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कोरोना में एक चौथाई रह गया घोड़ी बग्घी वालों का काम - दिल्ली घोड़ी बग्घी वाले

शादी के सीजन में बैंड बाजे और घोड़ी बग्घी वालों का हाल बेहाल हो गया है. कोरोना की वजह से इन सब के कारोबार पर काफी फर्क पड़ा है.

The problem of livelihood in front of the horse mongers
घोड़ी बग्घी वालों के सामने रोजी रोटी का संकट
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Published : Dec 7, 2020, 2:24 PM IST

नई दिल्ली: उत्तर भारत में फिलहाल शादियों का सीजन चल रहा है इसमें बैंड बाजे और घोड़ी बग्घी वालों से लेकर कपड़े और जेवर का कारोबार खूब चलता है, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से इन सब के कारोबार पर काफी फर्क पड़ा है. इन्हीं में से एक हैं घोड़ी बग्घी वाले, जिनका कहना है कि कोरोना की वजह से उनका काम एक चौथाई रह गया.

12 दिन में सिमट गया 60 दिन का काम

न्यू सीमापुरी चौराहे पर घोड़ी लिए खड़े ये दीपक हैं, अमूमन इस सीजन में इनके पास इतना समय नहीं होता था कि ये अपने कुछ जरूरी काम भी निपटा पाएं. लेकिन इस साल हालात ऐसे हैं कि काम की तलाश के लिए चौराहे पर घोड़ी लिए खड़े हैं.

दीपक बताते हैं कि सर्दियों में उनके लिए 60 दिन का सीजन होता था, लेकिन इस बार दिल्ली सरकार के प्रतिबंधों की वजह से लोगों ने शादियों को आगे बढ़ा दिया है, जिसकी वजह से 60 दिन का सीजन 12 दिन का रह गया है.

घोड़ों को खिलाना भी पड़ रहा है भारी

दीपक बताते हैं कि आम तौर पर इन 60 दिनों में वे इतना कमा लेते थे कि साल भर का खर्च आराम से चल जाता था, लेकिन इस बार जो काम मिल भी रहा है उसमे लोगों की कमी से बख्शीश इतनी कम मिल रही है कि आने वाले दिनों में घोड़े को खिलाना भी भारी पड़ेगा. ऐसे में उन्हें समझ नहीं आ रहा कि कैसे घोड़ों का पर भरें और कैसे घरवालों का.

नई दिल्ली: उत्तर भारत में फिलहाल शादियों का सीजन चल रहा है इसमें बैंड बाजे और घोड़ी बग्घी वालों से लेकर कपड़े और जेवर का कारोबार खूब चलता है, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से इन सब के कारोबार पर काफी फर्क पड़ा है. इन्हीं में से एक हैं घोड़ी बग्घी वाले, जिनका कहना है कि कोरोना की वजह से उनका काम एक चौथाई रह गया.

12 दिन में सिमट गया 60 दिन का काम

न्यू सीमापुरी चौराहे पर घोड़ी लिए खड़े ये दीपक हैं, अमूमन इस सीजन में इनके पास इतना समय नहीं होता था कि ये अपने कुछ जरूरी काम भी निपटा पाएं. लेकिन इस साल हालात ऐसे हैं कि काम की तलाश के लिए चौराहे पर घोड़ी लिए खड़े हैं.

दीपक बताते हैं कि सर्दियों में उनके लिए 60 दिन का सीजन होता था, लेकिन इस बार दिल्ली सरकार के प्रतिबंधों की वजह से लोगों ने शादियों को आगे बढ़ा दिया है, जिसकी वजह से 60 दिन का सीजन 12 दिन का रह गया है.

घोड़ों को खिलाना भी पड़ रहा है भारी

दीपक बताते हैं कि आम तौर पर इन 60 दिनों में वे इतना कमा लेते थे कि साल भर का खर्च आराम से चल जाता था, लेकिन इस बार जो काम मिल भी रहा है उसमे लोगों की कमी से बख्शीश इतनी कम मिल रही है कि आने वाले दिनों में घोड़े को खिलाना भी भारी पड़ेगा. ऐसे में उन्हें समझ नहीं आ रहा कि कैसे घोड़ों का पर भरें और कैसे घरवालों का.

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