बेंगलुरु : पंचमसाली समुदाय आरक्षण मामले में कर्नाटक के सीओ येदियुरप्पा ने यू-टर्न ले लिया है. अपनी विवादास्पद टिप्पणी के घंटों बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने आरक्षण से संबंधित मामले को कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को हस्तांतरित किया. ऐसा पंचमसाली समुदाय के बढ़ते आक्रोश को रोकने के प्रयास स्वरूप किया गया. येदियुरप्पा ने दो बयान जारी किए. इनमें से एक पिछड़े वर्ग आयोग को आरक्षण के रेफरल को निर्देशित करने के उनके आदेश से संबंधित था और दूसरा पंचमसाली संप्रदाय के द्रष्टाओं (सीअर) से बिना शर्त के माफी मांगना था, जिनके द्वारा आंदोलन का नेतृत्व किया जा रहा है.
इस संबंध में उनके कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में लिंगायत समुदाय के पंचमसाली सबसेक्शन को निर्देश दिया गया है कि उनके समुदाय को वर्तमान 3 बी श्रेणी से 2 ए श्रेणी में शामिल किया जाए. इस बयान में कहा गया, 'आयोग को इस मांग के बारे में विस्तार से अध्ययन करने और जल्द से जल्द इसकी सिफारिश प्रस्तुत करने के लिए कदम उठाने चाहिए.'
जबकि एक अन्य बयान में येदियुरप्पा ने जया मृत्युंजय स्वामीजी से बिना शर्त माफी मांगी है, जो आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने कहा है, 'स्वामीजी मेरा मकसद आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था. पंचमसाली समुदाय को आरक्षण दिलाने में मैंने ईमानदारी से पुरजोर प्रयास किए हैं. विधानसभा में मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है. एक राष्ट्रील दल के रूप में मैंने बस इतना कहा कि हम जल्दबाजी में फैसला नहीं ले सकते हैं. इस पर सभी ने सहमति भी जताई है.'
इन सबकी शुरुआत तब हुई, जब भाजपा में येदियुरप्पा के सबसे कठोर आलोचक बसनगौड़ा पाटिल यातना ने कुरबा और पंचमसाली समुदाय को आरक्षण दिए जाने को लेकर आश्वासन की मांग की थी.
इस पर, येदियुरप्पा ने कहा था कि ऐसे मामलों का फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया जा सकता, क्योंकि भाजपा एक राष्ट्रीय पार्टी है. उन्होंने कहा था, 'मैं अपने दम पर फैसले नहीं ले सकता. हमें ऐसे मामलों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है.'
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मीडिया के माध्यम से इस बयान को प्रसारित किए जाने के बाद ही पंचमसाली समुदाय ने सीएम का विरोध करते हुए कहा कि अगर वह अपने खुद के समुदाय की जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ हैं, तो वह इस्तीफा दे दें.