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विधि-विधान से शीतकाल के लिए बंद हुए यमुनोत्री धाम के कपाट

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Published : Nov 16, 2020, 3:01 PM IST

शीतकाल के लिए यमुनोत्री धाम के कपाट बंद कर दिए गए हैं. 6 माह तक मां यमुना के दर्शन खरसाली में होंगे.

Yamunotri Dham Kapat closed
6 माह बाद खुलेंगे कपाट

उत्तरकाशी : विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट भैयादूज यानी 16 अक्टूबर को दोपहर 12:15 बजे अभिजीत मुहूर्त में विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए. जिसके बाद 6 माह तक यमुनाजी के दर्शन श्रद्धालु उनके शीतकालीन प्रवास खुशीमठ (खरसाली) में कर सकेंगे.

कोरोना काल में कम आए श्रद्धालु

बता दें कि 6 महीने बाद अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर ग्रीष्मकाल के लिए गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे. इस बार कोरोना के चलते धाम में कम ही लोग दर्शन के लिए पहुंचे. हर साल मां यमुना के धाम में देश-विदेश से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

हरिद्वार और ऋषिकेश से शुरू होती है चारधाम यात्रा

चारधाम यात्रा धर्मनगरी हरिद्वार और तीर्थनगरी ऋषिकेश से शुरू होती है. वहीं चारधाम यात्रा की शुरुआत शास्त्रों में यमुनोत्री धाम से मानी गई है. क्योंकि मां यमुना को भक्ति की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है. समुद्रतल से 4000 मीटर तक की ऊंचाई पर होने वाली यह यात्रा धर्म-अध्यात्म के साथ ही रहस्य-रोमांच की यात्रा भी है. यह यात्रा तन-मन को शांति, सुकून व शीतलता तो प्रदान करती ही है, साथ ही श्रद्धालुओं को प्रकृति से साक्षात्कार करवाती है.

पढ़ेंः केदारनाथ के कपाट हुए बंद, सीएम त्रिवेंद्र और योगी आदित्यनाथ ने किए दर्शन

शीतकालीन प्रवास के लिए रवाना हुई पंचमुखी चल-विग्रह डोली

बता दें कि प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट भी आज विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं. जिसके बाद बाबा की पंचमुखी चल-विग्रह डोली बर्फबारी के बीच शीतकालीन प्रवास के लिए रवाना हुई. इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी इस पल के साक्षी बने.

उत्तरकाशी : विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट भैयादूज यानी 16 अक्टूबर को दोपहर 12:15 बजे अभिजीत मुहूर्त में विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए. जिसके बाद 6 माह तक यमुनाजी के दर्शन श्रद्धालु उनके शीतकालीन प्रवास खुशीमठ (खरसाली) में कर सकेंगे.

कोरोना काल में कम आए श्रद्धालु

बता दें कि 6 महीने बाद अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर ग्रीष्मकाल के लिए गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे. इस बार कोरोना के चलते धाम में कम ही लोग दर्शन के लिए पहुंचे. हर साल मां यमुना के धाम में देश-विदेश से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

हरिद्वार और ऋषिकेश से शुरू होती है चारधाम यात्रा

चारधाम यात्रा धर्मनगरी हरिद्वार और तीर्थनगरी ऋषिकेश से शुरू होती है. वहीं चारधाम यात्रा की शुरुआत शास्त्रों में यमुनोत्री धाम से मानी गई है. क्योंकि मां यमुना को भक्ति की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है. समुद्रतल से 4000 मीटर तक की ऊंचाई पर होने वाली यह यात्रा धर्म-अध्यात्म के साथ ही रहस्य-रोमांच की यात्रा भी है. यह यात्रा तन-मन को शांति, सुकून व शीतलता तो प्रदान करती ही है, साथ ही श्रद्धालुओं को प्रकृति से साक्षात्कार करवाती है.

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शीतकालीन प्रवास के लिए रवाना हुई पंचमुखी चल-विग्रह डोली

बता दें कि प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट भी आज विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं. जिसके बाद बाबा की पंचमुखी चल-विग्रह डोली बर्फबारी के बीच शीतकालीन प्रवास के लिए रवाना हुई. इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी इस पल के साक्षी बने.

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