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72 सालों से नहीं बदली गई है सुरक्षा नीति : पूर्व मेजर जनरल

72 साल में नीति में नहीं हुआ बदलाव, कारगिल युध्द के बाद अध्धयन, कश्मीर के लिए कोई नीति नहीं

पी के सेहगल की ईटीवी से वार्ता
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Published : Mar 21, 2019, 11:47 PM IST

Updated : Mar 22, 2019, 11:39 AM IST

नई दिल्ली: रिटायर्ड मेजर जनरल पी के सेहगल ने राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर बात करते हुए कहा कि न तो पिछले 72 साल में किसी सरकार ने और न ही मौजूदा सरकार ने मजबूत राष्ट्रीय सुरक्षा नीति बनाने में दिलचस्पी जाहिर की है. उन्होने कहा कि हमारे देश की सरकारों में इच्छा शक्ति की कमी है.

उन्होने आगे कहा कि भारत ने अभी तक न तो कश्मीर और न ही पूर्वोत्तर के लिए कोई नीतिबनाई है,जबकि कारगिल युध्द के बाद कई बार सुरक्षा नीतिबनाने के लिए गहन अध्धयन कर के सरकार के सामने सिफारिशें पेश की जा चुकी हैं इसके बावजूद इन सिफारिशों को अमल में नही लाया जा सका.

पढ़ें-LOC पर पाकिस्तानी सेना के सीजफायर उल्लंघन में जवान शहीद

इतना ही नहीं उन्होने पिछले रक्षा बजट को 1950 के बाद सबसे कमजोर बजट बताते हुए कहा कि हम आज के साइबर केंद्रित युद्ध से लड़ने के लिए तैयार नहीं हैं.


उन्होने भारतीय नौकरशाही पर निशाना साधते हुए कहा कि आज आईएस अधिकारियों को रक्षा सचिव बनाया जा रहा जो देश का यातायात सम्भालते है. यह देश की रक्षा बनाने योग्य नहीं हैं. उन्होने कहा कि यह लोग राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी को संभालनेके काबिल नहीं हैं.

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और चीन से संभावित खतरे के बारे में टिप्पणी करते हुएउन्होंने कहा कि चीन संघर्ष में हस्तक्षेप नहीं करेगा क्योंकि वो जानता है कि भारत एक परमाणु शक्ति है और किसी भी खतरे का सामना करने पर भारत अपनी परमाणु नीतियां बदल सकता है.

नई दिल्ली: रिटायर्ड मेजर जनरल पी के सेहगल ने राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर बात करते हुए कहा कि न तो पिछले 72 साल में किसी सरकार ने और न ही मौजूदा सरकार ने मजबूत राष्ट्रीय सुरक्षा नीति बनाने में दिलचस्पी जाहिर की है. उन्होने कहा कि हमारे देश की सरकारों में इच्छा शक्ति की कमी है.

उन्होने आगे कहा कि भारत ने अभी तक न तो कश्मीर और न ही पूर्वोत्तर के लिए कोई नीतिबनाई है,जबकि कारगिल युध्द के बाद कई बार सुरक्षा नीतिबनाने के लिए गहन अध्धयन कर के सरकार के सामने सिफारिशें पेश की जा चुकी हैं इसके बावजूद इन सिफारिशों को अमल में नही लाया जा सका.

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इतना ही नहीं उन्होने पिछले रक्षा बजट को 1950 के बाद सबसे कमजोर बजट बताते हुए कहा कि हम आज के साइबर केंद्रित युद्ध से लड़ने के लिए तैयार नहीं हैं.


उन्होने भारतीय नौकरशाही पर निशाना साधते हुए कहा कि आज आईएस अधिकारियों को रक्षा सचिव बनाया जा रहा जो देश का यातायात सम्भालते है. यह देश की रक्षा बनाने योग्य नहीं हैं. उन्होने कहा कि यह लोग राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी को संभालनेके काबिल नहीं हैं.

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और चीन से संभावित खतरे के बारे में टिप्पणी करते हुएउन्होंने कहा कि चीन संघर्ष में हस्तक्षेप नहीं करेगा क्योंकि वो जानता है कि भारत एक परमाणु शक्ति है और किसी भी खतरे का सामना करने पर भारत अपनी परमाणु नीतियां बदल सकता है.

Intro:For the last 72 years no government, be it present or the previous government, has been able to eenunciate national security policy, national strategy policy and National defence policy, said PK Sehgal, retired Major General. He said the our country lacks the political will. Adding further he said that no Kashmir or north east policy has been formulated yet. There have been series of studies conducted since the Kargil war and various recommendations made after the Kargil war but they haven't been complied with yet.


Body:He also said the defence budget has been the weakest since 1950 like the previous government. Against the requirement of 42 squadrons only 29 have been hired and in that too 11 have to be retired. Highlighting the drawbacks, he said that we are not quipped to fight a cyber centric or net centric war of today. We are still structured to fight WW2 war, a war of yesteryear.

Criticising the buracratic hurdle, he said that, that they are not specialised to deal with it and yet they are the ones who our armed forces are responsible to report. IAS officers are made the defence secretaries who might have worked in Labour or transport and hence are not capable of formulating defence policies. He said that the system needs to be freed from their control to take initiatives and formulate major policies in defence. He also cited burocrats not specialised enough to deal with security intelligence agencies.

However, he also said that if we compare the last 5 years to the previous 20 years, we will see that a lot has been done on terms of defence deals. Apachis, vajra guns, submarines, kamau helicopters and predator drones have been acquired by increasing the expenditure. Before the reserves for ammunition and missiles had declined to just 2% or quipped for 2 days against the requirement for 4p days. As of today country is holding 10 days intensive rate of fire for 2 front war. He also appreciated the construction of 73 staretigic roads, strategic linkages 24/7 for 365 days and tunnels coming in jila, rohtang and connecting arunachal. He said that it will give boost in the coming 3 years.

Commenting on the escalation between India and Pakistan and probable threat from China, he said that China won't intervene in a conflict as it knows India is a nuclear power and can change its nuclear policies if faces any threat. He said that in the past as well, if we recall, 1949, 1950 or 1971 where US president virtually begged China to do some mischief along the border, it refrained itself. It knows that the rest of the world would want India and China to fight and retreat.



Conclusion:Suggesting ways for improvement he said that, higher hierarchy in defence should be restructured. Integration and bluntness should be brought again. Cyber space command must be brought into place and intelligence agencies should not be responsible to babus.
Last Updated : Mar 22, 2019, 11:39 AM IST
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