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येलो फंगस ने दी दस्तक, गाजियाबाद में पहला मरीज - Reptiles

ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस के बाद गाजियाबाद में येलो फंगस का मामला सामने आया. ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. बीपी त्यागी के मुताबिक येलो फंगस के मरीज का केस हर्ष ईएनटी अस्पताल में चल रहा है. मरीज 45 साल का है. डॉक्टर के मुताबिक आम तौर पर येलो फंगस सरीसृपों में पाया जाता है. येलो फंगस घाव को भरने नहीं देता.

येलो फंगस ने दी दस्तक
येलो फंगस ने दी दस्तक
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Published : May 24, 2021, 2:21 PM IST

Updated : May 24, 2021, 6:15 PM IST

नई दिल्ली: ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस के बाद गाजियाबाद में येलो फंगस का मामला सामने आया. कोरोना वायरस से ठीक हुए लोगों में ब्लैक फंगस पांव पसार रहा है. इसी बीच व्हाइट फंगस के बाद अब देश में यलो फंगस भी सामने आ रहा है. यह मामला गाजियाबाद में मिला है.

डॉक्टरों की मानें तो यह यलो फंगल, ब्लैक और वाइट फंगस से कहीं ज्यादा खतरनाक है. बता दें उत्तर प्रदेश स्थित गाजियाबाद के संजय नगर में रहने वाले 45 वर्षीय मरीज कुंवर सिंह में येलो फंगस के लक्षण पाए गए है. ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. बीपी त्यागी के मुताबिक येलो फंगस के मरीज का केस हर्ष ईएनटी अस्पताल में चल रहा है.

डॉ. बीपी त्यागी

डॉ. बीपी त्यागी ने बताया कि सीटी स्कैन में मरीज का साइनस सामान्य था लेकिन एंडोस्कोपी करने के बाद हमें पता चला कि उसे 3 तरह के फंगस (ब्लैक, व्हाइट और येलो) हो गए हैं.

डॉ. त्यागी का कहना है कि 'येलो फंगस आमतौर पर सरीसृपों (Reptiles) में पाया जाता है. मानव में मैंने पहली बार येलो फंगस देखा है. इस बारे में किसी भी पत्रिका में कोई संदर्भ नहीं है.'

उनका कहना है कि ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस की तुलना में येलो फंगस में घाव को ठीक करने में समय लगता है.

पीले फंगस के लक्षण

ENT स्पेशलिस्ट प्रोफेसर डॉ. बी पी त्यागी के मुताबिक मुकोर सेप्टिकस (पीले फंगस ) के लक्षण हैं सुस्ती, कम भूख लगना, या बिल्कुल भी भूख न लगना और वजन कम होना. जैसे-जैसे यह आगे बढ़ता है वैसे की गंभीर लक्षण, जैसे मवाद का रिसाव करना और खुले घाव का धीमी गति से ठीक होना और सभी घावों की धीमी गति से भरना, कुपोषण और अंग विफलता और परिगलन के कारण धंसी हुई आंखें.

पीला फंगस एक घातक बीमारी है क्योंकि यह आंतरिक रूप से शुरू होता है और इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि किसी भी लक्षण को नोटिस किया जा सकता है. यह दुर्भाग्य से कई मामलों में प्रबंधन करना बहुत मुश्किल बना देता है और इसमें केवल देरी हो सकती है. इसका एक मात्र इलाज इंजेक्शन amphoteracin b है.

पीले फंगस का कारण खराब स्वच्छता हैं

डॉ. त्यागी के मुताबिक घर के आस पास के बाड़े को साफ़ करना, इसे यथासंभव स्वच्छ रखना, और बैक्टीरिया और फंगस के विकास को रोकने में मदद करने के लिए पुराने खाद्य पदार्थों और फेकल पदार्थ को जल्द से जल्द हटाना बहुत महत्वपूर्ण है. घर की आर्द्रता भी महत्वपूर्ण है.

इसलिए इसे हर समय मापा जाना चाहिए, बहुत अधिक आर्द्रता बैक्टीरिया और फ़ंगस के विकास को बढ़ावा दे सकती है. जितनी जल्दी हो सके किसी भी चिकित्सा पद्यती को अपनाना महत्वपूर्ण है ताकि हमारा शरीर स्वयं पीले कवक जैसी और जटिलताओं को जन्म न दे. गाजियाबाद के मुख्य चिकितस्या अधिकारी डॉ. एन के गुप्ता के मुताबिक ज़िले में पीले फंगस के मामले की अभी कोई सूचना नहीं मिली है.

पढ़ें : कोरोना अपडेटः 24 घंटे में 2.22 लाख नए मामले, 4,454 मौतें, जानें राज्यों के हाल

भारत में कोरोना

भारत में कोरोना के 2,22,315 नए मामले आने के बाद कुल पॉजिटिव मामलों की संख्या 2,67,52,447 हुई. 4,454 नई मौतों के बाद कुल मौतों की संख्या 3,03,720 हो गई है. 3,02,544 नए डिस्चार्ज के बाद कुल डिस्चार्ज की संख्या 2,37,28,011 हुई. देश में सक्रिय मामलों की कुल संख्या 27,20,716 है.

नई दिल्ली: ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस के बाद गाजियाबाद में येलो फंगस का मामला सामने आया. कोरोना वायरस से ठीक हुए लोगों में ब्लैक फंगस पांव पसार रहा है. इसी बीच व्हाइट फंगस के बाद अब देश में यलो फंगस भी सामने आ रहा है. यह मामला गाजियाबाद में मिला है.

डॉक्टरों की मानें तो यह यलो फंगल, ब्लैक और वाइट फंगस से कहीं ज्यादा खतरनाक है. बता दें उत्तर प्रदेश स्थित गाजियाबाद के संजय नगर में रहने वाले 45 वर्षीय मरीज कुंवर सिंह में येलो फंगस के लक्षण पाए गए है. ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. बीपी त्यागी के मुताबिक येलो फंगस के मरीज का केस हर्ष ईएनटी अस्पताल में चल रहा है.

डॉ. बीपी त्यागी

डॉ. बीपी त्यागी ने बताया कि सीटी स्कैन में मरीज का साइनस सामान्य था लेकिन एंडोस्कोपी करने के बाद हमें पता चला कि उसे 3 तरह के फंगस (ब्लैक, व्हाइट और येलो) हो गए हैं.

डॉ. त्यागी का कहना है कि 'येलो फंगस आमतौर पर सरीसृपों (Reptiles) में पाया जाता है. मानव में मैंने पहली बार येलो फंगस देखा है. इस बारे में किसी भी पत्रिका में कोई संदर्भ नहीं है.'

उनका कहना है कि ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस की तुलना में येलो फंगस में घाव को ठीक करने में समय लगता है.

पीले फंगस के लक्षण

ENT स्पेशलिस्ट प्रोफेसर डॉ. बी पी त्यागी के मुताबिक मुकोर सेप्टिकस (पीले फंगस ) के लक्षण हैं सुस्ती, कम भूख लगना, या बिल्कुल भी भूख न लगना और वजन कम होना. जैसे-जैसे यह आगे बढ़ता है वैसे की गंभीर लक्षण, जैसे मवाद का रिसाव करना और खुले घाव का धीमी गति से ठीक होना और सभी घावों की धीमी गति से भरना, कुपोषण और अंग विफलता और परिगलन के कारण धंसी हुई आंखें.

पीला फंगस एक घातक बीमारी है क्योंकि यह आंतरिक रूप से शुरू होता है और इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि किसी भी लक्षण को नोटिस किया जा सकता है. यह दुर्भाग्य से कई मामलों में प्रबंधन करना बहुत मुश्किल बना देता है और इसमें केवल देरी हो सकती है. इसका एक मात्र इलाज इंजेक्शन amphoteracin b है.

पीले फंगस का कारण खराब स्वच्छता हैं

डॉ. त्यागी के मुताबिक घर के आस पास के बाड़े को साफ़ करना, इसे यथासंभव स्वच्छ रखना, और बैक्टीरिया और फंगस के विकास को रोकने में मदद करने के लिए पुराने खाद्य पदार्थों और फेकल पदार्थ को जल्द से जल्द हटाना बहुत महत्वपूर्ण है. घर की आर्द्रता भी महत्वपूर्ण है.

इसलिए इसे हर समय मापा जाना चाहिए, बहुत अधिक आर्द्रता बैक्टीरिया और फ़ंगस के विकास को बढ़ावा दे सकती है. जितनी जल्दी हो सके किसी भी चिकित्सा पद्यती को अपनाना महत्वपूर्ण है ताकि हमारा शरीर स्वयं पीले कवक जैसी और जटिलताओं को जन्म न दे. गाजियाबाद के मुख्य चिकितस्या अधिकारी डॉ. एन के गुप्ता के मुताबिक ज़िले में पीले फंगस के मामले की अभी कोई सूचना नहीं मिली है.

पढ़ें : कोरोना अपडेटः 24 घंटे में 2.22 लाख नए मामले, 4,454 मौतें, जानें राज्यों के हाल

भारत में कोरोना

भारत में कोरोना के 2,22,315 नए मामले आने के बाद कुल पॉजिटिव मामलों की संख्या 2,67,52,447 हुई. 4,454 नई मौतों के बाद कुल मौतों की संख्या 3,03,720 हो गई है. 3,02,544 नए डिस्चार्ज के बाद कुल डिस्चार्ज की संख्या 2,37,28,011 हुई. देश में सक्रिय मामलों की कुल संख्या 27,20,716 है.

Last Updated : May 24, 2021, 6:15 PM IST
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