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अलीगढ़ हत्याकांड: स्वाति मालीवाल ने प्रधानमंत्री को लिखा खत, उठाएं कई सवाल

अलीगढ़ हत्याकांड मामले में दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाने के लिए दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा पत्र.

स्वाति मालीवाल
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Published : Jun 10, 2019, 10:05 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अलीगढ़ हत्याकांड मामले में दोषियों को जल्द से जल्द फांसी दिए जाने की मांग की है.

गौरतलब है कि पिछले साल फरवरी में कठुआ, उन्नाव और मध्यप्रदेश में छोटी बच्चियों के साथ जघन्य बलात्कार और हत्या की घटनाओं से पूरा देश हिल गया था. जिसको लेकर स्वाति मालीवाल ने इस तरह के अपराधों पर रोक लगाने के लिए कड़ी सजा की मांग की थी.

स्वाति मालीवाल, महिला आयोग अध्यक्ष

सरकार के कई वादे लेकिन पूरा एक भी नहीं
बच्चों के बलात्कारियों को 6 महीने के अंदर फांसी की सज़ा की मांग को लेकर स्वाति मालीवाल आमरण अनशन पर बैठी थी. अनशन के 10वें दिन कैबिनेट ने मौजूदा कानून में बदलाव के लिए एक अध्यादेश पारित किया जिससे 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के बलात्कारियों के लिए फांसी की सज़ा का प्रावधान किया गया था.

साथ ही दिल्ली सरकार ने यह वादा किया था कि अगले तीन महीनों में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट की संख्या बढ़ाई जाएगी ताकि बेहतर फॉरेंसिक टेस्ट की सुविधाएं दी जाएंगी. पुलिस को अच्छी जांच तकनीक मुहैया कराई जाएगी जिससे पीड़ितों को जल्दी न्याय मिल सके. लेकिन, इतने वादों और अपराधों की बढ़ोतरी के बाद भी सरकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.

उठाए कई सवाल
अलीगढ़ मामले पर मालीवाल ने कहा कि इस घटना ने देश की आत्मा को झकझोर दिया है पर सरकार अभी भी चुप है. ऐसा चलता रहा तो इस प्रकार के जघन्य अपराध कब रुकेंगे?

उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले मेरठ में एक 9 साल की बच्ची के साथ बलात्कार की कोशिश के बाद हत्या कर दी गई. उज्जैन में एक 5 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म और फिर उसकी निर्मम हत्या कर दी गई है. बरेली में एक 8 साल की बच्ची के साथ बलात्कार किया गया. भोपाल में एक 10 साल की बच्ची के साथ बलात्कार करके उसकी हत्या कर दी गयी. कब तक हमारी सरकार मौन बैठी रहेगी और देश में निर्भयाओं की सूची ऐसे ही बढ़ती रहेगी?

महिला आयोग ने पत्र के जरिये ये मांग की है-

  • अलीगढ़ के दोषियों को 2 महीने के अन्दर फांसी की सज़ा दी जाए ताकि पूरे देश में सख्त संदेश दिया जा सके.
  • अपराध संशोधन कानून 2018 को प्रभावी तरीके से लागू किया जाए.
  • सभी संबंधित विभागों पुलिस, मेडिकल प्रोफ़ेशनल, अभियोजन, फॉरेंसिक विशेषज्ञ और न्यायिक अधिकारियों को न्यायिक प्रक्रिया को त्वरित और प्रभावशाली बनाने के लिए ट्रेनिंग दी जाए.
  • देश और दुनिया में अपनाए गए ऐसे तौर तरीकों और कार्यविधि का अध्ययन किया जाए, जिन मामलों में बहुत कम समय में मुकदमा पूरा करके दोषियों को सज़ा दी गयी और उन में से सबसे अच्छे तरीकों को अपनाया जाए.
  • जांच कार्य में लगे हुए पुलिस बल की संख्या बढ़ाई जाए और यह भी सुनिश्चित किया जाए कि कानून व्यवस्था के रखरखाव के लिए उचित पुलिस बल उपलब्ध हो जिससे सार्वजनिक स्थान सुरक्षित हों. देश की राजधानी में ही अभी 63,000 पुलिस बल की कमी है.
  • पर्याप्त संख्या में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट बनाये जाएं.
  • हर जिले में फॉरेंसिक टेस्ट की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाए, जिसमें आधुनिक तकनीक उपलब्ध हों, जैसे मोबाइल फॉरेंसिक यूनिट इत्यादी.
  • हर अदालत में पर्याप्त संख्या में अभियोजकों की नियुक्ति की जाए ताकि हर मामले में उचित ध्यान दिया जा सके, जांच में हुई तकनीकी खामियों की वजह से दोष मुक्ति की संख्या शून्य तक लायी जा सकें.
  • निर्भया फंड को केंद्र में नौकरशाही के चंगुल से मुक्त करके उसको उचित दिशानिर्देशों और निगरानी के साथ राज्यों को दे दिया जाए.

नई दिल्ली: दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अलीगढ़ हत्याकांड मामले में दोषियों को जल्द से जल्द फांसी दिए जाने की मांग की है.

गौरतलब है कि पिछले साल फरवरी में कठुआ, उन्नाव और मध्यप्रदेश में छोटी बच्चियों के साथ जघन्य बलात्कार और हत्या की घटनाओं से पूरा देश हिल गया था. जिसको लेकर स्वाति मालीवाल ने इस तरह के अपराधों पर रोक लगाने के लिए कड़ी सजा की मांग की थी.

स्वाति मालीवाल, महिला आयोग अध्यक्ष

सरकार के कई वादे लेकिन पूरा एक भी नहीं
बच्चों के बलात्कारियों को 6 महीने के अंदर फांसी की सज़ा की मांग को लेकर स्वाति मालीवाल आमरण अनशन पर बैठी थी. अनशन के 10वें दिन कैबिनेट ने मौजूदा कानून में बदलाव के लिए एक अध्यादेश पारित किया जिससे 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के बलात्कारियों के लिए फांसी की सज़ा का प्रावधान किया गया था.

साथ ही दिल्ली सरकार ने यह वादा किया था कि अगले तीन महीनों में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट की संख्या बढ़ाई जाएगी ताकि बेहतर फॉरेंसिक टेस्ट की सुविधाएं दी जाएंगी. पुलिस को अच्छी जांच तकनीक मुहैया कराई जाएगी जिससे पीड़ितों को जल्दी न्याय मिल सके. लेकिन, इतने वादों और अपराधों की बढ़ोतरी के बाद भी सरकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.

उठाए कई सवाल
अलीगढ़ मामले पर मालीवाल ने कहा कि इस घटना ने देश की आत्मा को झकझोर दिया है पर सरकार अभी भी चुप है. ऐसा चलता रहा तो इस प्रकार के जघन्य अपराध कब रुकेंगे?

उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले मेरठ में एक 9 साल की बच्ची के साथ बलात्कार की कोशिश के बाद हत्या कर दी गई. उज्जैन में एक 5 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म और फिर उसकी निर्मम हत्या कर दी गई है. बरेली में एक 8 साल की बच्ची के साथ बलात्कार किया गया. भोपाल में एक 10 साल की बच्ची के साथ बलात्कार करके उसकी हत्या कर दी गयी. कब तक हमारी सरकार मौन बैठी रहेगी और देश में निर्भयाओं की सूची ऐसे ही बढ़ती रहेगी?

महिला आयोग ने पत्र के जरिये ये मांग की है-

  • अलीगढ़ के दोषियों को 2 महीने के अन्दर फांसी की सज़ा दी जाए ताकि पूरे देश में सख्त संदेश दिया जा सके.
  • अपराध संशोधन कानून 2018 को प्रभावी तरीके से लागू किया जाए.
  • सभी संबंधित विभागों पुलिस, मेडिकल प्रोफ़ेशनल, अभियोजन, फॉरेंसिक विशेषज्ञ और न्यायिक अधिकारियों को न्यायिक प्रक्रिया को त्वरित और प्रभावशाली बनाने के लिए ट्रेनिंग दी जाए.
  • देश और दुनिया में अपनाए गए ऐसे तौर तरीकों और कार्यविधि का अध्ययन किया जाए, जिन मामलों में बहुत कम समय में मुकदमा पूरा करके दोषियों को सज़ा दी गयी और उन में से सबसे अच्छे तरीकों को अपनाया जाए.
  • जांच कार्य में लगे हुए पुलिस बल की संख्या बढ़ाई जाए और यह भी सुनिश्चित किया जाए कि कानून व्यवस्था के रखरखाव के लिए उचित पुलिस बल उपलब्ध हो जिससे सार्वजनिक स्थान सुरक्षित हों. देश की राजधानी में ही अभी 63,000 पुलिस बल की कमी है.
  • पर्याप्त संख्या में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट बनाये जाएं.
  • हर जिले में फॉरेंसिक टेस्ट की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाए, जिसमें आधुनिक तकनीक उपलब्ध हों, जैसे मोबाइल फॉरेंसिक यूनिट इत्यादी.
  • हर अदालत में पर्याप्त संख्या में अभियोजकों की नियुक्ति की जाए ताकि हर मामले में उचित ध्यान दिया जा सके, जांच में हुई तकनीकी खामियों की वजह से दोष मुक्ति की संख्या शून्य तक लायी जा सकें.
  • निर्भया फंड को केंद्र में नौकरशाही के चंगुल से मुक्त करके उसको उचित दिशानिर्देशों और निगरानी के साथ राज्यों को दे दिया जाए.
दिल्ली महिला आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अलीगढ़ रेप हत्याकांड मामले में दोषियों को जल्द से जल्द फांसी दिए जाने की मांग की है.महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने पत्र लिखकर कह है कि

जैसा कि आप जानते हैं पिछले साल फरवरी में कठुआ, उन्नाव और मध्यप्रदेश में छोटी बच्चियों के साथ जघन्य बलात्कार और हत्या की घटनाओं से पूरा देश और विश्व हिल गया था। पूरा देश सड़कों पर आ गया था और लोगों ने इस तरह के अपराधों पर रोक लगाने के लिए कड़ी सजा की मांग की थी। सरकार की तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया न होने पर बच्चों के बलात्कारियों को 6 महीने के अंदर फांसी की सज़ा की मांग को लेकर मैं आमरण अनशन पर बैठी थी। मेरे अनशन के 10वे दिन आपकी कैबिनेट ने मौजूदा कानून में बदलाव के लिए एक अध्यादेश पारित किया जिससे 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के बलात्कारियों के लिए फांसी की सज़ा का प्रावधान किया गया था। आपकी सरकार ने यह वादा किया था कि अगले तीन महीनों में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट की संख्या बढ़ाई जाएगी, बेहतर फॉरेंसिक टेस्ट की सुविधाएं दी जाएंगी और पुलिस को अच्छी जांच तकनीक मुहैया कराई जाएगी जिससे पीड़ितों को जल्दी न्याय मिल सके।

परन्तु, बहुत अफसोस की बात है कि अध्यादेश पारित करने के बाद सरकार ने नाबालिग बच्चियों के साथ यौन हिंसा को रोकने के लिए और कोई कदम नहीं उठाए। मानो की अनशन के दौरान करे हुए वादे सरकार पूरी तरह भूल गयी। केन्द्रीय सरकार की इस लापरवाही की वजह से इस तरह के घृणित अपराध आज भी लगातार जारी हैं। 

इसी हफ्ते उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक 2 साल की नन्ही परी के साथ क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गयीं। उसका बर्बरता से बलात्कार किया गया, शरीर बुरी तरह से विकृत कर दिया गया,  आंखें निकाल दी गयीं, हड्डियां तोड़ दी गयीं और उसका क़त्ल कर उसके शव को कचरे में फेंक दिया गया। इस घटना ने देश की आत्मा को झगझोर दिया है। पर सरकार अभी भी चुप है। ऐसा चलता रहा तो इस प्रकार के जघन्य अपराध कब रुकेंगे? 

कुछ दिन पहले मेरठ में एक 9 साल की बच्ची के साथ बलात्कार की कोशिश के बाद हत्या कर दी गई, उज्जैन में एक 5 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म और फिर उसकी निर्मम हत्या कर दी गई है। बरेली में एक 8 साल की बच्ची के साथ बलात्कार किया गया, भोपाल में एक 10 साल की बच्ची के साथ बलात्कार करके उसकी हत्या कर दी गयी| कब तक हमारी सरकार मौन बैठी रहेगी और देश में निर्भयाओं की सूची ऐसे ही बढ़ती रहेगी?

अलीगढ़ की बच्ची के रेप के बारे में यह भी पता चला है कि अभियुक्तों में से एक अभियुक्त पर पहले से ही अपनी बेटी के साथ दुष्कर्म का मुकदमा चल रहा है और अभी वह जमानत पर जेल से बाहर था। कई अन्य मामलों में भी यह सामने आया है कि बलात्कार के आरोपी ने जमानत पर बाहर आकर बलात्कार की दूसरी घटनाओं को अंजाम दिया है।  इसलिए यह बहुत जरूरी है कि बलात्कार के मामलों में मुकदमे की सुनवाई पूरी होने तक अभियुक्त को जमानत न दी जाए।

सर, मैंने पिछले 4 सालों में आपको कई बार पत्र लिखा है, और कई ऐसे सुझाव दिए हैं, जिन पर अगर केंद्र सरकार अमल करती है तो इस तरह के अपराधों पर काफी हद तक रोक लग सकते है। मैं बहुत विश्वास के साथ अपने सुझाव आपको फिर से प्रस्तुत कर रही हूँ। 

मुझे पूरी उम्मीद है की आप तुरंत हमारी सभी मांगों को स्वीकार करेंगे और उनको लागू करेंगे, और सुनिश्चित करेंगे कि हमारे देश मे कोई और निर्भया न हो:

महिला आयोग ने पत्र के जरिये जो जो मांग की हैं वो इस प्रकार हैं:

1.   अलीगढ के दोषियों को 2 महीने के अन्दर फांसी की सज़ा दी जाए ताकि पूरे देश में सख्त सन्देश दिया जा सके.

2.   अपराध संशोधन कानून 2018 को प्रभावी तरीके से लागू किया जाए.

3.  सभी संबंधित विभागों पुलिस, मेडिकल प्रोफ़ेशनल, अभियोजन, फॉरेंसिक विशेषज्ञ और न्यायिक अधिकारियों को न्यायिक प्रक्रिया को त्वरित और प्रभावशाली बनाने के लिए ट्रेनिंग दी जाए.

4.  देश और दुनिया में अपनाये गए ऐसे तौर तरीकों और कार्यविधि का अध्ययन किया जाए जिन मामलों में बहुत कम समय मे मुकदमा पूरा करके दोषियों को सज़ा दी गयी और उन में से सबसे अच्छे तरीकों को अपनाया जाए.

5.  जांच कार्य मे लगे हुए पुलिस बल की संख्या बढ़ाई जाए और यह भी सुनिश्चित किया जाए कि कानून व्यवस्था के रखरखाव के लिए उचित पुलिस बल उपलब्ध हो जिससे सार्वजनिक स्थान सुरक्षित हों। देशकी राजधानी में ही अभी 63,000 पूलिस बल की कमी है।

6.   पर्याप्त संख्या में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट बनाये जाएं।

7.  हर जिले में फोरेंसिक टेस्ट की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जायें जिसमे आधुनिक तकनीक उपलब्ध हों, जैसे मोबाइल फॉरेंसिक यूनिट इत्यादि।

8.  हर अदालत में पर्याप्त संख्या में अभियोजकों की नियुक्ति की जाए ताकि हर मामले में उचित ध्यान दिया जा सके जांच में हुई तकनीकी खामियों की वजह से दोषमुक्ति की संख्या शून्य तक लायी जा सके।

9.  निर्भया फण्ड को केंद्र में नौकरशाही के चंगुल से मुक्त करके उसको उचित दिशानिर्देशों और निगरानी के साथ राज्यों को दे दिया जाए।


बाइट- स्वाती मालीवाल, महिला आयोग अध्यक्ष


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