हैदराबाद : दुनियाभर में तबाही मचा रहा कोविड -19 वायरस अपना स्वरूप बदलते हुए और खतरनाक होता जा रहा है. वहीं इसके बारे में तरह-तरह के खुलासे हो रहे हैं.
ऑस्ट्रेलिया में कोविड -19 पर शोध का नेतृत्व करने वाले भारतीय वैज्ञानिक प्रोफेसर शेषाद्रि वासन ने दावा किया है कि SARS-COV-2 वायरस के कारण कोविड-19 महामारी उत्पन्न हुई. वायरस, मिंक में उत्परिवर्तित होने के बाद मनुष्यों में फिर से प्रवेश कर रहा है, जो चिंता का कारण है.
एक चिंता यह भी है कि यह बदलाव भविष्य में कोविद -19 वैक्सीन को बेकार कर सकता है. मामला सामने आने के बाद डेनमार्क सरकार ने विभिन्न प्रजनन केंद्रों में पल रहे 1.7 करोड़ मिंक की हत्या का आदेश दिया है.
ऊन के लिए पाले जाते हैं मिंक
मिंक ऊदबिलाव की तरह का मांसाहारी स्तनधारी जानवर होता है. इसकी दो प्रचलित प्रजातियां हैं, अमेरिकी मिंक और यूरोपीय मिंक. डेनमार्क में यह ऊन के लिए पाले जाते हैं. चिंता यह है कि मिंक की आबादी तेजी से बढ़ी तो महामारी और भयंकर रूप ले सकती है.
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'वाई 453 एफ' नाम दिया, भारत में नहीं दिखा
वासन ने कोरोना के बदले स्वरूप का नाम 'वाई 453 एफ' दिया है. भारत में इसके पाए जाने का मामला अभी सामने नहीं आया है. वासन का कहना है कोरोना आरएनए वायरस है यह बदलना जारी रखेगा. हमें इसके बारे में बहुत ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है. पहले से ही यह T614 G उत्परिवर्तन से बना है,जो भारत सहित दुनिया भर के कई देशों में फैला है. T614 G उत्परिवर्तन कोविद के टीके पर पहले ही साबित हो चुके हैं. हालांकि, हम अभी Y453F के प्रभाव के निष्कर्ष पर नहीं आ पाए हैं.
387 मामलों में पुष्टि
वासन ने कहा कि 12 नवंबर तक 1,97,274 कोरोना वायरस जीन का विश्लेषण किया गया. 387 मामलों में, वाई 453 एफ का बदलाव पाया गया. यह 340 मनुष्यों में, 42 अमेरिकी मिंक में और 5 यूरोपीय मिंक जानवरों में दर्ज किया गया है. Y453F के प्रभाव और इसके लक्षणों के संबंध में अभी शोध जारी है.