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बजट सत्र: सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक के नियमन के दायरे में लाने वाले विधेयक को मंजूरी मिलने की उम्मीद - बजट सत्र

पंजाब एंड महाराष्ट्र को-आपरेटिव बैंक जैसे संकट की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सहकारी बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक के नियमन के तहत लाने की तैयारी हो रही है. इस कदम के पीछे मुख्य मकसद जमाकर्ताओं के धन को सुरक्षित रखना है.

बजट सत्र: सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक के नियमन के दायरे में लाने वाले विधेयक को मंजूरी मिलने की उम्मीद
बजट सत्र: सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक के नियमन के दायरे में लाने वाले विधेयक को मंजूरी मिलने की उम्मीद
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Published : Mar 1, 2020, 4:53 PM IST

Updated : Mar 3, 2020, 1:54 AM IST

नई दिल्ली: सहकारी बैंकों की कमजोरियों को दूर करने के लिए इन्हें भारतीय रिजर्व बैंक के नियमन के तहत लाने की तैयारी हो रही है. बहु-राज्य सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक के प्रभावी नियमन के दायरे में लाने के लिये बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक संसद के बजट सत्र में पारित किया जा सकता है.

सूत्रों ने कहा कि प्रस्तावित कानून से पंजाब एंड महाराष्ट्र को-आपरेटिव बैंक जैसे संकट की पुनरावृत्ति को रोका जा सकेगा. देश में कुल 1,540 सहकारी बैंक हैं. इनमें बैंकों के जमाकर्ताओं की संख्या 8.60 करोड़ है. इन जमाकर्ताओं की सहकारी बैंकों में कुल जमा पांच लाख करोड़ रुपये है.

ये भी पढ़ें- दुकान से खरीदारी की पक्की रसीद लेने पर मिल सकते हैं एक करोड़ !

पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बैंकिंग नियमन अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी थी. इस विधेयक को संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में मंजूरी मिलने की उम्मीद है. बजट सत्र का दूसरा चरण सोमवार से शुरू हो रहा है. यह तीन अप्रैल को समाप्त होगा.

सरकार ने सार्वजनिक बैंकों, निजी क्षेत्र के बैंकों, आईएलएंडएफएस जैसे वित्तीय संस्थानों, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), आडिटरों और रेटिंग एजेंसियों की साफ-सफाई के लिए कई उपाय किए हैं.

पूरे पारिस्थतिकी तंत्र को पूरी तरह गड़बड़ी मुक्त करने की दिशा में सहकारी बैंकों को केंद्रीय बैंक के नियमन के तहत लाना एक आखिरी कदम होगा. इस कदम के पीछे मुख्य मकसद जमाकर्ताओं के धन को सुरक्षित रखना है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: सहकारी बैंकों की कमजोरियों को दूर करने के लिए इन्हें भारतीय रिजर्व बैंक के नियमन के तहत लाने की तैयारी हो रही है. बहु-राज्य सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक के प्रभावी नियमन के दायरे में लाने के लिये बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक संसद के बजट सत्र में पारित किया जा सकता है.

सूत्रों ने कहा कि प्रस्तावित कानून से पंजाब एंड महाराष्ट्र को-आपरेटिव बैंक जैसे संकट की पुनरावृत्ति को रोका जा सकेगा. देश में कुल 1,540 सहकारी बैंक हैं. इनमें बैंकों के जमाकर्ताओं की संख्या 8.60 करोड़ है. इन जमाकर्ताओं की सहकारी बैंकों में कुल जमा पांच लाख करोड़ रुपये है.

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पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बैंकिंग नियमन अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी थी. इस विधेयक को संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में मंजूरी मिलने की उम्मीद है. बजट सत्र का दूसरा चरण सोमवार से शुरू हो रहा है. यह तीन अप्रैल को समाप्त होगा.

सरकार ने सार्वजनिक बैंकों, निजी क्षेत्र के बैंकों, आईएलएंडएफएस जैसे वित्तीय संस्थानों, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), आडिटरों और रेटिंग एजेंसियों की साफ-सफाई के लिए कई उपाय किए हैं.

पूरे पारिस्थतिकी तंत्र को पूरी तरह गड़बड़ी मुक्त करने की दिशा में सहकारी बैंकों को केंद्रीय बैंक के नियमन के तहत लाना एक आखिरी कदम होगा. इस कदम के पीछे मुख्य मकसद जमाकर्ताओं के धन को सुरक्षित रखना है.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Mar 3, 2020, 1:54 AM IST
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