नई दिल्ली: दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अलीगढ़ हत्याकांड मामले में दोषियों को जल्द से जल्द फांसी दिए जाने की मांग की है.
गौरतलब है कि पिछले साल फरवरी में कठुआ, उन्नाव और मध्यप्रदेश में छोटी बच्चियों के साथ जघन्य बलात्कार और हत्या की घटनाओं से पूरा देश हिल गया था. जिसको लेकर स्वाति मालीवाल ने इस तरह के अपराधों पर रोक लगाने के लिए कड़ी सजा की मांग की थी.
सरकार के कई वादे लेकिन पूरा एक भी नहीं
बच्चों के बलात्कारियों को 6 महीने के अंदर फांसी की सज़ा की मांग को लेकर स्वाति मालीवाल आमरण अनशन पर बैठी थी. अनशन के 10वें दिन कैबिनेट ने मौजूदा कानून में बदलाव के लिए एक अध्यादेश पारित किया जिससे 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के बलात्कारियों के लिए फांसी की सज़ा का प्रावधान किया गया था.
साथ ही दिल्ली सरकार ने यह वादा किया था कि अगले तीन महीनों में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट की संख्या बढ़ाई जाएगी ताकि बेहतर फॉरेंसिक टेस्ट की सुविधाएं दी जाएंगी. पुलिस को अच्छी जांच तकनीक मुहैया कराई जाएगी जिससे पीड़ितों को जल्दी न्याय मिल सके. लेकिन, इतने वादों और अपराधों की बढ़ोतरी के बाद भी सरकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.
उठाए कई सवाल
अलीगढ़ मामले पर मालीवाल ने कहा कि इस घटना ने देश की आत्मा को झकझोर दिया है पर सरकार अभी भी चुप है. ऐसा चलता रहा तो इस प्रकार के जघन्य अपराध कब रुकेंगे?
उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले मेरठ में एक 9 साल की बच्ची के साथ बलात्कार की कोशिश के बाद हत्या कर दी गई. उज्जैन में एक 5 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म और फिर उसकी निर्मम हत्या कर दी गई है. बरेली में एक 8 साल की बच्ची के साथ बलात्कार किया गया. भोपाल में एक 10 साल की बच्ची के साथ बलात्कार करके उसकी हत्या कर दी गयी. कब तक हमारी सरकार मौन बैठी रहेगी और देश में निर्भयाओं की सूची ऐसे ही बढ़ती रहेगी?
महिला आयोग ने पत्र के जरिये ये मांग की है-
- अलीगढ़ के दोषियों को 2 महीने के अन्दर फांसी की सज़ा दी जाए ताकि पूरे देश में सख्त संदेश दिया जा सके.
- अपराध संशोधन कानून 2018 को प्रभावी तरीके से लागू किया जाए.
- सभी संबंधित विभागों पुलिस, मेडिकल प्रोफ़ेशनल, अभियोजन, फॉरेंसिक विशेषज्ञ और न्यायिक अधिकारियों को न्यायिक प्रक्रिया को त्वरित और प्रभावशाली बनाने के लिए ट्रेनिंग दी जाए.
- देश और दुनिया में अपनाए गए ऐसे तौर तरीकों और कार्यविधि का अध्ययन किया जाए, जिन मामलों में बहुत कम समय में मुकदमा पूरा करके दोषियों को सज़ा दी गयी और उन में से सबसे अच्छे तरीकों को अपनाया जाए.
- जांच कार्य में लगे हुए पुलिस बल की संख्या बढ़ाई जाए और यह भी सुनिश्चित किया जाए कि कानून व्यवस्था के रखरखाव के लिए उचित पुलिस बल उपलब्ध हो जिससे सार्वजनिक स्थान सुरक्षित हों. देश की राजधानी में ही अभी 63,000 पुलिस बल की कमी है.
- पर्याप्त संख्या में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट बनाये जाएं.
- हर जिले में फॉरेंसिक टेस्ट की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाए, जिसमें आधुनिक तकनीक उपलब्ध हों, जैसे मोबाइल फॉरेंसिक यूनिट इत्यादी.
- हर अदालत में पर्याप्त संख्या में अभियोजकों की नियुक्ति की जाए ताकि हर मामले में उचित ध्यान दिया जा सके, जांच में हुई तकनीकी खामियों की वजह से दोष मुक्ति की संख्या शून्य तक लायी जा सकें.
- निर्भया फंड को केंद्र में नौकरशाही के चंगुल से मुक्त करके उसको उचित दिशानिर्देशों और निगरानी के साथ राज्यों को दे दिया जाए.