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जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिए 21 राज्यों ने किया केंद्र के कर्ज प्रस्ताव का समर्थन - gst council

झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल को छोड़कर 21 राज्यों ने जीएसटी संग्रह में कमी की क्षतिपूर्ति के लिए 97,000 करोड़ रुपये कर्ज लेने के केंद्र सरकार के विकल्प का समर्थन किया है. वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी.

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जीएसटी क्षतिपूर्ति
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Published : Sep 20, 2020, 9:18 PM IST

नई दिल्ली : जीएसटी संग्रह में कमी की क्षतिपूर्ति के लिए कुल 21 राज्यों ने 97,000 करोड़ रुपये कर्ज लेने के केंद्र के विकल्प का समर्थन किया है. यह राज्य मुख्य रूप से भाजपा शासित और उन दलों की सरकार वाले हैं, जो विभिन्न मुद्दों पर केंद्र की नीतियों का समर्थन करते रहे हैं.

सूत्रों के मुताबिक, जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने केंद्र को अपने निर्णय के बारे में सूचना दी है, उनमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, ओडिशा, पुडुचेरी, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश शामिल हैं.

वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल को जीएसटी परिषद को अपने विकल्प के बारे में सूचना देनी है.

सूत्रों ने कहा कि जो राज्य निर्धारित तारीख पांच अक्टूबर, 2020 तक कर्ज विकल्प के बारे में परिषद को सूचना नहीं देंगे, उन्हें क्षतिपूर्ति बकाया प्राप्त करने के लिए जून, 2022 तक इंतजार करना होगा. यह भी इस बात पर निर्भर है कि जीएसटी परिषद उपकर संग्रह की अवधि 2022 के बाद बढ़ाता है या नहीं.

सूत्रों ने बताया कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की मौजूदगी में जीएसटी परिषद को कोई प्रस्ताव अगर मतदान के लिए आता है तो उसे पारित करने के लिए केवल 20 राज्यों की जरूरत है.

चालू वित्त वर्ष में राज्यों को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह में 2.35 करोड़ रुपये के राजस्व की कमी का अनुमान है.

केंद्र के आकलन के अनुसार, करीब 97,000 करोड़ रुपये की कमी जीएसटी क्रियान्वयन के कारण है, जबकि शेष 1.38 लाख करोड़ रुपये के नुकसान की वजह कोरोना महामारी है. इस महामारी के कारण राज्यों के राजस्व पर प्रतिकूल असर पड़ा है.

केंद्र ने पिछले महीने राज्यों को दो विकल्प दिए थे. इसके तहत 97,000 करोड़ रुपये रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली विशेष सुविधा से या पूरा 2.35 लाख करोड़ रुपये बाजार से लेने का विकल्प दिया गया था. साथ ही आरामदायक और समाज के नजरिए से अहितकर वस्तुओं पर 2022 के बाद भी उपकर लगाने का प्रस्ताव किया गया था.

सूत्रों ने कहा कि कुछ और राज्य कर्ज के विकल्प के बारे में एक-दो दिन में सूचना दे देंगे. मणिपुर ने शुरू में बाजार से 2.35 लाख करोड़ रुपये के कर्ज लेने का विकल्प चुना था. बाद में उसने 97,000 करोड़ रुपये के कर्ज का विकल्प चुना.

हालांकि, गैर-भाजपा शासित राज्य जीएसटी राजस्व में कमी को पूरा करने के लिए कर्ज के विकल्प का विरोध कर रहे हैं.

छह गैर-भाजपा शासित राज्यों पश्चिम बंगाल, केरल, दिल्ली, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र को पत्र लिखकर विकल्पों का विरोध किया है, जिसके तहत राज्यों की कमी को पूरा करने के लिए कर्ज लेने की जरूरत होगी.

यह भी पढ़ें- जीएसटी आधार पंजीकरण: चरण-दर-चरण जानिए कैसे तीन दिनों में पाएं जीएसटी नंबर

यह राज्य चाहते हैं कि केंद्र सरकार कमी की भरपाई के लिए कर्ज ले. जबकि केंद्र की दलील है कि जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर राज्यों को जाता है और केंद्र उस कर के नाम पर कर्ज नहीं ले सकता है, जो वह नहीं लेता.

जीएसटी ढांचे के तहत कर 5, 12, 18, और 28 प्रतिशत के स्लैब में लगाए जाते हैं. इसके अलावा आरामदायक तथा समाज के नजरिए से अहितकर वस्तुओं पर उपकर लगाया जाता है. उपकर से प्राप्त राशि का उपयोग राज्यों के राजस्व में कमी की भरपाई के लिए किया जाता है.

नई दिल्ली : जीएसटी संग्रह में कमी की क्षतिपूर्ति के लिए कुल 21 राज्यों ने 97,000 करोड़ रुपये कर्ज लेने के केंद्र के विकल्प का समर्थन किया है. यह राज्य मुख्य रूप से भाजपा शासित और उन दलों की सरकार वाले हैं, जो विभिन्न मुद्दों पर केंद्र की नीतियों का समर्थन करते रहे हैं.

सूत्रों के मुताबिक, जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने केंद्र को अपने निर्णय के बारे में सूचना दी है, उनमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, ओडिशा, पुडुचेरी, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश शामिल हैं.

वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल को जीएसटी परिषद को अपने विकल्प के बारे में सूचना देनी है.

सूत्रों ने कहा कि जो राज्य निर्धारित तारीख पांच अक्टूबर, 2020 तक कर्ज विकल्प के बारे में परिषद को सूचना नहीं देंगे, उन्हें क्षतिपूर्ति बकाया प्राप्त करने के लिए जून, 2022 तक इंतजार करना होगा. यह भी इस बात पर निर्भर है कि जीएसटी परिषद उपकर संग्रह की अवधि 2022 के बाद बढ़ाता है या नहीं.

सूत्रों ने बताया कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की मौजूदगी में जीएसटी परिषद को कोई प्रस्ताव अगर मतदान के लिए आता है तो उसे पारित करने के लिए केवल 20 राज्यों की जरूरत है.

चालू वित्त वर्ष में राज्यों को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह में 2.35 करोड़ रुपये के राजस्व की कमी का अनुमान है.

केंद्र के आकलन के अनुसार, करीब 97,000 करोड़ रुपये की कमी जीएसटी क्रियान्वयन के कारण है, जबकि शेष 1.38 लाख करोड़ रुपये के नुकसान की वजह कोरोना महामारी है. इस महामारी के कारण राज्यों के राजस्व पर प्रतिकूल असर पड़ा है.

केंद्र ने पिछले महीने राज्यों को दो विकल्प दिए थे. इसके तहत 97,000 करोड़ रुपये रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली विशेष सुविधा से या पूरा 2.35 लाख करोड़ रुपये बाजार से लेने का विकल्प दिया गया था. साथ ही आरामदायक और समाज के नजरिए से अहितकर वस्तुओं पर 2022 के बाद भी उपकर लगाने का प्रस्ताव किया गया था.

सूत्रों ने कहा कि कुछ और राज्य कर्ज के विकल्प के बारे में एक-दो दिन में सूचना दे देंगे. मणिपुर ने शुरू में बाजार से 2.35 लाख करोड़ रुपये के कर्ज लेने का विकल्प चुना था. बाद में उसने 97,000 करोड़ रुपये के कर्ज का विकल्प चुना.

हालांकि, गैर-भाजपा शासित राज्य जीएसटी राजस्व में कमी को पूरा करने के लिए कर्ज के विकल्प का विरोध कर रहे हैं.

छह गैर-भाजपा शासित राज्यों पश्चिम बंगाल, केरल, दिल्ली, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र को पत्र लिखकर विकल्पों का विरोध किया है, जिसके तहत राज्यों की कमी को पूरा करने के लिए कर्ज लेने की जरूरत होगी.

यह भी पढ़ें- जीएसटी आधार पंजीकरण: चरण-दर-चरण जानिए कैसे तीन दिनों में पाएं जीएसटी नंबर

यह राज्य चाहते हैं कि केंद्र सरकार कमी की भरपाई के लिए कर्ज ले. जबकि केंद्र की दलील है कि जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर राज्यों को जाता है और केंद्र उस कर के नाम पर कर्ज नहीं ले सकता है, जो वह नहीं लेता.

जीएसटी ढांचे के तहत कर 5, 12, 18, और 28 प्रतिशत के स्लैब में लगाए जाते हैं. इसके अलावा आरामदायक तथा समाज के नजरिए से अहितकर वस्तुओं पर उपकर लगाया जाता है. उपकर से प्राप्त राशि का उपयोग राज्यों के राजस्व में कमी की भरपाई के लिए किया जाता है.

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