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'PAK ने करतारपुर साहिब गुरूद्वारे की जमीन चोरी छिपे हड़पी'

भारत ने पाकिस्तान पर करतारपुर साहिब गुरूद्वारे की जमीन हड़पने का आरोप लगाया है. साथ ही कहा कि PAK की भारतीय तीर्थयात्रियों को करतारपुर साहिब की आसान यात्रा उपलब्ध कराने में रूचि नहीं है.

इमरान खान और सुषमा स्वराज (फाइल फोटो)
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Published : Mar 15, 2019, 11:01 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए गलियारा विकसित करने के नाम पर करतारपुर गुरूद्वारे की जमीन ''चोरी-छिपे हड़प'' ली और इस परियोजना के लिए भारत के ज्यादातर प्रस्तावों पर आपत्ति की जो उसके ‘दोहरे मापदंड’ का परिचायक है.

भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने भारत में गुरू नानक देव के श्रद्धालुओं की भावनाओं के प्रतिकूल इस पावन सिख स्थल की जमीन पर ''धड़ल्ले से अतिक्रमण'' किये जाने के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया.

भारत-पाक बैठक
यह प्रतिनिधिमंडल पंजाब के गुरदासपुर को पाकिस्तान के करतारपुर सिख धर्मस्थल से जोड़ने के लिए बनने वाले गलियारे के तौर तरीके को अंतिम रूप देने के लिए बृहस्पतिवार को पहली भारत-पाकिस्तान बैठक में हिस्सा ले रहा था.

पाकिस्तान के झूठे वादे
बैठक में हिस्सा लेने वाले एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘‘पाकिस्तान झूठे वादे और ऊंचे दावे करने एवं जमीनी स्तर पर कुछ नहीं करने की अपनी पुरानी छवि पर खरा उतरा है. करतारपुर साहिब गलियारे पर उसका दोहरा मापदंड बृहस्पतिवार को उसकी पहली बैठक में ही बेनकाब हो गया.’’

पाक ने हड़पी जमीन
अधिकारी ने कहा कि जिस जमीन पर अतिक्रमण किया गया है, वह महाराजा रणजीत सिंह और अन्य श्रद्धालुओं ने करतारपुर साहिब को दान में दी थी. उन्होंने कहा, ‘‘गुरूद्वारे की जमीन पाकिस्तान सरकार ने गलियारा विकसित करने के नाम पर चोरी-छिपे हड़प ली. भारत में इस मुद्दे पर लोगों की प्रबल भावनाओं को ध्यान में रखकर इन जमीनों को पवित्र गुरूद्वारे को तत्काल लौटाये जाने की कड़ी मांग रखी गयी.’’

190 करोड़ का खर्च
भारत के यह स्पष्ट करने के बावजूद कि वह 190 करोड़ रुपये खर्च कर सीमा पर स्थायी और समग्र सुविधाओं का निर्माण कर रहा है, पाकिस्तान करतारपुर समझौते की अवधि को बस दो साल तक के लिए सीमित करना चाहता है.

पाक ने भारत के प्रस्तावों पर डाला पानी
भारत ने भारतीय तीर्थयात्रियों और गुरू नानक देव के श्रद्धालुओं की करतारपुर साहिब के आसान एवं निर्विघ्न तीर्थाटन की पुरानी आकांक्षा को पूरा करने के लिए गंभीर प्रयास किये हैं जबकि पाकिस्तान ने उसके प्रस्तावों पर ठंडा पानी डाल दिया है.

पाक की बात में जमीन आसमान का अंतर
अधिकारी ने कहा, ‘‘पाकिस्तान सरकार और मीडिया द्वारा खड़ा किये गये हौआ के बीच वार्ता के दौरान उसकी वास्तविक पेशकश हास्यास्पद और रस्मी साबित हुई. प्रधानमंत्री इमरान खान और पाकिस्तान ने जो कुछ कहा है और अटारी की बैठक में पाकिस्तानी पक्ष ने जो कुछ पेशकश की, उसके बीच जमीन आसमान का अंतर है. स्पष्टत: पाकिस्तान की भारतीय तीर्थयात्रियों को करतारपुर साहिब की आसान यात्रा उपलब्ध कराने में रूचि नहीं है.’’

तीर्थयात्रियों की संख्या की सीमित
अधिकारी ने कहा कि जहां भारत रोजाना 5000 तीर्थयात्रियों और वैशाखी जैसे विशेष मौकों पर 15000 तीर्थयात्रियों को ध्यान में रखकर अत्याधुनिक यात्री टर्मिनल बिल्डिंग बना रहा है, वहीं पाकिस्तान ने तीर्थयात्रियों की संख्या रोजाना 700 सीमित कर दी है. पाकिस्तान उसके द्वारा निर्धारित यात्रा दिवसों और वह भी उनके पैदल नहीं, बल्कि वाहनों से जाने पर जोर दे रहा है.

तीर्थयात्रियों को विशेष परमिट
पहले तो उसने करतारपुर साहिब के लिए वीजामुक्त तीर्थयात्रा का आश्वासन दिया था लेकिन अब उसने शुल्क लेकर तीर्थयात्रियों को विशेष परमिट देने की शर्त रख दी है. इस तरह कई अन्य शर्तें भी उसने रखी है. करतारपुर में ही सिख धर्म के संस्थापक गुरू नानक देव ने अपने जीवन के आखिरी साल गुजारे थे. यह पाकिस्तान के नारोवाल जिले में है.

नायडू ने रखी थी आधारशिला
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने गुरदासपुर में इस गलियारे की आधारशिला रखी थी. दो दिन बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने नारोवाल में इस गलियारे की आधारशिला रखी थी.

नई दिल्ली: भारतीय अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए गलियारा विकसित करने के नाम पर करतारपुर गुरूद्वारे की जमीन ''चोरी-छिपे हड़प'' ली और इस परियोजना के लिए भारत के ज्यादातर प्रस्तावों पर आपत्ति की जो उसके ‘दोहरे मापदंड’ का परिचायक है.

भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने भारत में गुरू नानक देव के श्रद्धालुओं की भावनाओं के प्रतिकूल इस पावन सिख स्थल की जमीन पर ''धड़ल्ले से अतिक्रमण'' किये जाने के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया.

भारत-पाक बैठक
यह प्रतिनिधिमंडल पंजाब के गुरदासपुर को पाकिस्तान के करतारपुर सिख धर्मस्थल से जोड़ने के लिए बनने वाले गलियारे के तौर तरीके को अंतिम रूप देने के लिए बृहस्पतिवार को पहली भारत-पाकिस्तान बैठक में हिस्सा ले रहा था.

पाकिस्तान के झूठे वादे
बैठक में हिस्सा लेने वाले एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘‘पाकिस्तान झूठे वादे और ऊंचे दावे करने एवं जमीनी स्तर पर कुछ नहीं करने की अपनी पुरानी छवि पर खरा उतरा है. करतारपुर साहिब गलियारे पर उसका दोहरा मापदंड बृहस्पतिवार को उसकी पहली बैठक में ही बेनकाब हो गया.’’

पाक ने हड़पी जमीन
अधिकारी ने कहा कि जिस जमीन पर अतिक्रमण किया गया है, वह महाराजा रणजीत सिंह और अन्य श्रद्धालुओं ने करतारपुर साहिब को दान में दी थी. उन्होंने कहा, ‘‘गुरूद्वारे की जमीन पाकिस्तान सरकार ने गलियारा विकसित करने के नाम पर चोरी-छिपे हड़प ली. भारत में इस मुद्दे पर लोगों की प्रबल भावनाओं को ध्यान में रखकर इन जमीनों को पवित्र गुरूद्वारे को तत्काल लौटाये जाने की कड़ी मांग रखी गयी.’’

190 करोड़ का खर्च
भारत के यह स्पष्ट करने के बावजूद कि वह 190 करोड़ रुपये खर्च कर सीमा पर स्थायी और समग्र सुविधाओं का निर्माण कर रहा है, पाकिस्तान करतारपुर समझौते की अवधि को बस दो साल तक के लिए सीमित करना चाहता है.

पाक ने भारत के प्रस्तावों पर डाला पानी
भारत ने भारतीय तीर्थयात्रियों और गुरू नानक देव के श्रद्धालुओं की करतारपुर साहिब के आसान एवं निर्विघ्न तीर्थाटन की पुरानी आकांक्षा को पूरा करने के लिए गंभीर प्रयास किये हैं जबकि पाकिस्तान ने उसके प्रस्तावों पर ठंडा पानी डाल दिया है.

पाक की बात में जमीन आसमान का अंतर
अधिकारी ने कहा, ‘‘पाकिस्तान सरकार और मीडिया द्वारा खड़ा किये गये हौआ के बीच वार्ता के दौरान उसकी वास्तविक पेशकश हास्यास्पद और रस्मी साबित हुई. प्रधानमंत्री इमरान खान और पाकिस्तान ने जो कुछ कहा है और अटारी की बैठक में पाकिस्तानी पक्ष ने जो कुछ पेशकश की, उसके बीच जमीन आसमान का अंतर है. स्पष्टत: पाकिस्तान की भारतीय तीर्थयात्रियों को करतारपुर साहिब की आसान यात्रा उपलब्ध कराने में रूचि नहीं है.’’

तीर्थयात्रियों की संख्या की सीमित
अधिकारी ने कहा कि जहां भारत रोजाना 5000 तीर्थयात्रियों और वैशाखी जैसे विशेष मौकों पर 15000 तीर्थयात्रियों को ध्यान में रखकर अत्याधुनिक यात्री टर्मिनल बिल्डिंग बना रहा है, वहीं पाकिस्तान ने तीर्थयात्रियों की संख्या रोजाना 700 सीमित कर दी है. पाकिस्तान उसके द्वारा निर्धारित यात्रा दिवसों और वह भी उनके पैदल नहीं, बल्कि वाहनों से जाने पर जोर दे रहा है.

तीर्थयात्रियों को विशेष परमिट
पहले तो उसने करतारपुर साहिब के लिए वीजामुक्त तीर्थयात्रा का आश्वासन दिया था लेकिन अब उसने शुल्क लेकर तीर्थयात्रियों को विशेष परमिट देने की शर्त रख दी है. इस तरह कई अन्य शर्तें भी उसने रखी है. करतारपुर में ही सिख धर्म के संस्थापक गुरू नानक देव ने अपने जीवन के आखिरी साल गुजारे थे. यह पाकिस्तान के नारोवाल जिले में है.

नायडू ने रखी थी आधारशिला
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने गुरदासपुर में इस गलियारे की आधारशिला रखी थी. दो दिन बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने नारोवाल में इस गलियारे की आधारशिला रखी थी.

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KARTARPUR-PAK-LAND GRAB
Pak govt 'surreptitiously usurped' land belonging to Kartarpur Sahib gurdwara: Officials
         New Delhi, Mar 15 (PTI) Pakistan has "surreptitiously usurped" lands belonging to the Kartarpur Sahib gurdwara in the name of developing a corridor for the convenience of pilgrims and objected to most of the Indian proposals for the project, reflecting its "double-speak", officials said on Friday.
         The Indian delegation, which attended the first India-Pakistan meeting on Thursday to finalise the modalities for the proposed corridor linking Gurdaspur in Punjab with the Sikh shrine in Pakistan's Kartarpur, strongly protested against the "rampant encroachment" on the lands belonging to the holy Sikh shrine in utter disregard to the sentiments of devotees of Guru Nanak Dev in India.
         "Pakistan has lived up to its old reputation of making false promises, making tall claims and delivering nothing. Its double-speak on the Kartarpur Sahib corridor has been exposed in the first meeting itself at Attari on Thursday," a government official, who attended the meeting, said.
         The encroached lands were donated to the Kartarpur Sahib by devouts like late Maharaja Ranjeet Singh and others.
         "Lands owned by the gurdwara have been surreptitiously usurped by the government of Pakistan in the name of developing the corridor. A strident demand was made by India for restoration of these lands to the holy gurdwara urgently, keeping in view the strong sentiments on the issue within India," the official said.
         Pakistan wanted to restrict the duration of Kartarpur agreement to just two years, despite India making it clear that it is executing long-lasting and comprehensive facilities at the border by spending Rs 190 crore.
         While India has made serious efforts to fulfil the long standing aspiration of the Indian pilgrims and devotees of Guru Nanak Dev for smooth, easy and hassle-free access of pilgrims to Kartarpur Sahib, Pakistan has scuttled the proposals made by New Delhi.
         "Against the hype created by the Pakistan government and the Pakistan media, its actual offer during the talks turned out to be farcical and mere tokenism. There is a sea of difference between what Pakistan, including Prime Minister Imran Khan, had announced, and in what they offered at Attari meeting. Clearly, Pakistan is not interested in providing Indian pilgrims easy access to Kartarpur Sahib," the official said.
         While India is executing a state-of-the-art passenger terminal building for visit of over 5,000 pilgrims daily and over 15,000 pilgrims on special occasions like Vaisakhi (falls in mid-April), Pakistan has limited it to mere 700 pilgrims per day.
         Pakistan did not agree to the Indian demand of allowing daily visits of pilgrims and has restricted it to "visiting days" which will be specified by it. It did not agree to permit travel of devotees on foot or as individuals, and has insisted on movement of groups of 15 and by vehicle, another official said.
         Despite having assured visa-free passage to Kartarpur Sahib, Pakistan has now brought in, through the back door, the requirement of issuance of special permits by them to pilgrims, that also at a fee, which is "outrageous and defeats" the very purpose of the corridor, the official said.
         Pakistan has restricted the corridor facility to only Indian Passport holders to the exclusion of large number of Overseas Citizens of India card holder devotees. Pakistan is pretending to be blind to the fact that Guru Nanak Dev holds universal appeal, including the large Indian diaspora, the official said.
         Interestingly, when India and Pakistan had signed a pact in 1974 to facilitate the visit of their pilgrims to the shrines located in each other's territories, Kartarpur Sahib was not included despite repeated Indian requests.
         Pakistan has so far resisted all attempts to include Kartarpur in the 1974 MoU, the official said.
         As per that agreement, there are 15 shrines in Pakistan and seven in India where each other's pilgrims can visit.
         Kartarpur Sahib marks the place where Sikhism's founder, Guru Nanak Dev, spent the final years of his life.
         It is located in Pakistan's Narowal district across the river Ravi, about four kilometres from the international border.
         Vice President M Venkaiah Naidu and Punjab Chief Minister Amarinder Singh had on November 26, 2018 laid the corridor's foundation stone in Gurdaspur.
         Two days later, Pakistan's Prime Minister Imran Khan laid the foundation stone at Narowal, 125 km from Lahore.
         India hopes that the special border crossing for pilgrims will open before Guru Nanak Dev's 550th birth anniversary in November 2019. PTI ACB
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