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अफगानिस्तान में फंसा युवक, परिवार ने भारत सरकार से लगाई मदद की गुहार

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Published : Jan 8, 2023, 2:26 PM IST

केरल का एक युवक अनुसंधान के संबंध में 2020 में अफगानिस्तान गया. लेकिन सत्ता में परिवर्तन के बाद वह वहां फंस गया. केरल में उनके परिवार की ओर से उन्हें वापस लाने के काफी प्रयास किए गए लेकिन अब तक कोई सफलता नहीं मिली है.

Youth stuck in Afghanistan waiting for visa, family appeals to Indian government for help (representational image)
वीजा के इंतजार में अफगानिस्तान में फंसा युवक, परिवार ने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई (प्रतीकात्मक चित्र )

तिरुवनंतपुरम: हर दिन अपने पिता को याद करती नौ साल की बच्ची ने भारत सरकार से उन्हें विदेश से वापस लाने की मार्मिक अपील की है. उसके पिता दो साल पहले अफगानिस्तान में फंस गए थे और अपने परिवार के पास लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. केरल विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग में पोस्ट डॉक्टोरल फेलो गुलाबमीर रहमानी अपने वीजा के नवीनीकरण के अलावा अनुसंधान के संबंध में आंकड़े जुटाने के लिए वर्ष 2020 में अफगानिस्तान गए थे.

दुर्भाग्य से 2020 में ही अमेरिकी सरकार ने वहां तैनात अपनी सेना को वापस बुलाना शुरू कर दिया और तालिबान ने देश पर कब्जा कर लिया. वीजा नवीनीकरण की नियमित कवायद रहमानी के परिवार के लिए दु:स्वप्न साबित हुई, क्योंकि भारत सरकार ने भूराजनीतिक परिदृश्य में बदलाव के मद्देनजर अफगानिस्तान में रह रहे लोगों का वीजा रद्द कर दिया और इसके परिणामस्वरूप रहमानी वहां फंस गए.

उन्होंने ईरान के रास्ते भी भारत लौटने की कोशिश की, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया और वह तेहरान में करीब एक साल से वीजा हासिल करने का इंतजार कर रहे हैं. रहमानी ने ईरान से व्हाट्सएप कॉल पर एजेंसी से कहा, 'मेरे शोध का विषय अफगानिस्तान से संबंधित था और मैं वहां आंकड़े एकत्रित करने के लिए गया था. मुझे अपने वीजा का नवीनीकरण भी कराना था.

हालांकि, अफगानिस्तान में राजनीतिक हालात बदल गए और मैं वहां फंस गया.' उन्होंने कहा, 'बाद में मुझे ईरान का वीजा मिल गया और मैं वहां चला गया, ताकि भारत लौट सकूं. लेकिन मैं करीब एक साल से तेहरान में फंसा हूं, क्योंकि भारतीय दूतावास मुझे वीजा जारी करने से इनकार कर रहा है.' केरल विश्वविद्यालय के ‘सेंटर फॉर ग्लोबल एकेडेमिक्स’ (सीजीए) के निदेशक प्रोफेसर साबू जोसेफ ने बताया कि रहमानी के विदेश में फंसे होने के कारण तिरुवनंतपुरम में उनकी पत्नी और तीन बच्चों को कठिन हालातों का सामना करना पड़ रहा है.

रहमानी की पत्नी जमजमा ने कहा, 'मैं कोविड-19 से संक्रमित हो गई थी और मुझे घर पर पृथकवास में रहना पड़ा, क्योंकि मेरे बच्चों की देखभाल करने वाला कोई नहीं था. मुझे घर के सारे काम निपटाने होते हैं, जरूरत पड़ने पर बच्चों को अस्पताल लेकर जाना पड़ता है, घर का सामान खरीदकर लाना पड़ता है, यह सब मैं अपनी पढ़ाई के साथ करती हूं.

ये भी पढ़ें- फायरिंग में श्री राम सेना बेलागवी जिलाध्यक्ष, उनका ड्राइवर घायल

मैं घर से शोध कार्य नहीं कर सकती हूं, क्योंकि मेरे पास प्रयोगशाला से जुड़ा काम भी है.' रहमानी की नौ साल की बच्ची ने रोते हुए कहा, 'हम उन्हें बहुत याद करते हैं. हम यहां इंटरनेट की दिक्कत के कारण उनसे ठीक तरह से बात भी नहीं कर पाते. हमारी मां अपने बलबूते हमारी देखभाल नहीं कर सकती. हम चाहते हैं कि वह जल्द आ जाएं, ताकि हम खुशी-खुशी जी सकें.'

प्रोफेसर जोसेफ ने कहा कि रहमानी की ओर से एक अनुरोध विश्वविद्यालय ने केरल सरकार को भेजा था, जिसने पुलिस सत्यापन के बाद केंद्र से उन्हें वीजा जारी करने की सिफारिश की थी. रहमानी की पत्नी ने केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से भी मुलाकात की थी. जोसेफ ने कहा, 'लेकिन इसके बाद भारत सरकार से कोई जवाब नहीं आया. इस बीच, रहमानी कह रहे हैं कि तालिबान से उनकी जान को खतरा है.'

(पीटीआई-भाषा)

तिरुवनंतपुरम: हर दिन अपने पिता को याद करती नौ साल की बच्ची ने भारत सरकार से उन्हें विदेश से वापस लाने की मार्मिक अपील की है. उसके पिता दो साल पहले अफगानिस्तान में फंस गए थे और अपने परिवार के पास लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. केरल विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग में पोस्ट डॉक्टोरल फेलो गुलाबमीर रहमानी अपने वीजा के नवीनीकरण के अलावा अनुसंधान के संबंध में आंकड़े जुटाने के लिए वर्ष 2020 में अफगानिस्तान गए थे.

दुर्भाग्य से 2020 में ही अमेरिकी सरकार ने वहां तैनात अपनी सेना को वापस बुलाना शुरू कर दिया और तालिबान ने देश पर कब्जा कर लिया. वीजा नवीनीकरण की नियमित कवायद रहमानी के परिवार के लिए दु:स्वप्न साबित हुई, क्योंकि भारत सरकार ने भूराजनीतिक परिदृश्य में बदलाव के मद्देनजर अफगानिस्तान में रह रहे लोगों का वीजा रद्द कर दिया और इसके परिणामस्वरूप रहमानी वहां फंस गए.

उन्होंने ईरान के रास्ते भी भारत लौटने की कोशिश की, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया और वह तेहरान में करीब एक साल से वीजा हासिल करने का इंतजार कर रहे हैं. रहमानी ने ईरान से व्हाट्सएप कॉल पर एजेंसी से कहा, 'मेरे शोध का विषय अफगानिस्तान से संबंधित था और मैं वहां आंकड़े एकत्रित करने के लिए गया था. मुझे अपने वीजा का नवीनीकरण भी कराना था.

हालांकि, अफगानिस्तान में राजनीतिक हालात बदल गए और मैं वहां फंस गया.' उन्होंने कहा, 'बाद में मुझे ईरान का वीजा मिल गया और मैं वहां चला गया, ताकि भारत लौट सकूं. लेकिन मैं करीब एक साल से तेहरान में फंसा हूं, क्योंकि भारतीय दूतावास मुझे वीजा जारी करने से इनकार कर रहा है.' केरल विश्वविद्यालय के ‘सेंटर फॉर ग्लोबल एकेडेमिक्स’ (सीजीए) के निदेशक प्रोफेसर साबू जोसेफ ने बताया कि रहमानी के विदेश में फंसे होने के कारण तिरुवनंतपुरम में उनकी पत्नी और तीन बच्चों को कठिन हालातों का सामना करना पड़ रहा है.

रहमानी की पत्नी जमजमा ने कहा, 'मैं कोविड-19 से संक्रमित हो गई थी और मुझे घर पर पृथकवास में रहना पड़ा, क्योंकि मेरे बच्चों की देखभाल करने वाला कोई नहीं था. मुझे घर के सारे काम निपटाने होते हैं, जरूरत पड़ने पर बच्चों को अस्पताल लेकर जाना पड़ता है, घर का सामान खरीदकर लाना पड़ता है, यह सब मैं अपनी पढ़ाई के साथ करती हूं.

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मैं घर से शोध कार्य नहीं कर सकती हूं, क्योंकि मेरे पास प्रयोगशाला से जुड़ा काम भी है.' रहमानी की नौ साल की बच्ची ने रोते हुए कहा, 'हम उन्हें बहुत याद करते हैं. हम यहां इंटरनेट की दिक्कत के कारण उनसे ठीक तरह से बात भी नहीं कर पाते. हमारी मां अपने बलबूते हमारी देखभाल नहीं कर सकती. हम चाहते हैं कि वह जल्द आ जाएं, ताकि हम खुशी-खुशी जी सकें.'

प्रोफेसर जोसेफ ने कहा कि रहमानी की ओर से एक अनुरोध विश्वविद्यालय ने केरल सरकार को भेजा था, जिसने पुलिस सत्यापन के बाद केंद्र से उन्हें वीजा जारी करने की सिफारिश की थी. रहमानी की पत्नी ने केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से भी मुलाकात की थी. जोसेफ ने कहा, 'लेकिन इसके बाद भारत सरकार से कोई जवाब नहीं आया. इस बीच, रहमानी कह रहे हैं कि तालिबान से उनकी जान को खतरा है.'

(पीटीआई-भाषा)

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