भगवान श्री कृष्ण की आराधना धन-संपत्ति और हर तरह की इच्छाओं की पूर्ति के लिए उत्तम है. भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से सर्व प्रमुख पूर्णा अवतार 16 कलाओं से परिपूर्ण श्री कृष्ण को माना जाता है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार जन्माष्टमी (Janmashtami 2022) के दिन जो लोग व्रत रखते हैं जब वह व्रत खोलें उसमें भगवान श्रीकृष्ण को पंचामृत का स्नान कराकर छप्पन भोग या फिर मिठाई का भोग लगाना चाहिए. इस दिन बाल गोपाल की पूजा में प्रसाद के रूप में भगवान को (Janmashtami prasadm panjiri) पंजीरी का भी भोग लगाया जाता है. पंजीरी (Janmashtami special panjiri ) भी कई प्रकार से बनाई जाती है, तो आइए जानते हैं सूजी और बेसन से बनी जन्माष्टमी स्पेशल रेसिपी पंजीरी (Janmashtami prasadm panjiri recipe method) बनाने की विधि.
भगवान श्रीकृष्ण की लीला अपरंपार है. ध्रुव और जय योग में संपूर्ण जन्माष्टमी (Janmashtami 2022) का फल और व्रत आपको विजय के साथ मनोवांछित फल की प्राप्ति करवाएगा. भगवान के जन्मोत्सव का यह पावन दिन सभी भक्तों के दिलों के करीब है. वहीं, श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर दो अद्भुत योग इस पर्व को खास बना रहे हैं. ध्रुव और जय योग में संपूर्ण जन्माष्टमी का फल और व्रत आपको विजय के साथ मनोवांछित फल की प्राप्ति करवाएगा. जन्माष्टमी के दिन भगवान को माखन मिश्री का भी भोग को लगाना चाहिए क्योंकि माखन मिश्री भगवान को अत्यंत प्रिय है. चावल की खीर बनाने की विधि जानने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें.
द्वारकाधीश को लगाएं चावल की खीर का भोग Janmashtami 2022 में, जानिए विधि
जन्माष्टमी के त्योहार को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है. इस साल अष्टमी तिथि 18 अगस्त की रात 09:20 से शुरू होगी और 19 अगस्त को रात 10:59 तक रहेगी एवं रोहिणी नक्षत्र 19 अगस्त रात 01:53 से प्रारंभ होगा. 18 तारीख को अष्टमी तिथि रात को प्रारंभ होगी उदया तिथि नहीं रहेगी, 19 तारीख को अष्टमी तिथि उदया तिथि रहेगी और रात 10:59 तक रहेगी. भगवान का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र में वृषभ लग्न में हुआ था. निर्णय सिंधु के अनुसार अष्टमी युक्त रोहिणी नक्षत्र अगर एक कला भी हो तो उसे जयंती मान जाएगा. इस बार श्री कृष्ण जन्माष्टमी 19 अगस्त को मनाई जाएगी.(janmashtmi kab hai 2022).
Janmashtami, जब धर्म की हानि होती है तब जगत के पालनहार लेते हैं जन्म