ETV Bharat / bharat

Year Ender 2022 : इस साल के 10 बड़े राजनीतिक घटनाक्रमों पर एक नजर - top 10 political news etv bharat hindi

2022 में बहुत सारी ऐसी राजनीतिक घटनाएं हुईं, जिसका सीधा असर 2024 के लोकसभा चुनाव पर पड़ सकता है. यूपी और गुजरात में भाजपा ने अपनी जीत से विपक्षी पार्टियों के हौंसले पस्त कर दिए, तो पंजाब में आम आदमी पार्टी ने परंपरागत राजनीति में सेंध लगाकर सबको चौंका दिया. 'आप' अब राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने वाली पार्टी बन गई है. बिहार और महाराष्ट्र में सत्ता ने करवट ली. नीतीश ने भाजपा का साथ छोड़ दिया, वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र में भाजपा ने शिवसेना को तोड़कर उद्धव ठाकरे को ही सत्ता से बेदखल कर दिया. तेलंगाना में भाजपा सत्ताधारी दल टीआरएस को चुनौती देती हुई नजर आ रही है. टीआरएस ने अपनी पार्टी का नाम बदलकर पूरे देश में भाजपा को चुनौती देने का फैसला किया. एक नजर इस साल की टॉप 10 राजनीतिक घटनाक्रम पर. look back 2022.

concept photo
कॉन्सेप्ट फोटो
author img

By

Published : Dec 21, 2022, 2:05 PM IST

हैदराबाद : उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर और फिर गुजरात में भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरीके से अपनी सत्ता बरकरार रखी, उससे पार्टी 2024 में भी फायदे की उम्मीद जरूर कर सकती है. भाजपा के लिए सबसे बड़ी जीत यूपी और गुजरात की रही. भाजपा ने उत्तर प्रदेश में 37 वर्षो बाद सरकार दोहराने का इतिहास बनाया. 2017 के मुकाबले उनकी कुछ सीटें कम जरूर हुईं और समाजवादी पार्टी ने विपक्षी दल के रूप में बड़ी सफलता जरूर हासिल की, फिर भी इतने बड़े प्रदेश में सत्ता को बरकरार रखना ही राजनीतिक सफलता के झंडे गाड़ने वाली बात है. यूपी चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा लोगों की नजरें जाट लैंड पर टिकीं थीं. किसान आंदोलन की वजह से जाट नाराज बताए जा रहे थे. किसान आंदोलन के प्रमुख नेता और जिनकी अगुआई में पूरा आंदोलन हुआ, महेंद्र टिकैत यहीं से आते हैं. टिकैत ने इशारों ही इशारों में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने की अपील भी की थी. जाट, मुस्लिम और दलित गठजोड़ तक की बात कही गई. सपा और आरएलपी ने गठबंधन कर लिया. आरएलपी प्रमुख जयंत चौधरी ने दावा किया कि जाट उनके साथ ही खड़े होंगे. इस गठबंधन में ओमप्रकाश राजभर भी थे. स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा छोड़कर सपा में चले गए. योगी आदित्यनाथ को 'बुलडोजर बाबा' के रूप में प्रचारित किया गया. कानून और व्यवस्था संभालने के लिए योगी आदित्यनाथ ने जो कड़े कदम उठाए थे, वह भी एक मुद्दा बना. योगी आदित्यनाथ ने बिना किसी का नाम लिए ही 'अस्सी बनाम बीस' की लड़ाई भी बताई. विपक्ष की ओर से बेसहारा पशु, पुरानी पेंशन, किसान आंदोलन, बेरोजगारी, नाराज जाट, विधायकों की और विधायकों से नाराजगी को मुद्दा बनाया गया. पर परिणाम क्या हुआ, सबके सामने है. भाजपा को 255, सपा को 111, कांग्रेस को दो, बीएसपी को एक और अन्य को 34 सीटें मिलीं. look back 2022.

Year Ender 2022 etv bharat
योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण में पीएम मोदी

यूपी की तरह ही भाजपा के लिए गुजरात की जीत रही. गुजरात में भाजपा ने रिकॉर्ड सातवीं बार जीत हासिल की. इस चुनाव की खासियत यह रही कि भाजपा का यह अब तक का सबसे अच्छा परफॉर्मेंस रहा है. भाजपा ने 182 में से 156 सीटें हासिल कर कांग्रेस के उस रिकॉर्ड को तोड़ दिया, जब 1985 में कांग्रेस को 149 सीटें मिली थीं. गुजरात चुनाव में कांग्रेस 17 सीटों पर सिमट गई. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त रहे. उन्होंने गुजरात में मात्र दो रैलियां कीं. कांग्रेस की ओर से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चुनाव संभालने की जिम्मेदारी दी गई थी. लेकिन चुनाव के बीच में ही राजस्थान प्रकरण में उठा-पटक होने की आशंका से वह खुद 'ठिठक' गए. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी के लिए 'रावण' जैसे शब्द का प्रयोग कर दिया. भाजपा ने इसे भी भुनाया. इस चुनाव में आम आदमी पार्टी ने सबको अचरज में डाल दिया. हालांकि, पार्टी को मात्र पांच सीटें मिलीं, लेकिन उसने 13 फीसदी वोट हासिल कर कांग्रेस की कमर तोड़ दी. भाजपा का तो वोट प्रतिशत बढ़ा, लेकिन कांग्रेस का मत प्रतिशत 27 फीसदी के आसपास रह गया. 2017 में कांग्रेस को 41 फीसदी तक वोट मिले थे. बल्कि गुजरात चुनाव के इतिहास में कांग्रेस इतनी कमजोर कभी नहीं हुई थी. पीएम नरेंद्र मोदी ने 31 जनसभाओं को संबोधित किया. कई रोड शो किए. अमित शाह ने खुद सारा प्रबंधन संभाल रखा था. भाजपा शासित दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री भी वहां पर प्रचार करने पहुंचे थे.

Year Ender 2022 etv bharat
गुजरात के सीएम को बधाई देते पीएम मोदी

पंजाब में आप की जीत अपने आप में ऐतिहासिक मानी जाएगी. पार्टी को 117 में से 92 सीटें मिलीं. पंजाब के पुनर्गठन (1966) के बाद राज्य में यदि किसी एक पार्टी को सर्वाधिक सीटें मिली, तो इस चुनाव में आप को. पार्टी ने इतनी तेजी से वहां पर अपना प्रसार किया कि किसी को भी इस परिणाम का आभास नहीं था. लंबे समय से राज्य में राजनीतिक वजूद रखने वाली कांग्रेस धाराशायी हो गई. सिख राजनीति से जन्म लेने वाली पार्टी अकाली दल भी ध्वस्त हो गई. पार्टी प्रमुख सुखबीर बादल भी अपनी सीट नहीं बचा सके. भाजपा तो वहां पर पहले से ही कोई फैक्टर नहीं था. आप ने पहली बार दिल्ली के बाहर जाकर सफलता के झंडे गाड़े. चुनाव से ठीक पहले लगातार 18 दिनों तक पंजाब में रहे पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली मॉडल का खूब प्रचार किया. उन्होंने स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव लाने का वादा किया. पंजाबियों का भरपूर विश्वास हासिल किया. चुनाव से ठीक पहले कुमार विश्वास ने केजरीवाल पर खालिस्तानी प्रकरण को लेकर निशाना भी साधा. पर इसका कोई असर नहीं हुआ. कांग्रेस ने चन्नी को सीएम बनाया था. उसे उम्मीद थी कि दलित उनके साथ होंगे. कांग्रेस के दिग्गज नेता अमरिंदर सिंह भाजपा में शामिल हो गए. उसका भी असर भाजपा पर नहीं पड़ा. पार्टी को मात्र दो सीटें मिलीं. अकाली दल को तीन, और कांग्रेस को 18 सीटे मिलीं.

Year Ender 2022
पंजाब में जीत के बाद पहुंचे केजरीवाल

गहलोत-पायलट प्रकरण- नेताओं के बीच अंदरूनी मतभेद तो हरेक पार्टी में होती है. लेकिन कांग्रेस के अंदर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच बिना कहे ही जो कुछ हुआ, उससे कांग्रेस चिंतित अवश्य है. इस साल यह प्रमुख सुर्खियों में से एक है. यहां तक कि कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान भी पार्टी लगातार यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि कोई खेमेबाजी नहीं है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि मतभेद हैं, लेकिन विचारों की भिन्नता नहीं है. अशोक गहलोत ने जब एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में सचिन पायलट के लिए 'गद्दार' जैसे शब्दों का प्रयोग किया, और उसके बाद जब राहुल गांधी ने यह कह दिया कि दोनों नेता हमारे लिए अपरिहार्य हैं, तब गहलोत ने अपना बयान बदल लिया. इससे पहले पार्टी अध्यक्ष के चुनाव के दौरान भी खूब ड्रामा हुआ. जिस दिन राजस्थान के विधायकों के साथ कांग्रेस पर्यवेक्षकों की बैठक होनी थी, उस दिन विधायक उनसे मिलने ही नहीं आए. उलटे कांग्रेस के 82 विधायकों ने विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी के सामने इस्तीफा पेश करने का दावा कर दिया. ये सभी विधायक गहलोत समर्थक बताए जा रहे थे. गहलोत से जब इस बाबत पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि यह सब उनके बस में नहीं है. कांग्रेस विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि 10-15 विधायकों की सुनवाई हो रही है. जबकि अन्य विधायकों की उपेक्षा हो रही है. पार्टी हमारी नहीं सुनती. निश्चित तौर पर उनका इशारा सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों की ओर था. इन सारे प्रकरण से आलाकमान नाराज हो गया. गहलोत दिल्ली आए. राजस्थान में जो कुछ हुआ, उसके लिए उन्होंने खेद व्यक्त किया. 29 सितंबर को उन्होंने सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया.

Year Ender 2022 etv bharat
सचिन पायलट और अशोक गहलोत साथ-साथ

महाराष्ट्र प्रकरण- इस साल उद्धव ठाकरे की सरकार भी चली गई. राज्य के राजनीतिक हालात ऐसे बने, कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. उनकी पार्टी शिवसेना में बगावत हो गई. पार्टी के सिंबल को लेकर राजनीतिक लड़ाई जारी है. मामला चुनाव आयोग के पास है. एकनाथ शिंदे ने 45 विधायकों के साथ बगावत कर दी. वे पहले गुजरात गए, उसके बाद असम गए. बाद में जब उद्धव ने इस्तीफा दिया, तो उनके समर्थक विधायक मुंबई आए. जब यह तय हो चुका था कि सीएम देवेंद्र फडणवीस बनेंगे, तभी यह घोषणा की गई कि सीएम एकनाथ शिंदे होंगे. फडणवीस ने पहले मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने का फैसला किया, पर बाद में आलाकमान के आदेश पर डिप्टी सीएम बनने के लिए तैयार हो गए. अभी भी उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे गुट के बीच बयानबाजी जारी है. यहां पर संजय राउत का भी जिक्र जरूरी है. बगावत करने वाले विधायकों ने दावा किया कि संजय राउत की वजह से विधायकों में अंसतोष उभरे. उन्होंने यह भी कहा कि उद्धव ठाकरे एनसीपी की ज्यादा सुनते हैं, और वहां पर शरद पवार की अधिक चलती है, जबकि हमलोग से ठाकरे मिलते भी नहीं हैं.

Year Ender 2022 etv bharat
समर्थक विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे

नीतीश प्रकरण- नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री हैं. लेकिन इस साल उन्होंने जो फैसला लिया, उससे हर कोई हैरान रह गया, खासकर भाजपा. नीतीश की पार्टी जेडीयू ने भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया और वह महागठबंधन की साझीदार बन गई. उन्होंने उसी राजद से गठबंधन किया, जिसको पिछली बार उन्होंने पानी पी-पीकर कोसा था. नीतीश और उनकी पार्टी ने आरोप लगाया कि भाजपा उनकी पार्टी को कमजोर करने का प्रयास कर रही थी, इसलिए उन्होंने यह निर्णय लिया. अभी नीतीश ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें ऐसा करने के लिए कहा था. हालांकि, जब से नीतीश ने पाला बदला है, तब से बिहार की कानून व्यवस्था को लेकर कई बार सवाल उठ चुके हैं. राजद नेता और बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि नीतीश कुमार पीएम मैटेरियल हैं. उनकी ओर से ये भी संकेत दिए गए हैं कि अगली बार नीतीश केंद्र का हिस्सा होंगे और बिहार में राजद राज्य का नेतृत्व करेगी. बिहार की राजनीति का ये 'मास्टरस्ट्रोक' भाजपा के लिए बड़ी चुनौती हो सकता है, क्योंकि बिहार में राजद और जेडीयू एक साथ चुनाव लड़े, तो कुछ इस तरह से जातीय समीकरण बनते हैं कि वहां पर दूसरे दलों के लिए जगह बहुत कम बचती है.

Year Ender 2022 etv bharat
लालू परिवार के साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

इस साल की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया. पीएम मोदी पंजाब में पांच जनवरी को एक रैली को संबोधित करने के लिए जा रहे थे. तभी फिरोजपुर में किसानों का एक जत्था उन्हें रोकने के लिए सड़क पर आ गया. उस समय पीएम मोदी का काफिला सड़क मार्ग से एक पुल को पार कर रहा था. जहां पर पीएम मोदी का काफिला रोका गया था, वहां से पाकिस्तान की सीमा महज 20 किमी की दूरी पर है. पूर्व जस्टिस इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने इसके लिए फिरोजपुर एसएसपी को जिम्मेदार ठहराया है. इसी तरह से तमिलनाडु में भी पीएम की सुरक्षा में चूक होने की बात सामने आई है. हालांकि तमिलनाडु के DGP ने इसका खंडन किया है.

Year Ender 2022
पीएम की सुरक्षा में चूक

तेलंगाना- तेलंगाना में टीआरएस की सरकार है. के. चंद्रशेखर राव मुख्यमंत्री हैं. हालांकि, अब टीआरएस ने अपना नाम बदलकर बीआरएस कर लिया है. यानी भारत राष्ट्र समिति. मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी दूसरे राज्यों में भी चुनाव लड़ेगी और वह भाजपा को चुनौती देगी. भाजपा और टीआरएस के बीच राजनीतिक बहसबाजी दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. हाल ही में एक उपचुनाव में दोनों पार्टियों ने एक दूसरे पर कई गंभीर आरोप लगाए. टीआरएस ने आरोप लगाया कि भाजपा की ओर से उनके विधायकों को तोड़ने का प्रयास किया गया. इस मामले में राज्य पुलिस जांच भी कर रही है. दूसरी ओर केसीआर की बेटी के. कविता के खिलाफ केंद्रीय एजेंसी जांच कर रही है. उन पर कथित तौर पर दिल्ली शराब घोटाले में एक भूमिका निभाने का आरोप लगा है.

Year Ender 2022 etv bharat
दिल्ली में केसीआर ने दी दस्तक

महाराष्ट्र- कर्नाटक सीमा विवाद- कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के एक बयान की वजह से विवाद बढ़ गया. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के कुछ गांवों को कर्नाटक में शामिल किया जाएगा. इसके बाद सीमा पर दोनों ही ओर से प्रदर्शन हुए. कुछ जगहों पर हिंसा भी हुई. राजनीतिक बयानबाजी बढ़ गई. मामला दिल्ली तक आया. महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बोम्मई को फोन कर बेलगाम के पास हिरेबगवाड़ी में हुई घटनाओं पर कड़े शब्दों में नाराजगी जाहिर की. शरद पवार ने कहा है कि एक अलग तरह का सीमा विवाद पैदा करने की कोशिश हो रही है. पवार ने आरोप लगाया, 'कोई जानबूझकर भड़काने की कोशिश कर रहा है और राज्य सरकार तमाशबीन की भूमिका निभा रही है, धैर्य एक निश्चित स्तर पर बना रहेगा, आगे जो होगा उसके लिए वे ही जिम्मेदार होंगे.' क्या है विवाद की वजह - 1956 में बीजापुर, धारवाड़, गुलबर्गा, बीदर के साथ बेलगाम को मैसूर राज्य में शामिल किया गया था. 1973 में मैसूर का नाम बदलकर कर्नाटक किया गया. बेलगाम इलाके में कई गांव ऐसे हैं, जहां बड़ी संख्या में मराठी भाषी हैं. तभी से यह विवाद चलता आ रहा है.

Year Ender 2022 etv bharat
कर्नाटक और महाराष्ट्र के सीएम संग गृह मंत्री अमित शाह
Year Ender 2022 etv bharat
महाराष्ट्र और कर्नाटक सीमा विवाद

भारत जोड़ो यात्रा - इस साल कांग्रेस पार्टी की भारत जोड़ो यात्रा लगातार सुर्खियां बटोर रही हैं. कांग्रेस को उम्मीद है कि उसकी इस यात्रा से पार्टी कैडरों में उत्साह बढ़ेगा, लोगों से जुड़ाव होगा और वह 2024 में भाजपा को चुनौती देने में कामयाब हो सकेगी. राहुल इस 3,570 किलोमीटर पैदल मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं. यात्रा को अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है जिसे कांग्रेस पार्टी के पुनरुत्थान के रूप में देख रही है.

Year Ender 2022
भारत जोड़ो यात्रा की एक झलक
  • आजकल नेता और जनता के बीच में खाई बन गई है। नेता सोचते हैं कि जनता की बात सुनने की जरूरत नहीं है और वह घंटों भाषण देते हैं, इस यात्रा ने उन्हें बदलने की कोशिश की है।

    हम #BharatJodoYatra में 7-8 घंटे चलते हैं, सभी की बात सुनते हैं और फिर सिर्फ 15 मिनट बोलते हैं : श्री @RahulGandhi pic.twitter.com/YaeppftXb0

    — Congress (@INCIndia) December 21, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

ये भी पढ़ें : Year Ender 2022 : इस साल सुर्खियां बटोरने वालीं टॉप 10 अंतरराष्ट्रीय खबरें

हैदराबाद : उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर और फिर गुजरात में भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरीके से अपनी सत्ता बरकरार रखी, उससे पार्टी 2024 में भी फायदे की उम्मीद जरूर कर सकती है. भाजपा के लिए सबसे बड़ी जीत यूपी और गुजरात की रही. भाजपा ने उत्तर प्रदेश में 37 वर्षो बाद सरकार दोहराने का इतिहास बनाया. 2017 के मुकाबले उनकी कुछ सीटें कम जरूर हुईं और समाजवादी पार्टी ने विपक्षी दल के रूप में बड़ी सफलता जरूर हासिल की, फिर भी इतने बड़े प्रदेश में सत्ता को बरकरार रखना ही राजनीतिक सफलता के झंडे गाड़ने वाली बात है. यूपी चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा लोगों की नजरें जाट लैंड पर टिकीं थीं. किसान आंदोलन की वजह से जाट नाराज बताए जा रहे थे. किसान आंदोलन के प्रमुख नेता और जिनकी अगुआई में पूरा आंदोलन हुआ, महेंद्र टिकैत यहीं से आते हैं. टिकैत ने इशारों ही इशारों में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने की अपील भी की थी. जाट, मुस्लिम और दलित गठजोड़ तक की बात कही गई. सपा और आरएलपी ने गठबंधन कर लिया. आरएलपी प्रमुख जयंत चौधरी ने दावा किया कि जाट उनके साथ ही खड़े होंगे. इस गठबंधन में ओमप्रकाश राजभर भी थे. स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा छोड़कर सपा में चले गए. योगी आदित्यनाथ को 'बुलडोजर बाबा' के रूप में प्रचारित किया गया. कानून और व्यवस्था संभालने के लिए योगी आदित्यनाथ ने जो कड़े कदम उठाए थे, वह भी एक मुद्दा बना. योगी आदित्यनाथ ने बिना किसी का नाम लिए ही 'अस्सी बनाम बीस' की लड़ाई भी बताई. विपक्ष की ओर से बेसहारा पशु, पुरानी पेंशन, किसान आंदोलन, बेरोजगारी, नाराज जाट, विधायकों की और विधायकों से नाराजगी को मुद्दा बनाया गया. पर परिणाम क्या हुआ, सबके सामने है. भाजपा को 255, सपा को 111, कांग्रेस को दो, बीएसपी को एक और अन्य को 34 सीटें मिलीं. look back 2022.

Year Ender 2022 etv bharat
योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण में पीएम मोदी

यूपी की तरह ही भाजपा के लिए गुजरात की जीत रही. गुजरात में भाजपा ने रिकॉर्ड सातवीं बार जीत हासिल की. इस चुनाव की खासियत यह रही कि भाजपा का यह अब तक का सबसे अच्छा परफॉर्मेंस रहा है. भाजपा ने 182 में से 156 सीटें हासिल कर कांग्रेस के उस रिकॉर्ड को तोड़ दिया, जब 1985 में कांग्रेस को 149 सीटें मिली थीं. गुजरात चुनाव में कांग्रेस 17 सीटों पर सिमट गई. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त रहे. उन्होंने गुजरात में मात्र दो रैलियां कीं. कांग्रेस की ओर से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चुनाव संभालने की जिम्मेदारी दी गई थी. लेकिन चुनाव के बीच में ही राजस्थान प्रकरण में उठा-पटक होने की आशंका से वह खुद 'ठिठक' गए. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी के लिए 'रावण' जैसे शब्द का प्रयोग कर दिया. भाजपा ने इसे भी भुनाया. इस चुनाव में आम आदमी पार्टी ने सबको अचरज में डाल दिया. हालांकि, पार्टी को मात्र पांच सीटें मिलीं, लेकिन उसने 13 फीसदी वोट हासिल कर कांग्रेस की कमर तोड़ दी. भाजपा का तो वोट प्रतिशत बढ़ा, लेकिन कांग्रेस का मत प्रतिशत 27 फीसदी के आसपास रह गया. 2017 में कांग्रेस को 41 फीसदी तक वोट मिले थे. बल्कि गुजरात चुनाव के इतिहास में कांग्रेस इतनी कमजोर कभी नहीं हुई थी. पीएम नरेंद्र मोदी ने 31 जनसभाओं को संबोधित किया. कई रोड शो किए. अमित शाह ने खुद सारा प्रबंधन संभाल रखा था. भाजपा शासित दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री भी वहां पर प्रचार करने पहुंचे थे.

Year Ender 2022 etv bharat
गुजरात के सीएम को बधाई देते पीएम मोदी

पंजाब में आप की जीत अपने आप में ऐतिहासिक मानी जाएगी. पार्टी को 117 में से 92 सीटें मिलीं. पंजाब के पुनर्गठन (1966) के बाद राज्य में यदि किसी एक पार्टी को सर्वाधिक सीटें मिली, तो इस चुनाव में आप को. पार्टी ने इतनी तेजी से वहां पर अपना प्रसार किया कि किसी को भी इस परिणाम का आभास नहीं था. लंबे समय से राज्य में राजनीतिक वजूद रखने वाली कांग्रेस धाराशायी हो गई. सिख राजनीति से जन्म लेने वाली पार्टी अकाली दल भी ध्वस्त हो गई. पार्टी प्रमुख सुखबीर बादल भी अपनी सीट नहीं बचा सके. भाजपा तो वहां पर पहले से ही कोई फैक्टर नहीं था. आप ने पहली बार दिल्ली के बाहर जाकर सफलता के झंडे गाड़े. चुनाव से ठीक पहले लगातार 18 दिनों तक पंजाब में रहे पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली मॉडल का खूब प्रचार किया. उन्होंने स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव लाने का वादा किया. पंजाबियों का भरपूर विश्वास हासिल किया. चुनाव से ठीक पहले कुमार विश्वास ने केजरीवाल पर खालिस्तानी प्रकरण को लेकर निशाना भी साधा. पर इसका कोई असर नहीं हुआ. कांग्रेस ने चन्नी को सीएम बनाया था. उसे उम्मीद थी कि दलित उनके साथ होंगे. कांग्रेस के दिग्गज नेता अमरिंदर सिंह भाजपा में शामिल हो गए. उसका भी असर भाजपा पर नहीं पड़ा. पार्टी को मात्र दो सीटें मिलीं. अकाली दल को तीन, और कांग्रेस को 18 सीटे मिलीं.

Year Ender 2022
पंजाब में जीत के बाद पहुंचे केजरीवाल

गहलोत-पायलट प्रकरण- नेताओं के बीच अंदरूनी मतभेद तो हरेक पार्टी में होती है. लेकिन कांग्रेस के अंदर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच बिना कहे ही जो कुछ हुआ, उससे कांग्रेस चिंतित अवश्य है. इस साल यह प्रमुख सुर्खियों में से एक है. यहां तक कि कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान भी पार्टी लगातार यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि कोई खेमेबाजी नहीं है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि मतभेद हैं, लेकिन विचारों की भिन्नता नहीं है. अशोक गहलोत ने जब एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में सचिन पायलट के लिए 'गद्दार' जैसे शब्दों का प्रयोग किया, और उसके बाद जब राहुल गांधी ने यह कह दिया कि दोनों नेता हमारे लिए अपरिहार्य हैं, तब गहलोत ने अपना बयान बदल लिया. इससे पहले पार्टी अध्यक्ष के चुनाव के दौरान भी खूब ड्रामा हुआ. जिस दिन राजस्थान के विधायकों के साथ कांग्रेस पर्यवेक्षकों की बैठक होनी थी, उस दिन विधायक उनसे मिलने ही नहीं आए. उलटे कांग्रेस के 82 विधायकों ने विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी के सामने इस्तीफा पेश करने का दावा कर दिया. ये सभी विधायक गहलोत समर्थक बताए जा रहे थे. गहलोत से जब इस बाबत पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि यह सब उनके बस में नहीं है. कांग्रेस विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि 10-15 विधायकों की सुनवाई हो रही है. जबकि अन्य विधायकों की उपेक्षा हो रही है. पार्टी हमारी नहीं सुनती. निश्चित तौर पर उनका इशारा सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों की ओर था. इन सारे प्रकरण से आलाकमान नाराज हो गया. गहलोत दिल्ली आए. राजस्थान में जो कुछ हुआ, उसके लिए उन्होंने खेद व्यक्त किया. 29 सितंबर को उन्होंने सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया.

Year Ender 2022 etv bharat
सचिन पायलट और अशोक गहलोत साथ-साथ

महाराष्ट्र प्रकरण- इस साल उद्धव ठाकरे की सरकार भी चली गई. राज्य के राजनीतिक हालात ऐसे बने, कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. उनकी पार्टी शिवसेना में बगावत हो गई. पार्टी के सिंबल को लेकर राजनीतिक लड़ाई जारी है. मामला चुनाव आयोग के पास है. एकनाथ शिंदे ने 45 विधायकों के साथ बगावत कर दी. वे पहले गुजरात गए, उसके बाद असम गए. बाद में जब उद्धव ने इस्तीफा दिया, तो उनके समर्थक विधायक मुंबई आए. जब यह तय हो चुका था कि सीएम देवेंद्र फडणवीस बनेंगे, तभी यह घोषणा की गई कि सीएम एकनाथ शिंदे होंगे. फडणवीस ने पहले मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने का फैसला किया, पर बाद में आलाकमान के आदेश पर डिप्टी सीएम बनने के लिए तैयार हो गए. अभी भी उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे गुट के बीच बयानबाजी जारी है. यहां पर संजय राउत का भी जिक्र जरूरी है. बगावत करने वाले विधायकों ने दावा किया कि संजय राउत की वजह से विधायकों में अंसतोष उभरे. उन्होंने यह भी कहा कि उद्धव ठाकरे एनसीपी की ज्यादा सुनते हैं, और वहां पर शरद पवार की अधिक चलती है, जबकि हमलोग से ठाकरे मिलते भी नहीं हैं.

Year Ender 2022 etv bharat
समर्थक विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे

नीतीश प्रकरण- नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री हैं. लेकिन इस साल उन्होंने जो फैसला लिया, उससे हर कोई हैरान रह गया, खासकर भाजपा. नीतीश की पार्टी जेडीयू ने भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया और वह महागठबंधन की साझीदार बन गई. उन्होंने उसी राजद से गठबंधन किया, जिसको पिछली बार उन्होंने पानी पी-पीकर कोसा था. नीतीश और उनकी पार्टी ने आरोप लगाया कि भाजपा उनकी पार्टी को कमजोर करने का प्रयास कर रही थी, इसलिए उन्होंने यह निर्णय लिया. अभी नीतीश ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें ऐसा करने के लिए कहा था. हालांकि, जब से नीतीश ने पाला बदला है, तब से बिहार की कानून व्यवस्था को लेकर कई बार सवाल उठ चुके हैं. राजद नेता और बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि नीतीश कुमार पीएम मैटेरियल हैं. उनकी ओर से ये भी संकेत दिए गए हैं कि अगली बार नीतीश केंद्र का हिस्सा होंगे और बिहार में राजद राज्य का नेतृत्व करेगी. बिहार की राजनीति का ये 'मास्टरस्ट्रोक' भाजपा के लिए बड़ी चुनौती हो सकता है, क्योंकि बिहार में राजद और जेडीयू एक साथ चुनाव लड़े, तो कुछ इस तरह से जातीय समीकरण बनते हैं कि वहां पर दूसरे दलों के लिए जगह बहुत कम बचती है.

Year Ender 2022 etv bharat
लालू परिवार के साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

इस साल की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया. पीएम मोदी पंजाब में पांच जनवरी को एक रैली को संबोधित करने के लिए जा रहे थे. तभी फिरोजपुर में किसानों का एक जत्था उन्हें रोकने के लिए सड़क पर आ गया. उस समय पीएम मोदी का काफिला सड़क मार्ग से एक पुल को पार कर रहा था. जहां पर पीएम मोदी का काफिला रोका गया था, वहां से पाकिस्तान की सीमा महज 20 किमी की दूरी पर है. पूर्व जस्टिस इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने इसके लिए फिरोजपुर एसएसपी को जिम्मेदार ठहराया है. इसी तरह से तमिलनाडु में भी पीएम की सुरक्षा में चूक होने की बात सामने आई है. हालांकि तमिलनाडु के DGP ने इसका खंडन किया है.

Year Ender 2022
पीएम की सुरक्षा में चूक

तेलंगाना- तेलंगाना में टीआरएस की सरकार है. के. चंद्रशेखर राव मुख्यमंत्री हैं. हालांकि, अब टीआरएस ने अपना नाम बदलकर बीआरएस कर लिया है. यानी भारत राष्ट्र समिति. मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी दूसरे राज्यों में भी चुनाव लड़ेगी और वह भाजपा को चुनौती देगी. भाजपा और टीआरएस के बीच राजनीतिक बहसबाजी दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. हाल ही में एक उपचुनाव में दोनों पार्टियों ने एक दूसरे पर कई गंभीर आरोप लगाए. टीआरएस ने आरोप लगाया कि भाजपा की ओर से उनके विधायकों को तोड़ने का प्रयास किया गया. इस मामले में राज्य पुलिस जांच भी कर रही है. दूसरी ओर केसीआर की बेटी के. कविता के खिलाफ केंद्रीय एजेंसी जांच कर रही है. उन पर कथित तौर पर दिल्ली शराब घोटाले में एक भूमिका निभाने का आरोप लगा है.

Year Ender 2022 etv bharat
दिल्ली में केसीआर ने दी दस्तक

महाराष्ट्र- कर्नाटक सीमा विवाद- कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के एक बयान की वजह से विवाद बढ़ गया. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के कुछ गांवों को कर्नाटक में शामिल किया जाएगा. इसके बाद सीमा पर दोनों ही ओर से प्रदर्शन हुए. कुछ जगहों पर हिंसा भी हुई. राजनीतिक बयानबाजी बढ़ गई. मामला दिल्ली तक आया. महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बोम्मई को फोन कर बेलगाम के पास हिरेबगवाड़ी में हुई घटनाओं पर कड़े शब्दों में नाराजगी जाहिर की. शरद पवार ने कहा है कि एक अलग तरह का सीमा विवाद पैदा करने की कोशिश हो रही है. पवार ने आरोप लगाया, 'कोई जानबूझकर भड़काने की कोशिश कर रहा है और राज्य सरकार तमाशबीन की भूमिका निभा रही है, धैर्य एक निश्चित स्तर पर बना रहेगा, आगे जो होगा उसके लिए वे ही जिम्मेदार होंगे.' क्या है विवाद की वजह - 1956 में बीजापुर, धारवाड़, गुलबर्गा, बीदर के साथ बेलगाम को मैसूर राज्य में शामिल किया गया था. 1973 में मैसूर का नाम बदलकर कर्नाटक किया गया. बेलगाम इलाके में कई गांव ऐसे हैं, जहां बड़ी संख्या में मराठी भाषी हैं. तभी से यह विवाद चलता आ रहा है.

Year Ender 2022 etv bharat
कर्नाटक और महाराष्ट्र के सीएम संग गृह मंत्री अमित शाह
Year Ender 2022 etv bharat
महाराष्ट्र और कर्नाटक सीमा विवाद

भारत जोड़ो यात्रा - इस साल कांग्रेस पार्टी की भारत जोड़ो यात्रा लगातार सुर्खियां बटोर रही हैं. कांग्रेस को उम्मीद है कि उसकी इस यात्रा से पार्टी कैडरों में उत्साह बढ़ेगा, लोगों से जुड़ाव होगा और वह 2024 में भाजपा को चुनौती देने में कामयाब हो सकेगी. राहुल इस 3,570 किलोमीटर पैदल मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं. यात्रा को अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है जिसे कांग्रेस पार्टी के पुनरुत्थान के रूप में देख रही है.

Year Ender 2022
भारत जोड़ो यात्रा की एक झलक
  • आजकल नेता और जनता के बीच में खाई बन गई है। नेता सोचते हैं कि जनता की बात सुनने की जरूरत नहीं है और वह घंटों भाषण देते हैं, इस यात्रा ने उन्हें बदलने की कोशिश की है।

    हम #BharatJodoYatra में 7-8 घंटे चलते हैं, सभी की बात सुनते हैं और फिर सिर्फ 15 मिनट बोलते हैं : श्री @RahulGandhi pic.twitter.com/YaeppftXb0

    — Congress (@INCIndia) December 21, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

ये भी पढ़ें : Year Ender 2022 : इस साल सुर्खियां बटोरने वालीं टॉप 10 अंतरराष्ट्रीय खबरें

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.