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महामारी के एक साल : क्या हम 'ग्रीन रिकवरी' की तरफ बढ़ रहे हैं? - UN Environment Programme

ऑक्सफोर्ड के आर्थिक सुधार परियोजना और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के नेतृत्व में किए गए एक विश्लेषण के अनुसार प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं द्वारा किए गए कुल खर्च का केवल 18.0 फीसदी रिकवरी खर्च को ही हरित खर्च माना जा सकता है.

महामारी के एक साल : क्या हम एक 'ग्रीन रिकवरी' की तरफ बढ़ रहे हैं?
महामारी के एक साल : क्या हम एक 'ग्रीन रिकवरी' की तरफ बढ़ रहे हैं?
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Published : Mar 12, 2021, 7:26 PM IST

हैदराबाद : महामारी की शुरुआती एक वर्ष बाद रिकवरी खर्चों में देश की प्रतिबद्धता कम हो गई है, ताकि अधिक निरंतरता का निर्माण किया जा सके.

ऑक्सफोर्ड के आर्थिक सुधार परियोजना और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के नेतृत्व में किए गए एक विश्लेषण के अनुसार प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं द्वारा किए गए कुल खर्च का केवल 18.0 फीसदी रिकवरी खर्च को ही हरित खर्च माना जा सकता है.

ग्लोबल रिकवरी ऑब्जर्वेटरी की एक रिपोर्ट के अनुसार, सभी कोविड-19 रिकवरी खर्चों में से केवल 2.5 प्रतिशत में 'पॉजिटिव ग्रीन विशेषताएं' होंगी, जैसे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना और प्राकृतिक पूंजी की रक्षा करना.

यह ऑब्जर्वेटरी दुनिया की पचास सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के राजकोषीय बचाव और वसूली खर्च पर नज़र रख रही है, ताकि बचाव और वसूली योजनाओं में निर्मित हरित खर्च के स्तर को कम किया जा सके. अध्ययन संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी), अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और ड्यूश गेसेलशाफ्ट फर इंटरनेशनेल ज़ुसमेनारबीट (जीआईज़ेड) द्वारा समर्थित व्यापक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय आर्थिक सुधार परियोजना का हिस्सा है.

रिपोर्ट जो कि अर्थव्यवस्थाओं द्वारा कोरोना संबंधित राजकोषीय बचाव और पुनर्प्राप्ति प्रयासों का व्यापाक विश्लेषण है, बताता है कि साल 2020 में 50अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं द्वारा किए गए 14.6 ट्रिलियन डॉलर के खर्च में से केवल 368 बिलियन डॉलर ही एक पर्यावरण अनुकूल अर्थव्यवस्था बनाने के लिए थे.

वैश्विक अर्थव्यवस्था ने 2020 (आईएमएफ, 2021) में लगभग 3.5% की गिरावट आई, जो कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे ज्यादा थी.

विश्लेषण के मुख्य निष्कर्ष

रिपोर्ट बताती है कि उन्नत अर्थव्यवस्थाएं उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में खर्च किए जा रहे खर्च की तुलना में प्रति व्यक्ति लगभग 17 गुना अधिक खर्च कर रही हैं.

  • 341 बिलियन डॉलर या 18 फीसदी हरियाली पर खर्च हुए हैं, जिसमें ज्यादातर उच्च आय वाले देशों के छोटे समूह ने योगदान दिया. वैश्विक वसूली खर्च अब तक हरित निवेश का अवसर चूक रहा है.
  • 66.1 बिलियन डॉलर लो कॉर्बन ऊर्जा में निवेश किया गया था. जिसके लिए प्रमुख रूप से अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं और हाइड्रोजन और बुनियादी ढांचे के निवेश के लिए स्पेन और जर्मनी की सब्सिडी जिम्मेदार रही.
  • इलेक्ट्रिक वाहन स्थानांतरण और सब्सिडी, सार्वजनिक परिवहन में निवेश, साइकिल चलाना और बुनियादी ढांचा में ग्रीन ट्रांसपोर्ट के लिए 86.1 बिलियन डॉलर की घोषणा की.
  • ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए ग्रीन बिल्डिंग अपग्रेड के लिए 35.2 बिलियन डॉलर की घोषणा की गई, जो ज्यादातर फ्रांस और ब्रिटेन में रेट्रोफिट्स के जरिए की गई.
  • प्राकृतिक पूंजी या प्रकृति-आधारित समाधान (एनबीएस) के लिए 56.3 बिलियन डॉलर की घोषणा की गई.
  • 2/5 हिस्से को सार्वजनिक पार्कों और काउंटर प्रदूषण उपायों की ओर निर्देशित किया गया था, विशेष रूप से अमेरिका और चीन में, जीवन की गुणवत्ता में सुधार और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए.
  • हरित आरएंडडी में 28.9 बिलियन डॉलर की घोषणा की गई. हरित आरएंडडी में नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी, विमानन क्षेत्र, प्लास्टिक, और कृषि और कार्बन अनुक्रम के रूप में डीकार्बोनिजिंग क्षेत्रों की प्रौद्योगिकियां शामिल हैं. हरित आरएंडडी में प्रगति के बिना, पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए दूरगामी मूल्य निर्धारण और जीवन शैली में बदलाव की आवश्यकता होगी.

ये भी पढ़ें : कोविड-19 ने महिलाओं में बेरोजगारी दर बढ़ाई : रिपोर्ट

हैदराबाद : महामारी की शुरुआती एक वर्ष बाद रिकवरी खर्चों में देश की प्रतिबद्धता कम हो गई है, ताकि अधिक निरंतरता का निर्माण किया जा सके.

ऑक्सफोर्ड के आर्थिक सुधार परियोजना और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के नेतृत्व में किए गए एक विश्लेषण के अनुसार प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं द्वारा किए गए कुल खर्च का केवल 18.0 फीसदी रिकवरी खर्च को ही हरित खर्च माना जा सकता है.

ग्लोबल रिकवरी ऑब्जर्वेटरी की एक रिपोर्ट के अनुसार, सभी कोविड-19 रिकवरी खर्चों में से केवल 2.5 प्रतिशत में 'पॉजिटिव ग्रीन विशेषताएं' होंगी, जैसे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना और प्राकृतिक पूंजी की रक्षा करना.

यह ऑब्जर्वेटरी दुनिया की पचास सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के राजकोषीय बचाव और वसूली खर्च पर नज़र रख रही है, ताकि बचाव और वसूली योजनाओं में निर्मित हरित खर्च के स्तर को कम किया जा सके. अध्ययन संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी), अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और ड्यूश गेसेलशाफ्ट फर इंटरनेशनेल ज़ुसमेनारबीट (जीआईज़ेड) द्वारा समर्थित व्यापक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय आर्थिक सुधार परियोजना का हिस्सा है.

रिपोर्ट जो कि अर्थव्यवस्थाओं द्वारा कोरोना संबंधित राजकोषीय बचाव और पुनर्प्राप्ति प्रयासों का व्यापाक विश्लेषण है, बताता है कि साल 2020 में 50अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं द्वारा किए गए 14.6 ट्रिलियन डॉलर के खर्च में से केवल 368 बिलियन डॉलर ही एक पर्यावरण अनुकूल अर्थव्यवस्था बनाने के लिए थे.

वैश्विक अर्थव्यवस्था ने 2020 (आईएमएफ, 2021) में लगभग 3.5% की गिरावट आई, जो कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे ज्यादा थी.

विश्लेषण के मुख्य निष्कर्ष

रिपोर्ट बताती है कि उन्नत अर्थव्यवस्थाएं उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में खर्च किए जा रहे खर्च की तुलना में प्रति व्यक्ति लगभग 17 गुना अधिक खर्च कर रही हैं.

  • 341 बिलियन डॉलर या 18 फीसदी हरियाली पर खर्च हुए हैं, जिसमें ज्यादातर उच्च आय वाले देशों के छोटे समूह ने योगदान दिया. वैश्विक वसूली खर्च अब तक हरित निवेश का अवसर चूक रहा है.
  • 66.1 बिलियन डॉलर लो कॉर्बन ऊर्जा में निवेश किया गया था. जिसके लिए प्रमुख रूप से अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं और हाइड्रोजन और बुनियादी ढांचे के निवेश के लिए स्पेन और जर्मनी की सब्सिडी जिम्मेदार रही.
  • इलेक्ट्रिक वाहन स्थानांतरण और सब्सिडी, सार्वजनिक परिवहन में निवेश, साइकिल चलाना और बुनियादी ढांचा में ग्रीन ट्रांसपोर्ट के लिए 86.1 बिलियन डॉलर की घोषणा की.
  • ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए ग्रीन बिल्डिंग अपग्रेड के लिए 35.2 बिलियन डॉलर की घोषणा की गई, जो ज्यादातर फ्रांस और ब्रिटेन में रेट्रोफिट्स के जरिए की गई.
  • प्राकृतिक पूंजी या प्रकृति-आधारित समाधान (एनबीएस) के लिए 56.3 बिलियन डॉलर की घोषणा की गई.
  • 2/5 हिस्से को सार्वजनिक पार्कों और काउंटर प्रदूषण उपायों की ओर निर्देशित किया गया था, विशेष रूप से अमेरिका और चीन में, जीवन की गुणवत्ता में सुधार और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए.
  • हरित आरएंडडी में 28.9 बिलियन डॉलर की घोषणा की गई. हरित आरएंडडी में नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी, विमानन क्षेत्र, प्लास्टिक, और कृषि और कार्बन अनुक्रम के रूप में डीकार्बोनिजिंग क्षेत्रों की प्रौद्योगिकियां शामिल हैं. हरित आरएंडडी में प्रगति के बिना, पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए दूरगामी मूल्य निर्धारण और जीवन शैली में बदलाव की आवश्यकता होगी.

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