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जज्बे को सलाम: ब्लॉक हो गया था ऑक्सीजन का रेगुलेटर, फिर भी माउंट एवरेस्ट पर फहराया तिरंगा

माउंट एवरेस्ट की चोटी पर चढ़कर सागर ने तिरंगा फहराया साथ ही अपना और माता-पिता का नाम रोशन किया. लेकिन, इस फतह में माउंट एवरेस्ट पर जाते समय सागर ने अपने दोस्त को हमेशा के लिए खो दिया.

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Published : Jun 3, 2019, 3:27 PM IST

सागर ने लहराया तिरंगा

नई दिल्ली/गाजियाबाद: माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराना देश के लिए गर्व की बात है और एवरेस्ट पर तिरंगा फहराना किसी सपने से कम नहीं है. यही सपना लिए सागर करीब ढाई महीने पहले माउंट एवरेस्ट पर फतेह करने के लिए घर से निकल पड़ा था.

माउंट एवरेस्ट की चोटी पर चढ़कर सागर ने अपना सपना को पूरा किया और माता-पिता का नाम रोशन किया. लेकिन, इस फतह में माउंट एवरेस्ट पर जाते समय सागर ने अपने दोस्त को हमेशा के लिए खो दिया.

माउंट एवरेस्ट की चोटी पर सागर ने लहराया तिरंगा

नहीं मानी सागर ने हार
गाजियाबाद के नेहरू नगर में रहने वाले 21 साल के सागर ने करीब ढाई महीने पहले माउंट एवरेस्ट पर जाने का सपना देखा. उन्होंने अपने माता-पिता को काफी मुश्किल से मनाया और माउंट एवरेस्ट की चोटी पर फतह हासिल करने के लिए निकल पड़ा. सागर की टीम में चार लोग गए थे. जिनमें से एक सदस्य की रास्ते में ही मौत हो गई. जो बुल्गारिया का रहने वाला था. लेकिन सागर ने हिम्मत नहीं हारी और वह आगे बढ़ता चला गया.

इस सफर के दौरान सागर के 20 मिनट ऐसे गुजरे जैसे लगा कि वह अपने सपने को पूरा नहीं कर पाएगा. सागर के मुताबिक उनके ऑक्सीजन का रेगुलेटर खराब हो गया था और 20 मिनट तक वह ब्लॉक रहा जिससे सागर को चक्कर आने लगे. लेकिन किसी तरह से रेगुलेटर दोबारा से चालू किया और सागर ने अपनी यात्रा को आगे बढ़ाया.

बधाईयों का लगा तांता
सागर की इस जीत के बाद बधाईयों का तांता लगा हुआ है. लेकिन एवरेस्ट की चोटी पर जाने का एडवेंचर उठाने वाले युवा इस देश में कम नहीं है. सागर खुद बताते हैं कि उन्होंने डिस्कवरी चैनल पर एक शो देखकर माउंट एवरेस्ट पर जाने की सोची और उससे पहले कोर्स भी किया.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराना देश के लिए गर्व की बात है और एवरेस्ट पर तिरंगा फहराना किसी सपने से कम नहीं है. यही सपना लिए सागर करीब ढाई महीने पहले माउंट एवरेस्ट पर फतेह करने के लिए घर से निकल पड़ा था.

माउंट एवरेस्ट की चोटी पर चढ़कर सागर ने अपना सपना को पूरा किया और माता-पिता का नाम रोशन किया. लेकिन, इस फतह में माउंट एवरेस्ट पर जाते समय सागर ने अपने दोस्त को हमेशा के लिए खो दिया.

माउंट एवरेस्ट की चोटी पर सागर ने लहराया तिरंगा

नहीं मानी सागर ने हार
गाजियाबाद के नेहरू नगर में रहने वाले 21 साल के सागर ने करीब ढाई महीने पहले माउंट एवरेस्ट पर जाने का सपना देखा. उन्होंने अपने माता-पिता को काफी मुश्किल से मनाया और माउंट एवरेस्ट की चोटी पर फतह हासिल करने के लिए निकल पड़ा. सागर की टीम में चार लोग गए थे. जिनमें से एक सदस्य की रास्ते में ही मौत हो गई. जो बुल्गारिया का रहने वाला था. लेकिन सागर ने हिम्मत नहीं हारी और वह आगे बढ़ता चला गया.

इस सफर के दौरान सागर के 20 मिनट ऐसे गुजरे जैसे लगा कि वह अपने सपने को पूरा नहीं कर पाएगा. सागर के मुताबिक उनके ऑक्सीजन का रेगुलेटर खराब हो गया था और 20 मिनट तक वह ब्लॉक रहा जिससे सागर को चक्कर आने लगे. लेकिन किसी तरह से रेगुलेटर दोबारा से चालू किया और सागर ने अपनी यात्रा को आगे बढ़ाया.

बधाईयों का लगा तांता
सागर की इस जीत के बाद बधाईयों का तांता लगा हुआ है. लेकिन एवरेस्ट की चोटी पर जाने का एडवेंचर उठाने वाले युवा इस देश में कम नहीं है. सागर खुद बताते हैं कि उन्होंने डिस्कवरी चैनल पर एक शो देखकर माउंट एवरेस्ट पर जाने की सोची और उससे पहले कोर्स भी किया.

गाज़ियाबाद। आज हम आपको 21 साल के एक ऐसे युवक की जुबान से वह खौफनाक मंजर सुनाएंगे जो उसने माउंट एवरेस्ट पर फतेह हासिल करने से पहले देखा। माउंट एवरेस्ट की चोटी पर चढ़कर उसने अपना सपना और माता-पिता का नाम रोशन कर दिया। लेकिन माउंट एवरेस्ट पर जाते समय उसने अपने दोस्त को हमेशा के लिए खो दिया। यही नहीं उसकी जिंदगी के वह खौफनाक 20 मिनट वह कभी नहीं भूल पाएगा, जब मौत उसके सामने खड़ी हुई थी।

गाजियाबाद के नेहरू नगर में रहने वाले 21 साल के सागर ने करीब ढाई महीने पहले माउंट एवरेस्ट पर जाने का सपना देखा उन्होंने अपने माता पिता को काफी मुश्किल से मनाया। और आखिरकार वह निकल पड़े एक खौफनाक सफर के लिए। माउंट एवरेस्ट की चोटी पर फतह हासिल करने का सपना देखना मौत के मुंह में जाने से कम नहीं था। माउंट एवरेस्ट पर जाने वाले कई लोग बताते हैं कि किस तरह से वहां पर खौफनाक मंजर होता है। कई लोगों की लाशें तक नजर आती हैं।ऐसी ही लाशें सागर ने भी देखी।सागर की टीम में चार लोग गए थे जिनमें से एक सदस्य की रास्ते में ही मौत हो गई।जो बुल्गारिया का रहने वाला था।लेकिन सागर ने हिम्मत नहीं हारी और वह आगे बढ़ता चला गया। सागर की जुबान से सुनिए क्या कुछ खौफनाक मंजर उसने देखा और महसूस किया।

बाइट सागर

माउंट एवरेस्ट की चोटी पर सागर ने फतह हासिल कर ली। वहां पर उन्होंने झंडा भी फहराया। वीडियो भी बनाया गया।जिसमें साफ तौर पर फतेह देखा जा सकता है। माउंट एवरेस्ट पर जाते समय माइनस से भी नीचे टेंपरेचर था। जो हाड मास कंपा देने वाला था।लेकिन सागर ने आखिरकार अपना सपना पूरा किया। इस सपने को पूरा करने के लिए उनके 20 मिनट मौत के मुंह में जाने से कम नहीं थे।सागर के मुताबिक उनके ऑक्सीजन का रेगुलेटर खराब हो गया था और 20 मिनट तक वह ब्लॉक रहा। तो सागर को चक्कर आने लगे।सागर को उस समय लगा था कि अब वापस नहीं जा पाएंगे। लेकिन किसी तरह से रेगुलेटर दोबारा से चालू किया गया और सागर ने अपनी यात्रा को आगे बढ़ाया। सागर के परिवार वाले भी उन पर गर्व महसूस कर रहे हैं। लेकिन जब सागर माउंट एवरेस्ट की चोटी पर फतह हासिल करने के लिए घर से गए थे तब से करीब ढाई महीने तक परिवार की सांसें अटकी रहीं।

बाइट सागर की मां

सागर को अब बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। लेकिन एवरेस्ट की चोटी पर जाने का एडवेंचर उठाने वाले युवा इस देश में कम नहीं है। सागर खुद बताते हैं कि उन्होंने डिस्कवरी चैनल पर एक शो देखकर माउंट एवरेस्ट पर जाने की सोची। और उससे पहले कोर्स भी किया।जाहिर है एडवेंचर महसूस करने का यह सपना बहुत सारे लोगों के लिए मौत का सपना भी साबित हो रहा है। हालांकि सागर खुशकिस्मत हैं और उनकी मेहनत ने उन्हें मंजिल हासिल करवा दी है।

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Bunty gzb
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