ETV Bharat / business

बजट 2019: रक्षा क्षेत्र को ज्यादा आवंटन की उम्मीद

इस बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटन की प्रकृति, सरंचना और दिशा को देखने के लिए लोगों में बहुत रुचि होगी. वर्तमान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ इस बार उम्मीदे अपने चरम पर है क्योंकि वह पूर्व रक्षा मंत्री भी थीं, जिससे उन्हें देश के रक्षा क्षेत्र द्वारा सामना किए जाने वाले मुद्दों और चिंताओं की जानकारी होगी.

बजट 2019: रक्षा क्षेत्र को ज्यादा आवंटन की उम्मीद
author img

By

Published : Jun 30, 2019, 7:24 PM IST

Updated : Jul 1, 2019, 10:06 AM IST

मुंबई: हालिया बालाकोट हवाई हमलों के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा पर पर बढ़ें तनाव के मद्देनजर भारत की सशस्त्र सेना सुर्खियों में रही. केंद्र में इस समय राष्ट्रवादी भावनाओं वाली सरकार है, जो बड़े पैमाने पर सशस्त्र बलों के समर्थन के लिए जानी जाती है, अपनी दूसरी पारी के पहले बजट की तैयारी में लगी है.

इस बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटन की प्रकृति, सरंचना और दिशा को देखने के लिए लोगों में बहुत रुचि होगी. वर्तमान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ इस बार उम्मीदे अपने चरम पर है क्योंकि वह पूर्व रक्षा मंत्री भी थीं, जिससे उन्हें देश के रक्षा क्षेत्र द्वारा सामना किए जाने वाले मुद्दों और चिंताओं की जानकारी होगी.

रक्षा क्षेत्र पर भारत का खर्च

भारत का रक्षा बजट एनडीए-1 सरकार द्वारा प्रस्तुत अंतरिम बजट में 3 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया, जो पिछले साल के संशोधित अनुमानों से 6.96 प्रतिशत अधिक था. हालांकि जब वित्त मंत्री सदन में बजट पेश करने जा रही हैं, तो यह याद रखना चाहिए कि भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद का 1.5 प्रतिशत से कम रक्षा पर खर्च करता है. यह चीन (2.5 प्रतिशत) और पाकिस्तान (3.5 प्रतिशत) के खर्च से भी कम है.

बढ़ती मुद्रास्फीति और बढ़ती विनिमय दर की अस्थिरता का प्रभाव

दूसरी ओर बढ़ती मुद्रास्फीति और बढ़ती विनिमय दर की अस्थिरता के मद्देनजर, हथियारों और अन्य सैन्य उपकरणों के अधिग्रहण पर खर्च होने वाली राशि वास्तव में इसकी आवश्यकता से कम होगी। पिछली प्रतिबद्ध देनदारियों के आवंटन में भी उनकी हिस्सेदारी होगी और इसलिए बजटीय आवंटन का काफी हद तक उपभोग करेंगे.

ये भी पढ़ें: बजट 2019: भारत के बीमार स्वास्थ्य क्षेत्र को बेहतर आवंटन से किया जाएगा दुरुस्त

इसके अलावा, वन रैंक वन पेंशन के कार्यान्वयन, सातवें वेतन आयोग के तहत बढ़ी हुई तनख्वाह, पेंशन और बकाया का भुगतान आवंटित बजट पर एक हिस्सा ले रहा होगा.

रक्षा खर्च बढ़ाने की जरूरत

रक्षा बलों की बढ़ती जरूरतों के मद्देनजर, नीति निर्माताओं को आवंटन के दौरान इन पहलुओं पर विचार करने और रक्षा क्षेत्र में बड़े आवंटन करने से रक्षा खर्च को बढ़ाने की आवश्यकता है.

यह ध्यान देने योग्य है कि रक्षा पर संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों के तहत रक्षा व्यय को जीडीपी के 3 प्रतिशत तक बढ़ाना चाहिए.

खर्च की गुणवत्ता भी महत्वपूर्ण

आवंटन की मात्रा महत्वपूर्ण है, लेकिन रक्षा बजट के खर्च की गुणवत्ता भी समान रूप से महत्वपूर्ण है. उदाहरण के लिए, भारत के रक्षा क्षेत्र में आय व्यय का खराब अनुपात 20:80 है. जबकि राजस्व व्यय वेतन, गोला-बारूद, परिवहन, कपड़े और रखरखाव आदि पर किया जाता है, पूंजी व्यय अप्रचलित हथियारों और उपकरणों के आधुनिकीकरण, आधुनिकीकरण और भूमि और इमारतों पर व्यय पर किया जाता है.

राजकोषीय बाधाओं और रक्षा जरूरतों को संतुलित करने के लिए उपर्युक्त कार्य

वास्तव में, राजकोषीय बाधाओं और राष्ट्र की रक्षा जरूरतों को संतुलित करने के लिए एक कठिन कार्य है. रक्षा बजट आवंटन में उत्तरोत्तर वृद्धि करते हुए, और खर्च की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए प्रयास करते हुए, देश भर में सेना की इकाइयों के तहत भूमि और भवनों जैसे संसाधनों के इष्टतम उपयोग पर जोर देकर और अपने स्वयं के उत्पादन के द्वारा राजकोषीय दायित्वों को पूरा करना अभी भी संभव है.

इस दिशा में प्रयास भारत सरकार के रक्षा खर्च की मात्रा और गुणवत्ता से समझौता नहीं करते हुए, केंद्र सरकार पर वित्तीय तनाव को कम करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करेंगे.

(लेखक- डॉ महेंद्र बाबू कुरुवा, एसिसटेंट प्रोफेसर, एच.एन.बी. गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय, उत्तराखंड)

मुंबई: हालिया बालाकोट हवाई हमलों के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा पर पर बढ़ें तनाव के मद्देनजर भारत की सशस्त्र सेना सुर्खियों में रही. केंद्र में इस समय राष्ट्रवादी भावनाओं वाली सरकार है, जो बड़े पैमाने पर सशस्त्र बलों के समर्थन के लिए जानी जाती है, अपनी दूसरी पारी के पहले बजट की तैयारी में लगी है.

इस बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटन की प्रकृति, सरंचना और दिशा को देखने के लिए लोगों में बहुत रुचि होगी. वर्तमान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ इस बार उम्मीदे अपने चरम पर है क्योंकि वह पूर्व रक्षा मंत्री भी थीं, जिससे उन्हें देश के रक्षा क्षेत्र द्वारा सामना किए जाने वाले मुद्दों और चिंताओं की जानकारी होगी.

रक्षा क्षेत्र पर भारत का खर्च

भारत का रक्षा बजट एनडीए-1 सरकार द्वारा प्रस्तुत अंतरिम बजट में 3 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया, जो पिछले साल के संशोधित अनुमानों से 6.96 प्रतिशत अधिक था. हालांकि जब वित्त मंत्री सदन में बजट पेश करने जा रही हैं, तो यह याद रखना चाहिए कि भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद का 1.5 प्रतिशत से कम रक्षा पर खर्च करता है. यह चीन (2.5 प्रतिशत) और पाकिस्तान (3.5 प्रतिशत) के खर्च से भी कम है.

बढ़ती मुद्रास्फीति और बढ़ती विनिमय दर की अस्थिरता का प्रभाव

दूसरी ओर बढ़ती मुद्रास्फीति और बढ़ती विनिमय दर की अस्थिरता के मद्देनजर, हथियारों और अन्य सैन्य उपकरणों के अधिग्रहण पर खर्च होने वाली राशि वास्तव में इसकी आवश्यकता से कम होगी। पिछली प्रतिबद्ध देनदारियों के आवंटन में भी उनकी हिस्सेदारी होगी और इसलिए बजटीय आवंटन का काफी हद तक उपभोग करेंगे.

ये भी पढ़ें: बजट 2019: भारत के बीमार स्वास्थ्य क्षेत्र को बेहतर आवंटन से किया जाएगा दुरुस्त

इसके अलावा, वन रैंक वन पेंशन के कार्यान्वयन, सातवें वेतन आयोग के तहत बढ़ी हुई तनख्वाह, पेंशन और बकाया का भुगतान आवंटित बजट पर एक हिस्सा ले रहा होगा.

रक्षा खर्च बढ़ाने की जरूरत

रक्षा बलों की बढ़ती जरूरतों के मद्देनजर, नीति निर्माताओं को आवंटन के दौरान इन पहलुओं पर विचार करने और रक्षा क्षेत्र में बड़े आवंटन करने से रक्षा खर्च को बढ़ाने की आवश्यकता है.

यह ध्यान देने योग्य है कि रक्षा पर संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों के तहत रक्षा व्यय को जीडीपी के 3 प्रतिशत तक बढ़ाना चाहिए.

खर्च की गुणवत्ता भी महत्वपूर्ण

आवंटन की मात्रा महत्वपूर्ण है, लेकिन रक्षा बजट के खर्च की गुणवत्ता भी समान रूप से महत्वपूर्ण है. उदाहरण के लिए, भारत के रक्षा क्षेत्र में आय व्यय का खराब अनुपात 20:80 है. जबकि राजस्व व्यय वेतन, गोला-बारूद, परिवहन, कपड़े और रखरखाव आदि पर किया जाता है, पूंजी व्यय अप्रचलित हथियारों और उपकरणों के आधुनिकीकरण, आधुनिकीकरण और भूमि और इमारतों पर व्यय पर किया जाता है.

राजकोषीय बाधाओं और रक्षा जरूरतों को संतुलित करने के लिए उपर्युक्त कार्य

वास्तव में, राजकोषीय बाधाओं और राष्ट्र की रक्षा जरूरतों को संतुलित करने के लिए एक कठिन कार्य है. रक्षा बजट आवंटन में उत्तरोत्तर वृद्धि करते हुए, और खर्च की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए प्रयास करते हुए, देश भर में सेना की इकाइयों के तहत भूमि और भवनों जैसे संसाधनों के इष्टतम उपयोग पर जोर देकर और अपने स्वयं के उत्पादन के द्वारा राजकोषीय दायित्वों को पूरा करना अभी भी संभव है.

इस दिशा में प्रयास भारत सरकार के रक्षा खर्च की मात्रा और गुणवत्ता से समझौता नहीं करते हुए, केंद्र सरकार पर वित्तीय तनाव को कम करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करेंगे.

(लेखक- डॉ महेंद्र बाबू कुरुवा, एसिसटेंट प्रोफेसर, एच.एन.बी. गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय, उत्तराखंड)

Intro:Body:

मुंबई: हालिया बालाकोट हवाई हमलों के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा पर पर बढ़ें तनाव के मद्देनजर भारत की सशस्त्र सेना सुर्खियों में रही. केंद्र में इस समय राष्ट्रवादी भावनाओं वाली सरकार है, जो बड़े पैमाने पर सशस्त्र बलों के समर्थन के लिए जानी जाती है, अपनी दूसरी पारी के पहले बजट की तैयारी में लगी है.

इस बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटन की प्रकृति, सरंचना और दिशा को देखने के लिए लोगों में बहुत रुचि होगी. वर्तमान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ इस बार उम्मीदे अपने चरम पर है क्योंकि वह पूर्व रक्षा मंत्री भी थीं, जिससे उन्हें देश के रक्षा क्षेत्र द्वारा सामना किए जाने वाले मुद्दों और चिंताओं की जानकारी होगी.

रक्षा क्षेत्र पर भारत का खर्च

भारत का रक्षा बजट एनडीए-1 सरकार द्वारा प्रस्तुत अंतरिम बजट में 3 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया, जो पिछले साल के संशोधित अनुमानों से 6.96 प्रतिशत अधिक था. हालांकि जब वित्त मंत्री सदन में बजट पेश करने जा रही हैं, तो यह याद रखना चाहिए कि भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद का 1.5 प्रतिशत से कम रक्षा पर खर्च करता है. यह चीन (2.5 प्रतिशत) और पाकिस्तान (3.5 प्रतिशत) के खर्च से भी कम है.

बढ़ती मुद्रास्फीति और बढ़ती विनिमय दर की अस्थिरता का प्रभाव

दूसरी ओर बढ़ती मुद्रास्फीति और बढ़ती विनिमय दर की अस्थिरता के मद्देनजर, हथियारों और अन्य सैन्य उपकरणों के अधिग्रहण पर खर्च होने वाली राशि वास्तव में इसकी आवश्यकता से कम होगी। पिछली प्रतिबद्ध देनदारियों के आवंटन में भी उनकी हिस्सेदारी होगी और इसलिए बजटीय आवंटन का काफी हद तक उपभोग करेंगे.

इसके अलावा, वन रैंक वन पेंशन के कार्यान्वयन, सातवें वेतन आयोग के तहत बढ़ी हुई तनख्वाह, पेंशन और बकाया का भुगतान आवंटित बजट पर एक हिस्सा ले रहा होगा.

रक्षा खर्च बढ़ाने की जरूरत

रक्षा बलों की बढ़ती जरूरतों के मद्देनजर, नीति निर्माताओं को आवंटन के दौरान इन पहलुओं पर विचार करने और रक्षा क्षेत्र में बड़े आवंटन करने से रक्षा खर्च को बढ़ाने की आवश्यकता है.

यह ध्यान देने योग्य है कि रक्षा पर संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों के तहत रक्षा व्यय को जीडीपी के 3 प्रतिशत तक बढ़ाना चाहिए.



खर्च की गुणवत्ता भी महत्वपूर्ण

आवंटन की मात्रा महत्वपूर्ण है, लेकिन रक्षा बजट के खर्च की गुणवत्ता भी समान रूप से महत्वपूर्ण है. उदाहरण के लिए, भारत के रक्षा क्षेत्र में आय व्यय का खराब अनुपात 20:80 है. जबकि राजस्व व्यय वेतन, गोला-बारूद, परिवहन, कपड़े और रखरखाव आदि पर किया जाता है, पूंजी व्यय अप्रचलित हथियारों और उपकरणों के आधुनिकीकरण, आधुनिकीकरण और भूमि और इमारतों पर व्यय पर किया जाता है.



राजकोषीय बाधाओं और रक्षा जरूरतों को संतुलित करने के लिए उपर्युक्त कार्य

वास्तव में, राजकोषीय बाधाओं और राष्ट्र की रक्षा जरूरतों को संतुलित करने के लिए एक कठिन कार्य है. रक्षा बजट आवंटन में उत्तरोत्तर वृद्धि करते हुए, और खर्च की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए प्रयास करते हुए, देश भर में सेना की इकाइयों के तहत भूमि और भवनों जैसे संसाधनों के इष्टतम उपयोग पर जोर देकर और अपने स्वयं के उत्पादन के द्वारा राजकोषीय दायित्वों को पूरा करना अभी भी संभव है.

इस दिशा में प्रयास भारत सरकार के रक्षा खर्च की मात्रा और गुणवत्ता से समझौता नहीं करते हुए, केंद्र सरकार पर वित्तीय तनाव को कम करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करेंगे.

ये भी पढ़ें:


Conclusion:
Last Updated : Jul 1, 2019, 10:06 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.