नई दिल्ली, आठ अप्रैल (भाषा) केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि वे अगले तीन माह तक थोक खरीदारों, प्रसंस्करणकर्ताओं और बड़ी खुदरा कंपनियों को किसानों, कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और सहकारिताओं से कृषि उत्पादों की सीधे खरीद की अनुमति दें. केंद्र ने कहा है कि इससे कोविड-19 की वजह से लागू बंदी के दौरान मंडियों से भीड़भाड़ कम करने में मदद मिलेगी और उपभोग वाले क्षेत्रों में आपूर्ति भी सुनिश्चित हो सकेगी.
केंद्रीय कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने इस बारे में सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा है. राज्य सरकारों से कहा गया है कि वे भंडारण विकास एवं नियामक प्राधिकरण (डब्ल्यूडीआरए) के पास पंजीकृत भंडारगृहों को इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (ईनाम) के जरिये आनलाइन कारोबार के लिए अधिसूचित करें.
अग्रवाल ने कहा कि राज्यों से इन दो उपायों को कम से कम तीन माह तक अपनाने को कहा गया है. उन्होंने कहा कि कटाई का सत्र शुरू हो गया है। ऐसे में किसानों, एफपीओ और सहकारिताओं के लिए तत्काल विपणन प्रक्रिया की जरूरत है.
कृषि सचिव ने कहा कि कोविड-19 संकट के मद्देनजर मंडियों के बाहर सीधी बाजार पहुंच उपलब्ध कराने की जरूरत है. इससे न केवल मंडियों में भीड़ कम की जा सकेगी बल्कि किसानों को लाभकारी मूल्य मिल सकेगा. उन्होंने कहा कि इससे किसान कटाई केंद्र के पास अपनी फसल बेच सकेंगे। साथ ही मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए मंडियों से भीड़ भी कम की जा सकेगी.
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किसानों की भंडारित फसल के 'ई-नाम' के जरिये आनलाइन कारोबार के लिए राज्यों को पंजीकृत भंडारगृहों का इस्तेमाल करने को कहा गया है. सरकार ने लॉकडाउन के दौरान कई कृषि गतिविधियों के लिए छूट दी है. इसके पीछे उद्देश्य किसानों को राहत देना और उपभोग वाले क्षेत्रों में सब्जियों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करन है.
(पीटीआई-भाषा)