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करारी हार के बाद AAP का मंथन, CM केजरीवाल ने बुलाई मीटिंग

सातों लोकसभा सीटों पर पार्टी की करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी में निराशा का माहौल है. अरविंद केजरीवाल ने कार्यकर्ताओं की एक बैठक बुलाई है. बैठक में हार की समीक्षा करेंगे.

अरविंद केजरीवाल ने बुलाई बैठक
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Published : May 26, 2019, 2:23 PM IST

Updated : May 26, 2019, 7:50 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर पार्टी की करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी में निराशा का माहौल है. पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल भी इस बात से खासे परेशान हैं.

पार्टी की हार के बाद अरविंद केजरीवाल ने आज यानी रविवार शाम को पंजाबी बाग इलाके में कार्यकर्ताओं की एक बैठक बुलाई है. बैठक में हार की समीक्षा करेंगे.

इस बैठक में पार्टी के नेता और विधायक भले ही मोदी लहर को कारण बताएं, लेकिन सच्चाई यह है कि लोकसभा चुनाव के लिए केजरीवाल ने जो दांव खेला था, सब दांव उल्टा पड़ गया. नहीं तो 6 महीने पहले से चुनाव प्रचार करने के बावजूद पार्टी की यह दुर्गति नहीं होती.

हार के बाद केजरीवाल ने बुलाई मीटिंग
  • आईए जानते है कि आम आदमी पार्टी के हारने का क्या कारण हो सकते हैं-

गठबंधन को लेकर 'सौदेबाजी'
आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन को सबसे अधिक हवा दी थी. नामांकन के 2 दिन पहले तक गठबंधन के आसार नजर आ रहे थे. पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच इससे गलत मैसेज गया. गठबंधन नहीं होने की दशा में पार्टी आधा चुनाव पहले ही हार गई थी. कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर गया था.

थप्पड़ मिला सहानुभूति नहीं
केजरीवाल कहते रहे कि कांग्रेस को वोट देने का मतलब बीजेपी को जिताना है. मोदी-शाह की जोड़ी को हटाने के लिए 'आप' को वोट देने की अपील दिल्ली के मतदाताओं को रास नहीं आई. इसके बाद चुनाव प्रचार में रोड शो के दौरान केजरीवाल को थप्पड़ पड़ा, लेकिन लोगों की सहानुभूति केजरीवाल को नहीं मिली.

चुनावी रैली में मोदी पर बड़ा हमला बोलते हुए केजरीवाल ने कहा कि मोदी मेरी हत्या करवा सकते हैं. उन्होंने कहा कि पीएसओ से मेरी हत्या कराई जा सकती है. लोगों ने केजरीवाल के बयान को गंभीरता से नहीं लिया बल्कि हास्यास्पद बना दिया.

विवादास्पद पर्चें की बात फेल
पूर्वी दिल्ली से लोकसभा प्रत्याशी आतिशी को लेकर जो विवादास्पद पर्चा सामने आया था उस पर भी लोगों ने यकीन नहीं किया.

'मतदाता सूची' भी नहीं चली
चुनाव से पहले मतदाता सूची से नाम काटने का मामला 'आप' ने खूब जोर-शोर से उठाया. कॉल सेंटर से लोगों के पास फोन आने लगे कि आपका नाम वोटर लिस्ट से बीजेपी ने कटवा दिया हैं केजरीवाल जुड़वा रहे हैं. इस पर लोग खासे चिढ़ गए.

पूर्ण राज्य का मुद्दा फेल

आम आदमी पार्टी ने शुरू से ही दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने का मुद्दा उठाया है. इसी मुद्दे के चारो ओर प्रचार अभियान भी सिमटा रहा, लेकिन लोगों ने पूर्ण राज्य का मुद्दा पूरी तरह खारिज कर दिया. इसी तरह के आरोप-प्रत्यारोप आम आदमी पार्टी पहले भी लगाती रही. लेकिन तब लोगों ने इसे गंभीरता से लिया मगर अब इस चुनाव में केजरीवाल के सभी पुराने दांव उल्टे साबित हो गए और अब पार्टी इसी पर मंथन कर आगे विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाएगी.

नई दिल्ली: दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर पार्टी की करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी में निराशा का माहौल है. पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल भी इस बात से खासे परेशान हैं.

पार्टी की हार के बाद अरविंद केजरीवाल ने आज यानी रविवार शाम को पंजाबी बाग इलाके में कार्यकर्ताओं की एक बैठक बुलाई है. बैठक में हार की समीक्षा करेंगे.

इस बैठक में पार्टी के नेता और विधायक भले ही मोदी लहर को कारण बताएं, लेकिन सच्चाई यह है कि लोकसभा चुनाव के लिए केजरीवाल ने जो दांव खेला था, सब दांव उल्टा पड़ गया. नहीं तो 6 महीने पहले से चुनाव प्रचार करने के बावजूद पार्टी की यह दुर्गति नहीं होती.

हार के बाद केजरीवाल ने बुलाई मीटिंग
  • आईए जानते है कि आम आदमी पार्टी के हारने का क्या कारण हो सकते हैं-

गठबंधन को लेकर 'सौदेबाजी'
आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन को सबसे अधिक हवा दी थी. नामांकन के 2 दिन पहले तक गठबंधन के आसार नजर आ रहे थे. पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच इससे गलत मैसेज गया. गठबंधन नहीं होने की दशा में पार्टी आधा चुनाव पहले ही हार गई थी. कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर गया था.

थप्पड़ मिला सहानुभूति नहीं
केजरीवाल कहते रहे कि कांग्रेस को वोट देने का मतलब बीजेपी को जिताना है. मोदी-शाह की जोड़ी को हटाने के लिए 'आप' को वोट देने की अपील दिल्ली के मतदाताओं को रास नहीं आई. इसके बाद चुनाव प्रचार में रोड शो के दौरान केजरीवाल को थप्पड़ पड़ा, लेकिन लोगों की सहानुभूति केजरीवाल को नहीं मिली.

चुनावी रैली में मोदी पर बड़ा हमला बोलते हुए केजरीवाल ने कहा कि मोदी मेरी हत्या करवा सकते हैं. उन्होंने कहा कि पीएसओ से मेरी हत्या कराई जा सकती है. लोगों ने केजरीवाल के बयान को गंभीरता से नहीं लिया बल्कि हास्यास्पद बना दिया.

विवादास्पद पर्चें की बात फेल
पूर्वी दिल्ली से लोकसभा प्रत्याशी आतिशी को लेकर जो विवादास्पद पर्चा सामने आया था उस पर भी लोगों ने यकीन नहीं किया.

'मतदाता सूची' भी नहीं चली
चुनाव से पहले मतदाता सूची से नाम काटने का मामला 'आप' ने खूब जोर-शोर से उठाया. कॉल सेंटर से लोगों के पास फोन आने लगे कि आपका नाम वोटर लिस्ट से बीजेपी ने कटवा दिया हैं केजरीवाल जुड़वा रहे हैं. इस पर लोग खासे चिढ़ गए.

पूर्ण राज्य का मुद्दा फेल

आम आदमी पार्टी ने शुरू से ही दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने का मुद्दा उठाया है. इसी मुद्दे के चारो ओर प्रचार अभियान भी सिमटा रहा, लेकिन लोगों ने पूर्ण राज्य का मुद्दा पूरी तरह खारिज कर दिया. इसी तरह के आरोप-प्रत्यारोप आम आदमी पार्टी पहले भी लगाती रही. लेकिन तब लोगों ने इसे गंभीरता से लिया मगर अब इस चुनाव में केजरीवाल के सभी पुराने दांव उल्टे साबित हो गए और अब पार्टी इसी पर मंथन कर आगे विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाएगी.

Intro:नई दिल्ली. दिल्ली की सातों लोकसभा सीट पर पार्टी की करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी में निराशा का माहौल है. पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल भी इस बात से खासे परेशान है कि आखिर उनका सियासी दांव क्यों उल्टा पड़ गया? इस पर मंथन के लिए रविवार शाम को अरविंद केजरीवाल ने पंजाबी बाग इलाके में कार्यकर्ताओं की एक बैठक बुलाई है, जिसमें वह हार की समीक्षा करेंगे.


Body:इस बैठक में भले ही मोदी लहर की बात कहकर अधिकांश आप नेता व विधायक अपने दायित्वों से पल्ला झाड़ लें. लेकिन सच्चाई यह है कि लोकसभा चुनाव के लिए केजरीवाल ने जो दांव खेला था, सब दांव उल्टा पड़ गया. नहीं तो 6 महीने पहले से चुनाव प्रचार करने के बावजूद पार्टी की यह दुर्गति नहीं होती.

कारण नंबर एक -

आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन को सबसे अधिक हवा दी थी. नामांकन के 2 दिन पहले तक लग रहा था कि गठबंधन होकर रहेगा. गठबंधन को लेकर कभी हां तो कभी ना खेल चलता रहा. पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच इससे गलत मैसेज गया. गठबंधन नहीं होने की दशा में पार्टी आधा चुनाव पहले ही हार गई थी. कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर गया था.

कारण नंबर दो -

केजरीवाल कहते रहे कि कांग्रेस को वोट देने का मतलब भाजपा को जिताना है. मोदी-शाह की जोड़ी को हटाने के लिए आप को वोट देने की अपील दिल्ली के मतदाताओं को रास नहीं आई. इसके बाद चुनाव प्रचार में रोड शो के केजरीवाल को थप्पड़ पड़े, लेकिन लोगों की सहानुभूति केजरीवाल को नहीं मिली.

कारण नंबर तीन -

चुनावी रैली में मोदी पर बड़ा हमला बोलते हुए केजरीवाल ने कहा कि मोदी मेरी हत्या करवा सकते हैं उन्होंने कहा कि पीएसओ से मेरी हत्या कराई जा सकती है लोगों ने केजरीवाल के बयान को गंभीरता से नहीं लिया बल्कि हास्यास्पद बना दिया.

कारण नंबर चार -

पूर्वी दिल्ली से लोकसभा प्रत्याशी आतिशी को लेकर जो विवादास्पद पर्चा सामने आया था उस पर भी लोगों ने यकीन नहीं किया.

कारण नंबर पांच -

चुनाव से पहले मतदाता सूची से नाम काटने का मामला आप ने खूब जोर-शोर से उठाया. कॉल सेंटर से लोगों के पास फोन आने लगे लोगों से पूछा जाने लगा कि आपका नाम वोटर लिस्ट में भाजपा ने कटवा दिए हैं केजरीवाल जुड़वा रहे हैं. इस पर लोग खासे चिढ़ गए.

कारण नंबर छह -

लोकसभा चुनाव मैदान में नामांकन प्रक्रिया शुरू होने से चंद रोज पहले जिस तरह दिल्ली को पूर्ण राज्य लाने के लिए लोगों से वोट की अपील की. आम आदमी पार्टी ने की पूर्ण राज्य का मुद्दा लोगों ने अस्वीकार कर दिया.

कारण नंबर सात -

केजरीवाल और सिसोदिया की जोड़ी ने बयान दिया कि भाजपा उनके विधायकों को 10-10 करोड़ में खरीदना चाहती है. लोगों के बीच यह मैसेज गया की चर्चा में रहने के लिए आम आदमी पार्टी ऐसा करती है.


इसी तरह के आरोप प्रत्यारोप आम आदमी पार्टी पहले भी लगाती रही. लेकिन तब लोगों ने इसे गंभीरता से लिया. मगर अब इस चुनाव में केजरीवाल के सभी पुराने दांव उल्टे साबित हो गए और अब पार्टी इसी पर मंथन कर आगे विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाएगी.

समाप्त, आशुतोष झा


Conclusion:
Last Updated : May 26, 2019, 7:50 PM IST
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