नई दिल्ली : अमेरिका और ब्रिटेन समेत पांच देशों की अदालतों ने केयर्न मामले में न्यायाधिकरण के फैसले को मान्यता दी है. इस आदेश में भारत से 1.4 अरब डॉलर केयर्न एनर्जी पीएलसी को लौटाने को कहा गया है.
सूत्रों ने कहा कि इस आदेश के बाद अगर भारत सरकार राशि नहीं लौटाती है, ब्रिटिश कंपनी के पास उन देशों में भारत की संपत्ति जब्त करने का विकल्प है.
केयर्न एनर्जी ने भारत के खिलाफ 1.4 अरब डॉलर के मध्यस्थता आदेश को लागू करने इरादे से नौ देशों की अदालतों में गयी थी. कंपनी ने पूर्व की तिथि से पूंजी लाभ कर के भुगतान को लेकर देश के राजस्व प्राधिकरण के साथ विवाद मामले में यह जीत हासिल की है.
मामले से जुड़े तीन लोगों के अनुसार नीदरलैंड के तीन सदस्यीय स्थायी मध्यस्थता न्यायाधिकरण के 21 दिसंबर के निर्णय को अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा और फ्रांस की अदालतों ने मान्यता दी है.
केयर्न ने आदेश को सिंगापुर, जापान, संयुक्त अरब अमीरात और केमैन आईलैंड से मान्यता प्राप्त करने को लेकर प्रक्रिया शुरू की है.
अगर सरकार निर्णय के अनुसार राशि नहीं लौटाती है, तो उसे लागू करने को लेकर मामले को संबंधित देशों में दर्ज कराना पहला कदम है.
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अदालत के एक बार मान्यता देने के बाद कंपनी संबंधित राशि की वसूली को लेकर भारत सरकार की कोई भी संपत्ति जब्त करने को लेकर याचिका दे सकती है. इसमें बैंक खाता, सरकारी इकाइयों को भुगतान, विमान या जहाज शामिल है.
अबतक सरकार ने सीधे तौर पर केयर्न मामले में फैसले को चुनौती देने या उसका सम्मान करने को लेकर कोई प्रतिबद्धता नहीं जतायी है. हालांकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह अपील करने का संकेत दिया था.
केयर्न के शेयरधारक चाहते हैं कि अगर भारत सरकार भुगतान करने में विफल रहती है, कंपनी को आदेश लागू करने के लिये कदम उठाना चाहिए. कंपनी के शेयरधारकों में दुनिया के शीर्ष वित्तीय संस्थान शामिल हैं.
न्यायाधिकरण ने 21 दिसंबर को अपने आदेश में कहा था कि सरकार ने ब्रिटेन के साथ निवेश संधि का उल्लंघन किया है. अत: 10,247 करोड़ रुपये की कर मांग को लेकर कंपनी के जो शेयर उसने जब्त किये और बेचे, लाभंश और कर वापसी जब्त किये, उसे लौटाने की जवाबदेही है.
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