हरिद्वार: धर्मनगरी में हुई धर्म संसद का विवाद भले ही अब ठंडा पड़ गया हो, लेकिन अभी धर्म संसद को लेकर साधु संतों में अलग-अलग राय है. आज धर्म संसद को लेकर अहम दिन रहा. क्योंकि जहां एक और जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी हरिद्वार के जिला कारागार से रिहा हुए. वहीं, स्वामी दिनेशानंद भारती को नैनीताल हाईकोर्ट से जमानत मिली. वही स्वामी यति नरसिंहानंद सरस्वती ने धर्म संसद को लेकर बयान दिया है. जिसे सुनकर संत-समाज अचंभित है.
धर्म संसद के संयोजक रहे महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद महाराज ने धर्म संसद नहीं करने का ऐलान कर दिया है. स्वामी यति नरसिंहानंद ने आगे कहा कि मेरी गलतियों के चलते जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी को जेल हुई है, जिसके लिए वो क्षमा मांगते हैं. यति नरसिंहानंद ने धर्म संसद और हर तरह के सामाजिक जीवन को छोड़कर पूरी तरह से धार्मिक जीवन जीने का संकल्प लिया है. अपने बचे हुए जीवन को मां, महादेव के महायज्ञ और योगेश्वर श्रीकृष्ण की श्रीमद्भगवद्गीता को समर्पित करने का संकल्प लिया है. स्वामी यति नरसिंहानंद ने यहां तक कह दिया कि शायद हमारा सफर इतना ही था.
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बता दें कि महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद महाराज, स्वामी अमृतानंद, बालयोगी ज्ञाननाथ महाराज व अपने साथियों के साथ हरिद्वार जेल पर जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी का स्वागत करने के लिए गए. लेकिन जितेंद्र नारायण त्यागी पहले ही जेल से अपने घर चले गए थे. सूत्रों की माने तो जितेंद्र नारायण त्यागी सभी धर्म संसद के संयोजकों से नाराज हैं. बताया जाता है कि जेल में रहने के दौरान उनके परिवार ने ही उनकी मदद की. जिस कारण जितेंद्र नारायण त्यागी की नाराजगी भी लाजमी है.
वहीं, धर्म संसद के संयोजक स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि स्वामी यति नरसिंहानंद सरस्वती ने हिंदुओं की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. फिलहाल वे निराश हैं, क्योंकि युद्ध में कभी हार और कभी जीत चलती रहती है. हम यती नरसिंहानंद नाराज से बातचीत हो जाएगी और उनकी लड़ाई को आगे चलाया जाएगा. हम सभी धर्म संसद के संयोजकों का संकल्प है कि हम भारत को हिंदू राष्ट्र बनाएंगे और वह हम करके ही रहेंगे.