रेखांकित किया.
परंपरागत ऊर्जा की भूमिका के बारे में नीति आयोग के सीईओ ने कहा, "हमारा मानना है कि हाइड्रोजन ऐसा क्षेत्र है, जहां परंपरागत ऊर्जा कंपनियां पासा पलटने वाली साबित हो सकती हैं. इसका कारण तेल एवं गैस तथा हाइड्रोजन प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी के लिये जरूरी तकनीकों में समानता का होना है. परंपरागत ऊर्जा कंपनियां इन दिनों हाइड्रोजन और जैव-ईंधन पर ध्यान दे रही है."
कांत ने कहा, "यह उनके लिये एक अवसर है. मुझे भरोसा है कि हाइड्रोजन खासकर वाणिज्यिक वाहनों के लिये भविष्य का ईंधन होने जा रहा है. इससे आवाजाही में दक्षता बढ़ेगी."
(पीटीआई-भाषा)